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Last Modified: गुरुवार, 24 जून 2021 (16:51 IST)

मुंबई में 2000 से ज्यादा लोग हुए फर्जी टीकाकरण का शिकार, सरकार ने कोर्ट को बताया

मुंबई में 2000 से ज्यादा लोग हुए फर्जी टीकाकरण का शिकार, सरकार ने कोर्ट को बताया - More than 2000 people became victims of fake vaccination in Mumbai
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय को गुरुवार को बताया कि मुंबई में अब तक 2000 से अधिक लोग कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 रोधी टीकाकरण के फर्जी शिविरों के शिकार बने हैं। राज्य सरकार के अधिवक्ता मुख्य लोक अभियोजक दीपक ठाकरे ने अदालत को बताया कि शहर में अब तक कम से कम 9 फर्जी शिविरों का आयोजन किया गया और इस सिलसिले में 4 अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।

राज्य सरकार ने इस मामले में जारी जांच संबंधी स्थिति रिपोर्ट भी अदालत में दाखिल की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ को महाराष्ट्र की ओर से सूचित किया गया। पुलिस ने अब तक 400 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं और जांचकर्ता आरोपी चिकित्सक का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि उपनगर कांदीवली की एक आवासीय सोसाइटी में फर्जी टीकाकरण शिविर लगा था, उसी मामले में एक चिकित्सक आरोपी है। ठाकरे ने कहा, कम से कम 2,053 लोग इन फर्जी टीकाकरण शिविरों का शिकार बने। इन शिविरों के आयोजन के मामले में चार प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। कुछ आरोपियों की पहचान हो चुकी है, वहीं अनेक अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई है।

पीठ ने राज्य की रिपोर्ट स्वीकार करते हुए कहा कि राज्य सरकार और निगम अधिकारियों को इस बीच पीड़ितों में फर्जी टीकों के दुष्प्रभाव का पता लगाने के लिए उनकी जांच करवाने के लिए कदम उठाने चाहिए। उसने कहा, हमारी चिंता इस बात को लेकर है कि टीका लगवाने (फर्जी टीकाकरण शिविरों में) वाले इन लोगों के साथ क्या हो रहा है। उन्हें क्या लगाया गया और फर्जी टीके का क्या असर पड़ा?

पीठ ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि राज्य सरकार ने निजी आवासीय सोसाइटियों, कार्यालयों आदि में टीकाकरण शिविर आयोजित करने संबंधी विशेष दिशा-निर्देश तय नहीं किए हैं वह भी तब, जबकि अदालत इस बारे में इस महीने की शुरुआत में आदेश दे चुकी है।
बृहन्मुंबई महानगरपालिका की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने बताया, हमें पता चला है कि जिस दिन लोगों को फर्जी टीका लगाए गए, उन्हें टीकाकरण प्रमाण पत्र उसी दिन नहीं दिए गए। बाद में ये प्रमाण पत्र तीन अलग-अलग अस्पतालों के नाम पर जारी किए गए।
तब जाकर लोगों को यह अहसास हुआ कि कहीं कुछ गड़बड़ है। इन अस्पतालों ने कहा कि उन शिविरों में जिन शीशियों का इस्तेमाल हुआ वे उन्होंने उपलब्ध नहीं करवाई थीं। हमने इस बारे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को भी पत्र लिखा है।

अदालत ने बीएमसी और राज्य सरकार से कहा कि वे इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 29 जून को अदालत के सवालों और निर्देशों से संबंधित जवाब के साथ अपने हलफनामे दाखिल करें।(भाषा)
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