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Last Modified: बुधवार, 6 मई 2020 (21:29 IST)

इन शर्तों के साथ जल्‍द शुरू हो सकता है सार्वजनिक परिवहन, नितिन गडकरी ने दिए संकेत

इन शर्तों के साथ जल्‍द शुरू हो सकता है सार्वजनिक परिवहन, नितिन गडकरी ने दिए संकेत - public transport may start soon
नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संकेत दिया है कि देश में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं जल्द शुरू होंगी। कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते सार्वजनिक परिवहन सेवाएं बंद हैं।
 
गडकरी ने बुधवार को कहा कि सरकार सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के सुरक्षित इस्तेमाल को लेकर दिशा-निर्देश बना रही है। इसमें सामाजिक दूरी यानी सोशल डिस्टैंसिंग आदि पर ध्यान दिया जाएगा।
 
उन्होंने कहा कि परिवहन सेवाएं और राजमार्ग खुलने से जनता का भरोसा कायम करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही गडकरी ने सतर्क करते हुए कहा कि लोगों को बसों या कारों के परिचालन के दौरान सभी सुरक्षा उपायों, जैसे हाथ धोना, सैनिटाइज करना, फेस मास्क पहनना आदि का ध्यान रखना होगा।
 
यात्री परिवहन उद्योग की राहत पैकेज की मांग पर गडकरी ने कहा कि सरकार को उनकी समस्याओं की पूरी जानकारी है। सरकार उनके मुद्दों को हल करने के लिए पूरा समर्थन देगी। उन्होंने कहा कि वह लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के संपर्क हैं। दोनों कोविड-19 के कठिन समय में अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं।
 
 मंत्री ने निवेशकों और उद्योग का आह्वान किया कि वे कोराना वायरस की वजह से पैदा संकट को अवसर में बदलें और वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएं।
गडकरी ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था संकट में है। हमें इसे अवसर के रूप में लेना चाहिए। अब कोई चीन के साथ व्यापार नहीं करना चाहता। जापान के प्रधानमंत्री अपने उद्योगों को चीन के बाहर निवेश करने को कह रहे हैं। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का अवसर है। 
 
उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों को इस अवसर का लाभ उठाते हुए विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश का न्योता देना चाहिए। उन्होंने भरोसा जताया कि देश और उसके उद्योग दोनों लड़ाइयों में सफलता हासिल करेंगे। कोरोना वायरस से लड़ाई और अर्थव्यवस्था को सुस्ती से निकालने की लड़ाई।
 
ऑपरेटरों द्वारा जताई गई चिंता पर गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय लंदन की तरह का सार्वजनिक परिवहन मॉडल अपनाने पर विचार कर रहा है। इस मॉडल में सरकार की ओर से न्यूनतम निवेश किया जाता है और निजी निवेश को प्रोत्साहन दिया जाता है।
 
 उन्होंने भारत में बसों और ट्रकों की बॉडी की कमजोरी का जिक्र करते हुए कहा कि यहां यह सिर्फ 5-7 साल चल पाता है, जबकि यूरोपीय मॉडल की बॉडी 15 साल तक चलती है। (भाषा)
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