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Last Updated : रविवार, 31 अक्टूबर 2021 (00:44 IST)

PM मोदी ने कहा- भारत 2022 के आखिर तक कोरोना वैक्सीन की 5 बिलियन डोज तैयार कर लेगा

PM मोदी ने कहा- भारत 2022 के आखिर तक कोरोना वैक्सीन की 5 बिलियन डोज तैयार कर लेगा - PM Modi said, India will prepare 5 billion doses of corona vaccine by the end of 2022
रोम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को रोम में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत अगले साल के अंत तक कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 टीके की 5 अरब खुराक का उत्पादन करने के लिए तैयार है। उन्होंने यह टिप्पणी कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत के योगदान को रेखांकित करते हुए की।

प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रमों की मीडिया को जानकारी देते हुए विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा की सुविधा देने पर भी जोर दिया और टीकाकरण प्रमाण-पत्र को परस्पर आधार पर मान्यता देने की प्रणाली बनाने पर जोर दिया जिसके लिए यह व्यवस्था की गई है।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा भारत में विकसित कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल के लिए अधिकृत करने का फैसला लंबित है और सुझाव दिया कि इसे मंजूरी देने से भारत अन्य देशों की मदद कर सकता है।

संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य निकाय का तकनीकी सलाहकार समूह 3 नवंबर को बैठक करने वाला है जिसमें वह कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल के लिए अधिसूचित करने के लिए अंतिम ‘खतरा-लाभ आकलन’ करेगा। उल्लेखनीय है कि भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन और एस्ट्राजेनेका व ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा तैयार कोविशील्ड का भारत में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है।

मोदी ने महामारी के दौरान 150 देशों को की गई चिकित्सा आपूर्ति और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को कायम रखने में भारत के योगदान को भी रेखांकित किया। श्रृंगला ने बताया कि मोदी ने यह टिप्पणी जी-20 बैठक के तहत आयोजित ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्वास्थ्य’ सत्र में हस्तक्षेप करते हुए की।

लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की जरूरत पर जोर देते हुए मोदी ने भारत द्वारा किए गए साहसी आर्थिक सुधार पर बात की और जी-20 देशों को भारत को आर्थिक उभार और आपूर्ति श्रृंखला में विविधिकरण के लिए साझेदार बनाने के लिए आमंत्रित किया। श्रृंगला ने बताया कि मोदी ने महामारी से लड़ाई और भविष्य की वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं की पृष्ठभूमि में ‘एक धरती, एक स्वास्थ्य’ का दृष्टिकोण पेश किया।

पोप ने स्वीकारा भारत का निमंत्रण : ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरू पोप फ्रांसिस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत आने के निमंत्रण को विनम्रतापूर्वक स्वीकार कर लिया है। हालांकि इसके लिए अभी कोई तारीख या समय तय नहीं हुआ है। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने आज शाम यहां कहा कि पोप फ्रांसिस ने प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा दिए गए निमंत्रण को 'महानतम उपहार' करार दिया और कहा कि आपने मुझे महानतम उपहार दिया है। मैं भारत की यात्रा करने के लिए उत्सुक हूं।

श्रृंगला ने कहा कि प्रधानमंत्री एवं पोप की मुलाकात ‘एक बहुत निजी मुलाकात’ थी जो बहुत ही गर्मजोशी एवं स्पष्टवादिता वाली थी। दोनों नेताओं ने अनेकानेक मुद्दों एवं विषयों पर बात की जिनमें कोविड महामारी में भारत ने कैसे स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना किया, जलवायु परिवर्तन तथा अनेक सामुदायिक सहायता कार्यक्रमों में उठाये गये अनूठे कदमों की जानकारी दी। यह भी बताया कि इराक, यमन, अफगानिस्तान सहित विश्व भर में परेशान लोगों को सुरक्षित निकाला।

उन्होंने बताया कि पोप ने प्रधानमंत्री को वेटिकन में बहुत से स्मृति चिह्नों के बारे में बताया। वेटिकन में सदियों पुरानी धार्मिक एवं यादगार वस्तुओं का बहुत समृद्ध संग्रह है। यह पूछे जाने पर कि बातचीत में धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा उठा था, विदेश सचिव ने कहा कि ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई। ऐसे बाहरी मुद्दों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया गया।

बातचीत पूरी तरह से गर्मजोशी से भरी एवं सौहार्द्रपूर्ण रही। उन्होंने बताया कि बैठक का तय समय 20 मिनट था लेकिन यह करीब एक घंटे तक चली। यह पूछे जाने पर कि क्या पोप की यात्रा की कोई तारीख तय हुई है, विदेश सचिव ने कहा कि दोनों नेताओं ने तारीखों के बारे में बात नहीं की। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृपया अपनी सुविधा से यथाशीघ्र भारत आएं।

तारीख कूटनीतिक माध्यमों से तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का महत्व हम सब जानते हैं। भारत के लिए पोप का आगमन और पोप के लिए भारत की यात्रा, दोनों ही पहलुओं से यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण यात्रा होने वाली है। पोप की आखिरी भारत यात्रा 1999 में हुई थी। तब पोप जॉन पॉल द्वितीय भारत गए थे।

श्रृंगला ने कहा कि पोप भारत की यात्रा के विचार से बहुत खुश हैं क्योंकि वह कभी भी भारत नहीं गये हैं, उनके मन में भारत को लेकर बहुत ही काेमल भावना है। तभी उन्होंने भारत आने के निमंत्रण को महानतम उपहार कहा है।मोदी सबसे पहले पोप से एकांत में मिले और फिर प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक में शामिल हुए जिसमें वेटिकन के विदेश मामलों के मंत्री कार्डिनल पीत्रो पैरोलिन और वेटिकन के विदेश संबंध मंत्री आर्कबिशप पॉल रिचर्ड गालागेर शामिल थे।

मैक्रों से की मुलाकात : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की और दोनों नेताओं के बीच सामरिक द्विपक्षीय संबंधों और हिंद-प्रशांत क्षेत्र समेत आपसी एवं वैश्विक हितों के कई मुद्दों पर ‘सार्थक चर्चा’हुई।

अपने इतालवी समकक्ष मारियो द्रागी के निमंत्रण पर यहां आए प्रधानमंत्री मोदी के साथ मैक्रों से मुलाकात के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी थे। बैठक के बाद मोदी ने ट्वीट किया- रोम में अपने मित्र, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मिलकर प्रसन्नता हुई। हमारी वार्ता विविध क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने और लोगों से लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के इर्द-गिर्द केन्द्रित थी।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच जी20 ओआरजी शिखर सम्मेलन से इतर सार्थक चर्चा। भारत और फ्रांस विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सहयोग कर रहे हैं। आज की बातचीत से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को गति मिलेगी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि दोनों नेताओं ने विभिन्न विषयों पर भारत-फ्रांस सहयोग पर चर्चा की और रणनीतिक साझेदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रवक्ता ने बताया कि दोनों नेताओं ने वैश्विक और क्षेत्रीय घटनाक्रम पर भी चर्चा की।

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों को भारत आने का न्योता दिया है। फ्रांस द्वारा ऑकस (ऑस्ट्रेलिया-ब्रिटेन-अमेरिका) सुरक्षा साझेदारी की कड़ी आलोचना के बीच, दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर बातचीत के एक महीने से अधिक समय बाद यह बैठक हुई है।

श्रृंगला ने कहा कि बैठक के दौरान ऑकस का मुद्दा उठा लेकिन यह प्रमुख विषय नहीं था। उन्होंने कहा कि क्वाड पर चर्चा नहीं हुई। अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के ‘क्वाड’ समूह का गठन संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए एक नई रणनीति विकसित करने के लिए किया गया था।

श्रृंगला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने यूरोपीय संघ की हिंद-प्रशांत रणनीति का स्वागत किया।’’ उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने क्षेत्र में स्वतंत्र, खुले और समावेशी नियम-आधारित व्यवस्था के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के वास्ते नए और अभिनव तरीके खोजने के लिए हिन्द-प्रशांत में सहयोग करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। आगामी सीओपी 26 पर भी चर्चा हुई।

पिछले महीने टेलीफोन पर बातचीत के दौरान, दोनों नेताओं ने क्षेत्र को स्थिर, नियम-आधारित और किसी भी आधिपत्य से मुक्त रखने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ‘संयुक्त रूप से कार्य’ करने पर सहमति व्यक्त की थी। उस समय, दोनों नेताओं ने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते द्विपक्षीय सहयोग और इस क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने में भारत-फ्रांस साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका की समीक्षा की थी।
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