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Written By WD

क्या है शिक्षा का ‍अधिकार

वेबदुनिया डेस्क

शिक्षा का अधिकार
बच्चे देश का भविष्य होते हैं। उन्हीं पर भविष्य में देश की उन्नति निर्भर होती है। उन्हें पूर्ण रूप से शिक्षित करना पालकों का ही नहीं देश की सरकार का भी कर्तव्य है और इसके लिए सरकार कई कार्यक्रम और योजनाएं बनाती है। ऐसी ही एक योजना है अनिवार्य शिक्षा जिसे क्रियांवित करने के लिए केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया

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6 से 14 की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा देने के उद्देश्य से 1 अप्रैल 2010 को केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया। इसके तहत में यूपीए सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया। इसे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी शिक्षा का अधिकार कानून पर अपनी मोहर लगाते हुए पूरे देश में लागू करने का आदेश दिया। इस अधिनियम के पारित होने से देश के हर बच्चे को शिक्षा पाने का सवैंधानिक अधिकार मिला। इस कानून के तहत देश के हर 6 साल से 14 साल के बच्चे को मुफ्त शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होगा। हर बच्चा पहली से आठवीं तक मुफ्त और अनिवार्य रूप से पढ़ेगा। सभी बच्चों को अपने आस-पास के स्कूल में दाखिला लेने का अधिकार होगा।

सबसे बड़ी बात यह है कि यह कानून निजी स्कूलों पर भी लागू होगा। शिक्षा के अधिकार के तहत राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके राज्य में बच्चों को नि:शुल्क अनिवार्य शिक्षा प्राप्त हो सके। बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ स्कूलों में अन्य अनिवार्य सुविधाएं जैसे पेयजल की सुविधा, खेलकूद की सामग्री, खेल का मैदान भी दी जाएं।

इस अधिनियम पारित होने शुरुआती रुझान अच्छे आ रहे हैं। जो पालक अपने बच्चों बड़े निजी स्कूलों में पढ़ाने में असमर्थ हैं, उन्हें इस अधिनियम का लाभ मिल रहा है। अच्छे स्कूलों में उनके बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, लेकिन इस बात पर बहस जारी है कि कुछ निजी संस्थान इस अधिनियम के विरोध में भी हैं। यह भी चर्चा का विषय है कि इस अधिकार के तहत बच्चों को भी प्रवेश तो मिल गया, लेकिन जो अन्य स्कूली खर्च हैं। उन्हें कैसे वहन करेंगे। खैर, जो भी हो यह अधिनियम शिक्षा की दिशा में एक मिल का पत्‍थर साबित हो रहा है।