छत्तीसगढ़ में वोट बढ़े, सीटें नहीं
इस बार अधिक वोट पर भी प्रदेश की तीनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों की सीटें ज्यों की त्यों रही हैं। भाजपा पिछले चुनाव के मुकाबले सिर्फ एक प्रतिशत अधिक वोट हासिल कर दोबारा सत्ता में काबिज हो गई। वहीं, राकांपा से समझौता करने के बाद भी कांग्रेस सत्तासीन नहीं हो सकी। हालाँकि उसके वोट में दो प्रतिशत का इजाफा हुआ है। बसपा इस बार भी मात्र दो सीटें ही जीत पाईं जबकि उसके वोट प्रतिशत में डेढ़ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।इस बार मतदाताओं की संख्या बढ़ने के कारण वोटों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इस बार मतदान लगभग 70 प्रतिशत रहा, जो पिछले चुनाव की तुलना में एक प्रतिशत कम है। पिछले चुनाव में 71.30 प्रतिशत वोट पड़े थे। भाजपा ने पिछले चुनाव में 39.26 प्रतिशत वोट बटोरे थे, जो बढ़कर 40.33 प्रतिशत हो गए मगर उसकी सीट में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। इस बार भी उसे 50 सीटें ही मिलीं यानी भाजपा न तो फायदे में रही और न ही घाटे में। भाजपा के बड़े-बड़े दिग्गज हार गए, वहीं कई नए चेहरे जीत गए। धमतरी, महासमुंद व रायगढ़ जिले में कुछ सीटें गँवानी पड़ी तो सरगुजा व बस्तर संभाग में कई नई सीटें भाजपा की झोली में आईं। पिछले चुनाव में राकांपा के सात प्रतिशत वोट से कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई थी। इस नुकसान को पूरा करने के लिए कांग्रेस ने राकांपा को तीन सीटें दीं, लेकिन वें काम न आईं। तीनों सीटें राकांपा हार गईं और उसका फायदा भाजपा को मिला। कांग्रेस को पिछले चुनाव में 36.71 प्रतिशत वोट मिले थे, जो इस बार बढ़कर 38.63 प्रतिशत हो गए। इस चुनाव में वोट के प्रतिशत के हिसाब से बसपा की ताकत बढ़ी है, लेकिन उसे इस बार भी मात्र दो सीटें ही मिली हैं। 2003 में बसपा ने सारंगढ़ व मालखरौदा सीटें जीती थीं। इस बार उसे अकलतरा व पामगढ़ में सफलता हासिल हुई है। पिछले चुनाव में बसपा का वोट 4.45 प्रतिशत था, जो बढ़कर 6.11 हो गया। कम्युनिस्टों का जनाधार यथावत : कम्युनिस्टों का जनाधार भी यथावत रहा। वोट प्रतिशत में ज्यादा कुछ फेरबदल नहीं हुआ। भाकपा के वोट प्रतिशत में भी 0.08 प्रतिशत का इजाफा हो हुआ, लेकिन इस बार भी उसका खाता नहीं खुला। कोटा, दंतेवाड़ा व चित्रकोट में भाकपा ने कांग्रेस व भाजपा को अच्छी टक्कर दी। निर्दलीयों ने बटोरे 6 फीसदी ज्यादा वोट : निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी इस बार खेल बिगाड़ने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने इस बार 13.03 प्रतिशत वोट बटोरे, जबकि पिछले चुनाव में मात्र 7.12 प्रतिशत वोट ही मिले थे। (नईदुनिया)