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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 19 जून 2021 (14:56 IST)

नजरिया:कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए वैक्सीनेशन के साथ मास्क,सोशल डिस्टेंसिंग को लोग समझें अपना ‘नागरिक कर्तव्य’

मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी का नजरिया

नजरिया:कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए वैक्सीनेशन के साथ मास्क,सोशल डिस्टेंसिंग को लोग समझें अपना ‘नागरिक कर्तव्य’ - Mask and social distancing with vaccination will stop the third wave of corona
मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर को काबू में करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन को अभी पूरी तरह हटाया भी नहीं गया है कि कोरोना की तीसरी लहर की आहट सुनाई पड़ने लगी है। अनलॉक होते ही लोगों का मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कोविड प्रोटोकॉल के प्रति गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के चलते हेल्थ से जुड़े एक्सपर्ट मान रहे है कि कोरोना की तीसरी लहर 4-8 सप्ताह में दस्तक दे सकती है। 
 
कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए सबसे जरुरी है लोगों को मास्क,सोशल डिस्टेंसिंग के साथ वैक्सीनेशन के लिए जागरुक करना। मध्यप्रदेश सरकार 21 जून से वैक्सीनेशन को लेकर महाअभियान शुरु कर अक्टूबर तक ज्यादातर लोगों के वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा है।    
जानलेवा कोरोना महामारी की भयावहता को लोग पहली और दूसरी लहर में बहुत नजदीक से देख चुके है लेकिन उसके बाद आखिर लोग क्यों नहीं मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के साथ वैक्सीन लगवाने के लिए स्वेच्छा से आगे आ रहे है,इसको समझने के लिए ‘वेबदुनिया’ ने मशूहर मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी से खास बातचीत की। 
 
कोरोना महामारी और लोगों की मनोदशा को लेकर मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी के विचार पढ़ें उन्हीं के शब्दों में।   
 
कोरोना वायरस आज हमारे घर तक पहुंच चुका है। कोरोना की दूसरी लहर ने पहली लहर से अधिक घातक होकर कहर बरपाया और लोग बहुत तेजी से महामारी की चपेट में आए है। दूसरी लहर में रोगियों की संख्या में अचानक हुई वृद्धि के साथ-साथ अपेक्षाकृत मुत्यु दर भी बढ़ी हुई नजर आ रही है। 
 
भले ही आज कोरोना संक्रमण कम हो गया हो लेकिन एक चिकित्सक के नाते मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहूंगा कि कोरोना वायरस कहीं गया नहीं है यह अब भी मौजूद है,इसलिए हमको लापरवाह नहीं होना है और कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हमें अपने जीवन में कोरोना अनुकूल व्यवहार को अपनाना ही होगा और इसे अपनी दिनचर्या में शामिल ही करना होगा। 
 
एक मनोचिकित्सक होने के नाते इस बात को कहने में मुझे कोई भी संकोच नहीं है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ ही साथ हम सबको अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा। वास्तविक स्थिति को आत्मसात कर मानसिक तौर पर हम सभी को कोरोना के खिलाफ जीतने का संकल्प लेना होगा।  
 
कोविड-19 संक्रमण के बीच मानसिक स्वास्थ्य पर किये जा रहे सभी शोध पत्रों का निष्कर्ष यही है कि महामारी का मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। मानसिक रोग बाह्य रूप से विध्वंसक दिखाई नहीं देते इसलिए इन रोगों के प्रति गंभीरता का अभाव रहता है,जबकि किसी भी देश की उत्पादकता का सीधा संबंध उसके नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर होता है।
 
पारिवारिक जुड़ाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य का सबसे बड़ा संरक्षक है। अपनों से लगातार संवाद बनाए रखें,टेक्नोलॉजी के माध्यम से अपने दूरस्थ दोस्तों,रिश्तेदारों से बातें करते रहें। घर के बुजुर्गों और बच्चों  का विशेष ध्यान रखें। अधिकांश बुजुर्ग टेक्नोलॉजी से नहीं जुड़े रहने के कारण काफी अकेला महसूस कर रहे हैं। बच्चों को जीवन कौशल सिखाएं,खेलकूद में उनके साथ समय गुजारें। 
 
कोविडकाल में कई बार हल्के फुल्के नकारात्मक भाव आना स्वाभाविक है जो कि हमें इन स्थितियों का सामना करने के लिए प्रेरित करते हैं। योग और व्यायाम कोरोना काल में डिप्रेशन और एंजाइटी डिसऑर्डर से बचने हेतु बड़ा हथियार है। ‘योग से निरोग’ जैसे मध्यप्रदेश सरकार के कार्यक्रम को मैं काफी अच्छी पहल मानता हूं जिनसें होम आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना संक्रमित और कोरोना से रिकवर हो रहे लोगों को मानसिक रूप में संबल प्रदान करने के साथ ही डिप्रेशन से भी बचाया। योग हमारे शारिरिक और मानसिक दोनों रूप से फिट रखता है। 
 
अगर आप या आपके किसी परिजन को कोरोना संक्रमण हो जाए तो धीरज,विवेक और कुशल योजना से इसे जीता जा सकता है। अपने लक्षणों को स्वीकारते हुए चिकित्सकीय परामर्श आपको न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर रखेगा। मध्यप्रदेश सरकार के भी आंकड़े बताते है कि कोरोना की दूसरी लहर में जब प्रदेश में 13 हजार से अधिक केस आ रहे थे तब 75 फीसदी से अधिक संक्रमित लोगों ने होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना की जंग जीती है। 
 
हम सभी आज इस बात से भली भांति परिचित है कि वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ अभी एक लंबी लड़ाई लड़ी जानी शेष है। ऐसे में सरकारों को एक विस्तृत और दीर्धकालिक कार्ययोजना बनाकर काम करना होगा।

एक मनोचिकित्सक के नाते मेरे विचार से यह वह समय है है जब सरकार को कम्युनिटी लेवल पर जनजागरुकता अभियान बड़े पैमाने पर चलाकर वैक्सीनेशन,मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को एक “नागरिक कर्तव्य” के रुप में स्थापित करना होगा। अब वह समय आ गया है कि जब देश के हर नागरिक में समाज के प्रति एक नागरिक बोध की भावना को जागृत करना होगा इसके लिए सरकार और समाज को अपनी-अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य का समझना होगा और इसके अनुसार कार्य करना होगा। ऐसा करके हम वैश्विक महामारी कोरोना को परास्त कर एक न्यू नार्मल समाज की परिकल्पना को धरातल पर उतार सकेंगे।
 
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