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Last Updated : शनिवार, 22 मई 2021 (18:07 IST)

आखि‍र क्‍यों विदेश यात्राएं करने वाले भारतीय ‘कोवैक्‍सिन’ की बजाए ‘कोविशील्‍ड’ वैक्‍सीन ही लगवाना चाहते हैं?

आखि‍र क्‍यों विदेश यात्राएं करने वाले भारतीय ‘कोवैक्‍सिन’ की बजाए ‘कोविशील्‍ड’ वैक्‍सीन ही लगवाना चाहते हैं? - Covishield, covaxin, vaccine
कोरोना से बचने के लिए इस वक्‍त जो सबसे ज्‍यादा अहम है वो वैक्‍सीनेशन है। भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जिसने अपने लोगों के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सिन नाम की दो वैक्‍सीन का उत्‍पादन कर लिया है। जबकि तीसरी वैक्‍सीन के रूप में रूस की स्पूतनिक वी को मंगाने की तैयारी भी चल रही है।

इस समय देश में लोगों को जो भी वैक्सीन उपलब्ध हो रही है, वे जल्दी से जल्दी उसे लगवा लेने में ही भलाई समझ रहे हैं। लेकिन, कुछ अमीर लोग और विदेशों की यात्राएं करने वाले लोग अपनी पसंद की वैक्सीन ही लगवाना चााहते हैं, हालांकि इसकी खास वजह है। ये वो लोग हैं, जिन्हें आने वाले कुछ समय में विदेश जाना है। वे चाहते हैं कि वे सिर्फ कोविशील्ड की ही डोज लें, क्‍योंकि कोविशील्‍ड ही वो वैक्‍सीन है जिसे ज्यादा देशों ने आधिकारिक तौर पर मंजूरी दे दी है। जबकि कोवैक्सिन को मंजूरी देने वाले देशों की सूची अभी बेहद छोटी है।

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड को विकसित तो ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका ने किया है, लेकिन इसकी ट्रायल एक-साथ भारत और यूके दोनों जगह की गई थी। लेकिन, कोवैक्सिन पूरी तरह से देसी वैक्सीन है, जिसे पूरी तरह से भारत में ट्रायल के बाद स्वदेशी कंपनी भारत बायोटेक ने बनाया है।

भारत सरकार ने फाइनल फेज की ट्रायल पूरा होने से पहले इसकी इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी थी और उस समय इसको लेकर कई तरह की आशंका पैदा करने की भी कोशिश की गई थी। हालांकि, बाद में जितने भी सर्वे हुए और रिसर्च पेपर सामने आए, उन सबने इसे बहुत ही ज्यादा प्रभावी माना और हर तरह के नए वेरिएंट के खिलाफ कारगर हथियार भी बताया। लेकिन मीडि‍या की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया में ज्यादातर बड़े देशों ने इसे फिलहाल हरी झंडी नहीं दी है। इसलिए, निकट भविष्य में संबंधित देशों की यात्रा करने वाले लोग इसे लगवाने से कतरा रहे हैं।

रिपोर्ट में कोविड19 डॉट ट्रैकवैक्सीन डॉट ओरजी के हवाले से कहा गया है कि फिलहाल 10 से भी कम देशों ने कोवैक्सिन को आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी है और अधिकतर देश भारत से आने वाले लोगों के लिए सिर्फ कोविशील्ड की सुरक्षा कवच को ही ग्रीन सिग्नल दे रहे हैं। इसके मुताबिक जिन्होंने कोवैक्सिन का टीका लिया है, उन्हें हो सकता है कि दूसरे देश रोकें नहीं।

फिर भी निकट भविष्य में विदेश यात्रा पर जाने वाले लोगों में एक धारणा बनी है कि वह कोविशील्ड लगवाने को ही प्राथमिकता दे रहे हैं, क्योंकि उनके गंतव्य देश ने आधिकारिक तौर पर उसे ही फिलहाल मंजूर दे रखी है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि अमेरिका या ब्रिटेन जैसे देश भविष्य में कोवैक्सिन को मंजूरी नहीं देंगे। लेकिन, जब तक यह आधिकारिक नहीं होता लोगों के मन में एक हिचकिचाहट बनी हुई है।

वैसे अमेरिका ने कोविशील्ड को भी मंजूरी नहीं दी हुई है, लेकिन वहां इसका क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। जबकि, कोवैक्सिन पर भारत के बाहर कहीं भी ट्रायल नहीं हो रहा है।

विदेश जाने की तैयारी कर रहे लोग इस सोच में पड़े हुए हैं कि कई देश अब 'वैक्सीन पासपोर्ट' पर जोर देने वाले हैं। ऐसा नहीं होने पर वह आने वाले विदेश यात्रियों को एयरपोर्ट से ही दो हफ्ते के लिए अनिवार्य क्वारंटीन के लिए होटल भेज सकते हैं। यही वजह है कि लोग कोविशील्ड ही लगवाना चाहते हैं, जिसकी ज्यादातर देशों में मंजूरी मिलने की उन्हें संभावना लग रही है। ऐसे लोगों में ज्यादातर वो स्टूडेंट हैं, जो सामान्य तौर पर अगस्त-सितंबर में निकलते हैं। उन्हें चिंता है कि अगर कोवैक्सिन लगवाकर पहुंचे और क्वारंटीन के लिए होटल भेज दिया तो काफी महंगा पड़ा सकता है। इसलिए वह कोविशील्ड का टीका लगवाने में ही भलाई समझ रहे हैं।

जिन देशों ने अभी तक कोवैक्सिन को हरी झंडी दिखा रखी है, उनमें ईरान, नेपाल, फिलीपींस, मॉरीशस, जिम्बाब्वे, पैराग्वे, गुयाना और मेक्सिको जैसे देश शामिल हैं।
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