Chhattisgarh elections: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के 120 गांवों के मतदाताओं को आजादी के बाद पहली बार अपने गांवों में मतदान करने का अवसर मिलेगा। विधानसभा चुनाव (Election Commission) के लिए 7 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए निर्वाचन आयोग इन गांवों में मतदान केंद्र स्थापित करेगा।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए 2 चरणों (7 और 17 नवंबर) में मतदान होगा। जबकि मतगणना तीन दिसंबर को होगी। अधिकारियों के मुताबिक इससे पहले इनमें से अधिकांश गांवों के मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए लगभग 8 से 10 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ियों और नालों को पार करना पड़ता था। इससे उनके लिए चुनावी प्रक्रिया में उत्साहपूर्वक भाग लेना मुश्किल हो जाता था।
अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र के अंदरुनी इलाकों में नए मतदान केंद्रों की स्थापना से संकेत मिलता है कि पहले जिस क्षेत्र को नक्सली गढ़ माना जाता था, वहां अब सुरक्षा में सुधार हुआ है। 7 जिलों वाले बस्तर संभाग में 12 विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां पहले चरण में 7 नवंबर को मतदान होगा।
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सुंदरराज पी ने बताया कि 7 नवंबर को मतदान के लिए बस्तर क्षेत्र में 126 से अधिक नए मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इनमें से अधिकांश नए मतदान केंद्र अंदरूनी और नक्सली गढ़ माने जाने वाले इलाकों में स्थित होंगे। उन्होंने कहा कि ये नए मतदान केंद्र बस्तर क्षेत्र में भावी पीढ़ी को बुलेट पर बैलेट की जीत की कहानी बयां करेंगे।
अधिकारी ने बताया कि 126 नए मतदान केंद्रों में से कांकेर जिले के कांकेर विधानसभा क्षेत्र में 15, अंतागढ़ में 12, भानुप्रतापुर में 5, सुकमा जिले के कोंटा में 20, बस्तर जिले के चित्रकोट में 14, जगदलपुर में 4, बस्तर विधानसभा क्षेत्र में 1, कोंडागांव जिले के कोंडागांव क्षेत्र में 13, केशकाल में 19, नारायणपुर जिले के नारायणपुर में 9, दंतेवाड़ा जिले के दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 8 और बीजापुर जिले के बीजापुर विधानसभा क्षेत्र में छह मतदान केंद्र शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि क्षेत्र में पिछले 5 वर्षों में 65 से अधिक नए सुरक्षा शिविर (राज्य पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों दोनों के) स्थापित करने से जमीनी स्थिति में उल्लेखनीय बदलाव आया है। इससे दूरदराज के गांवों में मतदान केंद्र स्थापित करने में मदद मिली है।
क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पहले इन क्षेत्रों में कठिन भौगोलिक स्थितियों और माओवादी खतरों के कारण मतदान केंद्र स्थापित नहीं किए गए थे। चांदामेटा गांव की एक आदिवासी महिला पालो मरकाम ने कहा कि पहले उन्हें वोट देने के लिए 8 किलोमीटर की दूरी तय कर छिंदगुर गांव पहुंचना पड़ता था, लेकिन अब वह खुश हैं कि अपने गांव में ही मतदान कर पाएंगी।
चांदामेटा जगदलपुर निर्वाचन क्षेत्र के उन 4 गांवों में से एक है, जहां पहली बार मतदान केंद्र बनेगा। कभी उग्रवाद का गढ़ माना जाने वाले चांदामेटा बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़-उड़ीसा सीमा पर तुलसी डोंगरी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है।
मरकाम ने कहा कि सड़क नहीं होने के कारण कच्चे रास्तों से होकर छिंदगुर जाना पड़ता था। अब हम अपने गांव में मतदान केंद्र बनने से बहुत खुश हैं। मरकाम ने कहा कि हम उसे वोट देंगे जो हमारे विकास के लिए काम करेगा। गांव के एक अन्य निवासी श्याम कवासी ने कहा कि उनके गांव के मतदाता पहले मतदान में दिलचस्पी नहीं लेते थे, क्योंकि 8 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था और वहां पहुंचने के लिए भी कोई सड़क नहीं थी।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta