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Written By Author डॉ. रमेश रावत
Last Updated : गुरुवार, 4 जून 2020 (15:29 IST)

Special Story : पहली बार थमी मुंबई की रफ्तार, सरकार को लगा 10 लाख करोड़ का झटका

Special Story : पहली बार थमी मुंबई की रफ्तार, सरकार को लगा 10 लाख करोड़ का झटका - Mumbai in Corona Lockdown
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई होटल ताज सहित अनेक स्थानों पर हुए आंतकी हमलों और बम धमाकों से नहीं थमी, मूसलाधार बारिश एवं 2008 की भयंकर मंदी भी मुंबई की रफ्तार को नहीं रोक पाई, लेकिन कोरोना (Corona) के कहर से ठिठकी मुंबई भी आखिरकार थम ही गई। लॉकडाउन (Lockdown) ने न सिर्फ मुंबई बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्‍था को ही तहस-नहस कर दिया है।
 
आखिर कोविड-19 (Covid-19) का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ा है और भविष्य में इंडियन इकोनॉमी की स्थिति क्या होगी, इसी मुद्दे पर वेबदुनिया से चर्चा की उद्योगपति एवं कंस्ट्रक्शन केमिकल मैन्युफेक्चरिंग ऐसोसिएशन के अध्यक्ष, अर्थशास्त्री एवं मार्केटिंग गुरु डॉ. बजरंग लाल माहेश्वरी ने। उद्योग जगत में अपने 40 साल अनुभवों के आधार पर माहेश्वरी ने बताया कि आखिर अर्थव्यवस्था का ऊंट किस करवट बैठेगा।
 
डॉ. माहेश्वरी ने कहा कि कोरोना हमारे जीवन का एक हिस्सा बन चुका है। हमें इसके साथ रहकर काम करना होगा। यह बीमारी 3 से 6 महीने भी रह सकती है और एक या दो साल भी लग सकते हैं। इस समय देश और दुनिया में सबसे बड़ी डिबेट का विषय सिर्फ और सिर्फ कोरोना ही है। वैक्सीन आने और लोगों तक पहुंचने में भी समय लगेगा। 
 
क्या कोविड के डर से एक साल के लिए धंधा बंद कर दें, काम करना बंद कर दे? डॉ. माहेश्वरी ने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो अन्य कारणों से लोग परेशान होकर मर जाएंगे। भूखे मर जाएंगे, आर्थिक तंगी से मर जाएंगे। काम नहीं होगा तो अन्य प्रकार की बीमारियां जन्म लेने लगेंगी। आर्थिक चक्र थम जाएगा। अत: हमे कोविड के साथ काम करना सीखना होगा। 
 
उन्होंने कहा कि 1945 में भी टीबी की बीमारी आई थी। इस बीमारी से कई लोग मर गए थे। हवा के माध्यम से यह बीमारी उस समय फैलती थी। बड़े-बड़े शहरों के बाहर में टीबी सेनेटोरियम बनाए गए। वैक्सीन आया एवं इस बीमारी पर काबू पाया गया। हालांकि कोरोना टीबी से ज्यादा खतरनाक बीमारी है, जो संपर्क से फैलती है। 
 
सरकार के हाथ से फिसले 10 लाख करोड़ : मुंबई को बंद हुए 2 माह से ज्यादा का वक्त हो चुका है। व्यापार-व्यवसाय बंद हैं, सरकार को भी रेवेन्यू मिलना बंद हो गया है। दो महीने में सरकार को करीब 6 लाख करोड़ के राजस्व का नुकसान का अनुमान है। इससे इम्पोर्ट एवं एक्सपोर्ट सहित सभी प्रकार के व्यापार पर असर हुआ है। सरकार को इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट ड्‍यूटी के साथ ही GST एवं इनकम टैक्स भी समय पर नहीं मिल पाया। व्यापार के अन्य प्रकार के टैक्स जो कि सरकार को मिलने चाहिए थे, वे भी नहीं मिल पाए हैं। 
 
दूसरी ओर, महाराष्ट्र सरकार कोरोना से निपटने में दो महीने में करीब 4 लाख करोड़ खर्च कर चुकी है। इस प्रकार से सरकार के पास से 6 लाख करोड़ रुपए रवेन्यू एवं करीब 4 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च के रूप में, कुल 10 लाख करोड़ रुपए सरकार के हाथ से निकलने का अनुमान है। सरकार का सालाना बजट करीब 25 लाख करोड़ रुपए का है। उसमें से 10 लाख करोड़ अर्थात इकोनॉमी का 40 प्रतिशत इन दो महीनों में ही खत्म हो गया है।
 
कोविड का आर्थिक प्रभाव : इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले समय में आर्थिक सुधार होंगे। यह सभी सुधार हम सबको ही मिलकर ही करने होंगे। सरकार के विभिन्न प्रोजेक्ट हैं, इनमें पैसे तत्काल आना मुश्किल हैं। यह आगे बढ़ेंगे। मेरे अनुमान से अब 2020-21 तो खराब जाएगा ही। 2022 एवं 2023 भी प्रभावित होंगे। सभी प्रकार की इंडस्ट्री में इसका असर देखने को मिलेगा। चाहे वह होटल, पर्यटन, ऑटोमोबाइल हो या अन्य क्षेत्र। रोजगार के अवसर कम होंगे। 
 
शहर छोड़कर लोग गांवों की तरफ जा रहे हैं तो वहां पर रोजगार उन्हें कहां से मिलेगा। यदि वहां रेाजगार होता तो वे शहरों की तरफ पलायन ही क्यों करते। वहां उन्हें खाना मिलता रहेगा, लेकिन आर्थिक रूप से वे इतने साउंड नहीं होंगे। स्माल कंज्यूमर्स अभी चलेंगे नहीं।
 
घटेगी खर्च करने की क्षमता : लोगों के वेतन में 25 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक कटौती हुई है। इससे लोगों की खर्च करने की क्षमता कम हुई है। लोग बहुत जरूरी आवश्यकताओं पर ही खर्च करेंगे। कोई नई गाड़ी नहीं खरीदेगा, गहने एवं महंगी चीजें लोग बहुत आवश्यक होने पर ही खरीदेंगे। जमीन, मकानों की बिक्री कम होगी।
 
अब लोग घूमने नहीं जाएंगे एवं पर्यटन स्थल, तीर्थ स्थान सूने रहेंगे। व्यक्ति घर चलाने के लिए जितना जरूरी है, उतना ही खर्च करेगा। व्यक्ति पहले 100 रुपए कमाने पर 80 रुपए खर्च करता था, अब 30 से 40 रुपए खर्च करेगा। बाकी भविष्य के लिए बचाएगा।
 
कहने का तात्पर्य है कि यदि लॉकडाउन जल्द खुलता भी है तो उद्योगों को चलाने में दिक्कत तो होगी। स्माल स्केल वालों को मजदूर नहीं मिलने से ओर तकलीफ आएगी।  

मार्केटिंग गुरु डॉ. बीएल माहेश्वरी : राजस्थान के सीकर जिले में जन्मे सीमेंट इंडस्ट्री में पीएचडी धारक मार्केटिंग गुरु डॉ. बजरंग लाल माहेश्वरी की पहचान उद्योगपति के साथ ही आर्थिक विश्लेषक एवं अर्थशास्त्री के रूप में भी है। बिरला व्हाइट, बिरला सुपर, ईमामी गुप, दिग्विजय सीमेंट, नर्मदा सीमेंट, राजश्री सीमेंट, श्री सीमेंट, रॉफ कन्स्ट्रक्शन आदि कंपनियों में प्रेसिडेंट, वाईसप्रेसिडेंट, सीईओ सहित अन्य सीनियर पदों पर कार्य कर चुके हैं।
 
वर्तमान में बतौर एंटरप्रेन्योर एक्वाप्रुफ कंस्ट्रक्शन प्रालि के एमडी के साथ ही कंस्ट्रक्शन केमिकल मैन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन इंडिया के अध्यक्ष भी हैं। 'मार्केटिंग स्ट्रेटजी इन सीमेंट इंडस्ट्री इन इंडिया' नाम से आपने पुस्तक भी लिखी है। कॉर्पोरेट ट्रेनर माहेश्वरी को विभिन्न मंचों पर सम्मानित भी किया जा चुका है। अपने दो ट्रस्ट- बसंती देवी शारदा चेरीटेबल ट्रस्ट एवं डॉ. बजरंगलाल माहेवरी फाउंडेशन के माध्यम से आप समाजसेवा के कार्य भी करते आ रहे हैं।