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Last Updated : रविवार, 13 सितम्बर 2020 (19:25 IST)

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन बोले- मार्च तक आ सकती है Corona Vaccine, आशंका हो तो पहला डोज लेने के लिए तैयार

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन बोले- मार्च तक आ सकती है Corona Vaccine, आशंका हो तो पहला डोज लेने के लिए तैयार - i shall be the first to offer myself for receiving covid vaccine if people have a trust deficit health minister dr harsh vardhan
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (dr harsh vardhan) ने आज कहा कि अगले साल मार्च तक कोरोना वैक्सीन तैयार हो सकती है और अगर लोगों को इसके सुरक्षा पहलू को लेकर आशंका है, तो वे खुशी-खुशी खुद वैक्सीन का पहला डोज लेने को तैयार हैं।
 
डॉ. हर्षवर्धन ने ‘संडे संवाद’ के नाम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक नया कार्यक्रम शुरू किया है, जहां वे लोगों के सवालों का जवाब देते हैं। इस कार्यक्रम की शुरुआत गत रविवार को होनी थी, लेकिन उनकी माताजी के निधन के कारण यह संवाद आज से शुरू हुआ। उन्होंने इस कार्यक्रम के दौरान कोरोनावायरस कोविड-19 के प्रबंधन और कोरोना वैक्सीन से संबंधित कईं सवालों के जवाब दिए।
 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोरोना वैक्सीन के लांच की अभी कोई तिथि तय नहीं की गई लेकिन यह अगले साल की पहली तिमाही में तैयार हो सकता है। सरकार वैक्सीन के मानव परीक्षण के लिए सभी सावधानियां बरत रही है और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल की अध्यक्षता में कोविड-19 के वैक्सीन के बारे में राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया है।
यह विशेषज्ञ समूह यह तय करेगा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दी जा सके। इसके अलावा वैक्सीन सुरक्षा, इसकी कीमत, कोल्ड-चेन आवश्यकता, विनिर्माण के मुद्दों पर भी सघन चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि मैं भरोसा दिलाना चाहता हूं कि पहले वैक्सीन उन्हें दी जाएगी, जिन्हें इनकी बहुत जरूरत हो, भले ही उनकी भुगतान क्षमता हो या नहीं।
 
केन्द्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार कोविड-19 के वैक्सीन के आपात अधिकार पत्र (ऑथोराइजेशन) पर विचार कर रही है। यदि इस पर सहमति होती है तो इस पर आगे काम किया जाएगा, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और अधिक जोखिम वाले स्थानों पर काम करने वाले लोगों के लिए। यह कार्य आम सहमति होने के बाद किया जाएगा।
वैक्सीन के सुरक्षा पहलुओं से जुड़ी आशंकाओं को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि  कोरोना वैक्सीन के बारे में यदि किसी को आशंका है तो मैं वैक्सीन का पहला डोज खुद ही खुशी से लेने को तैयार हूं।

उन्होंने कहा कि एक सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन ही कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता बनाने में मदद कर सकती है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने भारतीय विनिर्माताओं को एक मौका दिया और पहले जहां एक भी स्वदेशी पीपीई किट निर्माता नहीं था, वहां अब करीब 110 स्वदेशी पीपीई किट निर्माता मानकों के अनुसार किट का निर्माण कर रहे हैं। ये न केवल देश की आवश्यकताएं पूरी कर रहे हैं, बल्कि अन्य देशों को स्वदेशी किट का निर्यात भी किया जा रहा है।

इसी तरह मेक इन इंडिया पहल की शुरुआत की गई, जिसके अंतर्गत कोरोना टेस्ट किट, वेंटीलेटर और रेमडेसिविर जैसी दवाओं को स्वदेशी स्तर पर बनाने को बढ़ावा दिया गया। विभिन्न मंत्रालयों के साथ भागीदारी में स्वदेशी विनिर्माताओं को बढ़ावा देने की कार्य नीति बनाई गई है।
 
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार ने निजी अस्पतालों में कोविड-19 के उपचार को किफायती बनाने के लिए राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 के मरीजों के लिए 5 लाख रुपए तक की फ्री कवरेज देने की शुरुआत की है।

उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत – पीएम-जेएवाई पैकेज के अंतर्गत पात्र व्यक्तियों को यह लाभ मिल रहा है। इसके अलावा राज्यों में केन्द्र सरकार स्वास्थ्य योजना(सीजीएचएस) की दरें लागू हैं। केंद्र सरकार ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ सक्रिय रूप से विचार-विमर्श कर उन्हें सरकारी और निजी स्वास्थ्य केन्द्रों में पूलिंग पर विचार करने को कहा है। इससे कोविड-19 के मरीजों को गुणवत्तापूर्ण किफायती स्वास्थ्य देखभाल तुरंत मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि मैंने स्वयं निजी अस्पतालों से अपील की है कि वे कोविड मरीजों से अधिक दरें वसूलने से बचें।
 
महामारी के शुरुआती दौर में कंवल्सेंट प्लाज्मा थेरेपी और रेमडेसिविर सामान्यजन के पहुंच में नहीं होने पर केन्द्रीय मंत्री ने खेद व्यक्त किया, क्योंकि इन पर कालाबाजारी की कथित खबरें मिल रही थीं। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इन खबरों को देखने के बाद सरकार ने काफी सतर्कता बरती। इसी कारण अब इनकी कीमतें अन्य देशों के मुकाबले कम हैं।

हमने रेमडेसिविर जैसी दवाओं की कथित कालाबाजारी की खबरों का संज्ञान लिया और केन्द्रीय दवा मानक संगठन ‘सीडीएससीओ’ से अपने राज्य शाखाओं के साथ मिलकर समुचित कार्रवाई करने को कहा। 
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार को संक्रमण के उभरते स्वरूप और संक्रमित लोगों में स्वास्थ्य की जटिलताओं के उभरते प्रमाण की जानकारी है।

उन्होंने कहा कि एम्स और अन्य अनुसंधान संस्थानों से कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभाव का अध्ययन करने के लिए कहा गया है। आईसीएमआर कोविड-19 पर एक राष्ट्रीय क्लीनिकल रजिस्ट्री स्थापित कर रहा है, जो कोविड-19 के रोग के दौरान नैदानिक जानकारी प्रदान करेगा। उभरते प्रमाण की समीक्षा और अंग प्रणाली में श्वश्न प्रणाली, मूत्र प्रणाली, कार्डियोवास्कुलर और गेस्ट्रोइनटेस्टिनल पर प्रभाव का डेटा प्राप्त करने के लिए विशेषज्ञ समूह से परामर्श लिए जा रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि निहित स्वार्थ के तहत कुछ लोग केंद्र के अत्यंत महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय डिजिटल हेल्थ मिशन को लेकर भ्रांतियां और दुष्प्रचार फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत को डिजिटल हेल्थ के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व देना है। उन्होंने कहा कि डिजिटल हेल्थ स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में कुशलता, प्रभावशीलता और पारदर्शिता में काफी सुधार लाएगा।
इससे वित्तीय जोखिम सुरक्षा समेत सार्वभौम स्वास्थ्य कवरेज के संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास लक्ष्य 3.8 को हासिल करने में बड़ी सफलता मिल सकेगी। ​उन्होंने स्पष्ट किया कि डिजिटल स्वास्थ्य की व्यवस्था में भागीदारी वैकल्पिक होगी और इसे कभी किसी व्यक्ति के लिए अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा।
 
सामान्यजनों की आशंकाओं को निर्मूल बताते हुए उन्होंने कहा कि यह सफेद झूठ है कि एनडीएचएम की व्यवस्था में शामिल नहीं होने वालों को अस्पताल में सुविधाएं नहीं मिलेंगी। जो व्यक्ति और संस्थान इस व्यवस्था में शामिल नहीं होंगे, उन्हें वर्तमान समय की तरह स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली तक पहुंच मिलती रहेगी। (वार्ता)