मेरठ : ऑक्सीजन खत्म होने पर 5 मरीजों की मौत, लापरवाही का आरोप लगाकर परिजनों ने किया हंगामा और तोड़फोड़
मेरठ। मेरठ में ऐसा कोई कोविड अस्पताल नहीं जहां ऑक्सीजन खत्म होने और हाहाकार मचने की खबरें न हो। ऐसे में तीमारदार खुद ऑक्सीजन का प्रबंध करने के लिए धक्के खा रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने ऑक्सीजन सप्लाई को निरंतर बनाए रखने के लिए कई टीमें गठित की हुई हैं, लेकिन फिर भी दिल दहला देने वाले हादसे हो रहे हैं।
ताजा मामला मेरठ के निजी अस्पताल न्यूट्रिमा का है, जहां ऑक्सीजन गैस खत्म होने से 5 लोगों की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने रविवार देर शाम में उन्हें ऑक्सीजन खत्म होने की जानकारी देते हुए गैस प्रबंध करने के लिए कहा।
परिजन ऑक्सीजन के प्रबंध में.लगे हुए थे तो अस्पताल ने जानकारी दी की उनका पेशेंट अब नहीं रहा है। मौत से आहत परिजनों ने अस्पताल में हंगामा करते हुए तोड़फोड़ और मारपीट कर दी। मौके की नजाकत भांपते हुए कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंच गई।
न्यूट्रिमा अस्पताल में 10 दिन पहले हापुड़ जिले के रहने वाले पवन का निमोनिया बिगड़ने के चलत सांस लेने की दिक्कत पर भर्ती कराया गया था।
ऑक्सीजन लेबल कम होने पर वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया। वहीं रविवार को अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हो गई। परिजनों को ऑक्सीजन लाने के लिए कहा गया। परिजन एक प्लांट से दूसरे प्लांट आक्सीजन सिलेंडर लेकर जा रहे थे, तभी उनको सूचना मिली की पवन अब दुनिया में नही रहा। सूचना पर तीमारदारों ने डॉक्टरों से बात करने का प्रयास किया तो कहासुनी हो गई। परिजनों ने हंगामा करते हुए ऑक्सीजन कमी के चलते 7 लोगों की मौत का आरोप लगाया है।
न्यूट्रिमा अस्पताल प्रशासन का कहना है कि वर्तमान में 106 मरीज ऑक्सीजन पर भर्ती हैं। प्रत्येक घंटे 10 सिलेंडर की आवश्यकता पड़ती है। आवश्यकता के अनुरूप गैस नहीं मिल रही है। प्रशासन को कई बार मरीज के जीवन का वास्ता और आगामी खतरों के बारे में बताया भी गया है, लेकिन आपूर्ति से पहले ही कुछ मरीजों की मौत हो गई, जो दुखद है। अस्पताल के सभी डॉक्टर दिन-रात मरीजों की सेवा में लगे हैं, किसी स्तर पर कोई लापरवाही नहीं की जा रही है।
मेरठ में ऐसा कोई हॉस्पिटल नहीं जहां ऑक्सीजन की किल्लत न हो। प्रशासन की कई टीमें ऑक्सीजन और जीवनरक्षक दवाओं की कमी न होने देने के लिए काम कर रही हैं, लेकिन रोगियों की लगातार बढ़ती संख्या और कालाबाज़ारी के चलते रोगियों को समुचित इलाज भी नहीं मिल पा रहा है। गंभीर स्थिति वाले रोगी भी अस्पतालों में बेड मिलने के लिए वेटिंग में है। एक तरफ ट्रीटमेंट शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहे रोगियों की कतार है तो वहीं दूसरी ओर एडमिट रोगियों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। लेकिन मेरठ प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग स्थिति नियंत्रण में बता रहे हैं।
कुछ दिन पहले भी लगभग सभी कोविड हॉस्पिटल्स में ऑक्सीजन की शॉर्टेज हुई तो हॉस्पिटल्स ने रोगियों के तीमारदारों से ऑक्सीजन का प्रबंध करने अथवा अपने मरीजों को अन्यत्र ले जाने के लिए कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया जिसको लेकर कई जगह हंगामे हुए। हाहाकार मच गया। ऐसी कुछ जगहों से हॉस्पिटल्स प्रबंधन ने प्रशासन से समन्वय कर कुछ रोगियों को दूसरे हॉस्पिटल्स में शिफ्ट भी कराया था। इन नामचीन अस्पतालों में उस समय ऑक्सीजन कमी से 21 लोगों की दम घुटने से मौत हो गई।
आज फिर एक नामचीन अस्पताल में 5 मौतें हुई है जिसे देखकर यह कहा जा सकता है कि पिछले दिनों ऑक्सीजन की कमी से मौतों से न तो अस्पताल प्रबंधन ने सबक लिया है और न ही प्रशासन ने। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कुछ लोग स्थिति को पैनिक कर रहे हैं। सिलेंडर की जमाखोरी हो रही है। न्यूट्रिमा अस्पताल में गैस की किल्लत से सीएमओ पल्ला झाड़ रहे हैं।
हालांकि प्रशासन ऑक्सीजन खत्म हो जाने से होने वाली मौतों पर जांच की बात कर रहा है। मेरठ डीएम ने भी अब तक हुई कोविड मौतों की विस्तृत जांच शुरू करा दी है और हॉस्पिटल्स को मृत्यु का कारण सहित मरने वालों की सूची मांगी है।