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Last Updated : सोमवार, 28 अगस्त 2023 (15:06 IST)

कौन हैं नंबी नारायण जिन पर लगा था जासूसी का आरोप, जिनका दावा- पहले की सरकारें नहीं करती थी ISRO पर भरोसा

Nambi Narayan
Nambi Narayanan: चंद्रयान की चांद पर सफल लैंडिंग के बाद पूरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है। पीएम मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है और भारत को यह गौरान्‍वित करने वाले क्षण देने के लिए धन्‍यवाद भी दिया। इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण के बयान की चर्चा है। नंबी नारायण ने कहा है कि पहले ही सरकारों को इसरो (ISRO) पर भरोसा नहीं था, यही वजह है कि भारतीय स्पेस एजेंसी को पर्याप्त मात्रा में बजट नहीं दिया जाता था।
दरअसल, इसरो के शुरुआती दिनों के बारे में चर्चा करते हुए नंबी नारायण का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। ये वीडियो बीजेपी ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया है। वीडियो में पूर्व इसरो वैज्ञानिक ये कहते दिखाई दे रहे हैं कि सरकारों ने इसरो को तब फंड दिया जब इसने अपनी साख स्थापित कर ली।

हमारे पास कोई सुविधा नहीं थी : नंबी नारायण ने कहा कि हमारे पास जीप और कार जैसे कोई वाहन नहीं थे। हमारे पास कुछ भी नहीं था। इसका मतलब है कि हमें कोई बजट नहीं आवंटित था। केवल एक बस थी, जो शिफ्ट में चलती थी। शुरू के दिनों में ऐसा था। एपीजे अब्दुल कलाम के सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएलवी-3) के निर्माण के दौर का जिक्र करते हुए नंबी नारायण ने कहा कि उस समय बजट पूछा नहीं जाता था, बस दे दिया जाता था। ये बहुत मुश्किल था। उन्होंने आगे कहा मैं शिकायत नहीं करूंगा लेकिन उन्हें (सरकार) आप पर (इसरो) भरोसा नहीं था।

पीएम नहीं तो कौन लेगा क्रेडिट : बता दें कि पीएम मोदी के चंद्रयान का क्रेडिट लेने को लेकर सोशल मीडिया में काफी चर्चा हो रही है। इस पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। नंबी नारायण ने इस पर कहा कि ये बहुत बचकाना है। उन्होंने कहा, 'अगर इस तरह के नेशनल प्रोजेक्ट की बात होगी तो प्रधानमंत्री के सिवा और कौन क्रेडिट लेगा? आप भले प्रधानमंत्री को पसंद न करें, ये आपकी समस्या है, लेकिन आप उनसे क्रेडिट नहीं छीन सकते। आप प्रधानमंत्री को पसंद नहीं करते, इस वजह से उन्हें पोस्ट से नहीं हटा सकते'

कभी लगे थे जासूसी के आरोप : 1994 में नंबी नारायण पर जासूसी के आरोप भी लग चुके हैं। उन पर अंतरिक्ष प्रोग्राम से जुड़ी जानकारी बाहरी लोगों के साथ शेयर करने के आरोप लगे थे। कहा गया था कि उनकी दी गई जानकारी को पाकिस्तान भेजा गया था और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

...और लगी बेगुनाही की मुहर : जासूसी के आरोपों के खिलाफ नंबी नारायण ने लंबी लड़ाई लड़ी और 1996 में सीबीआई कोर्ट ने आरोपों को खारिज किया। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ उन्‍हें बेगुनाह घोषित किया बल्‍कि  केरल सरकार को मुआवजा देने का आदेश दिया। केरल सरकार ने नारायण को 1.3 करोड़ मुआवजा दिया था।

कौन हैं नंबी नारायण : नंबी नारायण 1941 में एक तमिल परिवार में जन्में थे। उन्‍होंने केरल के तिरुवनंतपुरम से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री ली। आगे की पढ़ाई के लिए वे फेलोशिप पर अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी चले गए। बाद में उन्‍होंने इसरो के साथ काम किया। अपने करियर में नंबी ने विक्रम साराभाई, सतीश धवन और एपीजे अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिकों के साथ काम किया। उन्हें भारत में लिक्विड फ्यूल रॉकेट टेक्नोलॉजी की के लिए भी श्रेय दिया जाता है। साल 2019 में भारत सरकार ने उन्हें तीसरे सबसे बडे नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया। नंबी नारायण की जिंदगी पर रॉकेट्री नाम से फिल्म बन चुकी है,जिसमें आर माधवन ने उनकी भूमिका निभाई थी।
Edited by navin rangiyal