आज का युवा देश उच्च शिक्षित होकर डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक बनकर ही देश की सेवा नहीं करना चाहते वरन वे देश की राजनीति में भी आना चाहते हैं। अभी हाल ही आईआईएम ने भी महिलाओं को राजनीति की शिक्षा के लिए पहल की है। कई पार्टियों में युवा विधायक और सांसद हैं जिनके पास उच्च शिक्षण डिग्रियां हैं। हमारे पास इसके कई उदाहरण हैं जैसे अखिलेश यादव, सचिन पायलट, मिलिंद देवड़ा, वरुण गांधी, अगाथा संगमा को विदेश में शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी लोगों की सेवा जज्बा राजनीति में ले आया।
आजकल राजनीति का जो परिदृश्य बन रहा है, उससे यह कहा जा सकता है कि अपराधीकरण और भ्रष्टाचार समाज में हावी हो रहा है, लेकिन साथ ही युवाओं में इन समस्याओं से निपटने का जज्बा भी पैदा हो रहा है। इसीलिए राजनीति में करियर बनाने से युवा आशंकित हों लेकिन उच्च शिक्षित युवाओं का भी देश की राजनीति में आना आवश्यक है।
इस विषय पर करियर काउंसलर सचिन भटनागर कहते हैं कि अपनी रूचि के अनुसार ही युवा राजनीति में आते हैं। कुछ युवाओं का ध्यान अपनी पढ़ाई या प्रतियोगी परीक्षाओं पर रहता है, इसलिए वे राजनीति में नहीं जाना चाहते। आज भी अच्छे घरों के उच्च शिक्षित युवा राजनीति में अपना करियर बनाना चाहते हैं।
कई विसंगतियां जो हमें देश की राजनीति में दिखती हैं तो उन्हें दूर करने के लिए देश के युवाओं को आगे आना होगा। देश की राजनीति को सुधारने के लिए पढ़े-लिखे युवाओं को राजनीति में आना ही होगा। भारत का भविष्य भी उज्जवल होगा।
हालांकि जिन युवा राजनेताओं का ऊपर जिक्र किया गया है, उन्हें राजनीति में बड़ा स्थान या पद परिवारवाद के कारण भी मिला है, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इन राजनेताओं ने युवा वर्ग को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया है। - वेबदुनिया डेस्क