कानून की पढ़ाई से दें करियर को नई ऊँचाई
बढ़ती ही जा रही है माँगबार कौंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार हर साल 15 हजार से अधिक वकील अपना पंजीयन कराते हैं और उनकी माँग लगातार बढ़ती ही जा रही है। हालाँकि वकीलों का काम बहुत ज्यादा मुश्किल और चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यह कार्य उतना ही दिलचस्प और संतुष्टिजनक भी है। यह बात अलग है कि इस पेशे की हकीकत हिन्दी फिल्मों में दिखाए जाने वाले चकाचौंधपूर्ण पेशे से हटकर है। इस क्षेत्र में पैसा भी खूब बरसता है, लेकिन यह सब रातोंरात नहीं होता, बल्कि अनुभव और विशेषता से विश्वसनीयता और समृद्धि का ग्राफ ऊँचा उठता है। दो तरह से संभव है प्रवेशविधि क्षेत्र में दो तरह से प्रवेश लिया जा सकता है। एलएलबी की तीन साल की डिग्री के लिए किसी भी विषय में 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक उपाधि होना चाहिए। पाँच वर्षीय इंटिग्रेटेड लॉ प्रोग्राम के लिए न्यूनतम बारहवीं तक शैक्षिक योग्यता जरूरी है। दिल्ली विश्वविद्यालय की लॉ फैकल्टी तीन वर्षीय लॉ डिग्री प्रदान करती है। मध्यप्रदेश के भी लगभग 90 महाविद्यालयों और लगभग सभी विश्वविद्यालयों में यह पाठ्यक्रम चलाया जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों को प्रवेश परीक्षा में प्रदर्शित निष्पादन के आधार पर दिया जाता है। यह परीक्षा आब्जेक्टिव, बहुविकल्प प्रश्न-पत्रों तथा सामान्य ज्ञान और लीगल एप्टीट्यूट पर आधारित होती है। इसके अलावा इसमें विधि संबंधित सामान्य ज्ञान, विश्लेषण, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय सामयिक घटनाओं, सामान्य विज्ञान, भारतीय इतिहास, भूगोल, राजनीति तथा अर्थव्यवस्था पर भी प्रश्न पूछे जाते हैं। विधि विभाग में प्रतिवर्ष 1500 छात्रों को प्रवेश दिया जाता है, जिसमें 22.5 प्रतिशत सीटें एससी/ एसटी तथा 3 प्रतिशत सीटें विकलांगों के लिए आरक्षित होती हैं। इस पूरे पाठ्यक्रम की फीस मात्र 4500 रुपए है। दिल्ली विश्वविद्यालय में उच्च अध्ययन के लिए पूर्णकालिक तथा अंशकालिक एलएलएम की कक्षाएँ भी संचालित की जाती हैं। इसकी फीस भी मामूली है। स्कूल ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू) छात्रों को बार और कानून के अन्य करियरों हेतु सुसज्जित करने के लिए पाँच वर्षीय इंटिग्रेटेड बीए-एलएलबी (ऑनर्स) संचालित कर रही है। इसी तरह के पाँच वर्षीय पाठ्यक्रम इंदौर और भोपाल में भी चलाए जा रहे हैं, जिनमें ऑल इंडिया इंटरेंस टेस्ट के माध्यम से प्रवेश दिया जाता है। एनएलएसआईयू द्वारा 2 वर्षीय एलएलएम पाठ्यक्रम भी चलाया जा रहा है। एनएएलएसएआर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, हैदराबाद भी इसी पैटर्न के पाठ्यक्रम चला रही है। इसी तरह द यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लॉ, बंगलोर; गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ लॉ, मुंबई; लॉ कॉलेज, पुणे; बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय; इलाहाबाद विश्वविद्यालय; सीम्बियोसिस सोसाइटीज लॉ कॉलेज, पुणे और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लॉ, हैदराबाद द्वारा लॉ में प्रोफेशनल डिग्री प्रदान की जा रही है। देश के 500 से अधिक कॉलेजों में हजारों छात्र शिक्षा ले रहे हैं। डिग्री के बादविधि में उपाधि प्राप्त करने के बाद प्रत्याशी बार में अपना पंजीयन करवा सकते हैं। इस समय नामांकन के लिए किसी तरह की आयु सीमा निर्धारित नहीं की गई है। लेकिन इस प्रोफेशन में उत्कृष्टता पाने के लिए विधिक ज्ञान, अध्यवसाय, दृढ़ निश्चय, धैर्य के साथ-साथ अच्छी स्मरण शक्ति, बहस करने की क्षमता, गहन तैयारी तथा बेहतर प्रस्तुतीकरण क्षमता आवश्यक है। स्रोत : नईदुनिया अवसर
डिग्री प्राप्त करने के बाद किसी अनुभवी वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ काम करते हुए यह योग्यता हासिल की जा सकती है। जो युवा पढ़ाई के दौरान कोर्ट रूम का चक्कर लगाते हुए कोर्ट में अनुभवी वकीलों को बहस करते/ दलील देते सुनते/ देखते हैं, उन्हें यह अनुभव तेजी से मिलता है। इसके साथ ही निष्ठा, खुला दिमाग, ग्राहक के प्रति मानवीय व्यवहार भी आवश्यक है। कानून से लेकर व्यवसाय तकभारतीय विधिक प्रणाली के अंतर्गत सुविज्ञता से लेकर उत्कृष्टता हेतु कानून के व्यापक विषयों को शामिल किया गया है। कमर्शियल लॉ की प्रैक्टिस यदि ज्यादा आकर्षक लगती है तो कस्टम कानून भी आय का अच्छा साधन माना जाता है। तथापि, कानून की किसी विशेष शाखा में सुविज्ञता व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करती है। कुछ विधि स्नातक सिविल लॉ को अपना पेशा बनाते हैं तो किसी को क्रिमिनल लॉ ज्यादा चुनौतीपूर्ण और अच्छी कमाई का जरिया लगता है। इसके अलावा टेक्सेशन लॉ, कांट्रेक्ट लॉ, लेबर लॉ, इंवारयरमेंट लॉ, कंज्यूमर लॉ, साइबर लॉ, इंटरनेशनल लॉ, आरब्रिरेशन लॉ, कार्पोरेट लॉ तथा फैमिली लॉ में भी खासा स्कोप है।वकील से जज बनने तक का सफरकानून के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने के बाद विधि स्नातकों को नाम और दाम दोनों मिलने लगते हैं। विधि क्षेत्र में 15 वर्षीय अनुभव के पश्चात कई वकीलों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा संबंधित राज्य के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाता है। इसलिए कानून एक आदर्श व्यवसाय है, जिसमें विधि विशेषज्ञ ढेर सारी प्रतिष्ठा और सम्मान पाते हैं। सरकार द्वारा लीगल प्रोफेशनल्स को पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, सॉलिसिटर्स, डिप्टी या एडिशनल एडवोकेट जनरल और यहाँ तक कि एडवोकेट जनरल के रूप में नियुक्त किया जाता है। कई विभागों में लॉ ऑफिसर तथा लीगल एडवाइजर और लीगल असिस्टेंट्स की आवश्यकता होती है। राज्य के विधि विभाग में चयन परीक्षा के माध्यम से सिविल जज या मुंसिफ की नियुक्ति की जाती है जो आगे चलकर चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट बनते हैं। और भी हैं राहेंजरूरी नहीं कि विधि विशेषज्ञ कानून की प्रैक्टिस ही करें। विधि स्नातक भारतीय सेना के विधि विभाग में करियर आजमा सकते हैं। बड़े इंडस्ट्रियल हाउस के लीगल सेल की देख-रेख कर सकते हैं। बैंकिंग क्षेत्र में प्रोबेशनरी लॉ ऑफिसर बन सकते हैं। भारतीय सिविल सर्विस की परीक्षा में शामिल होकर आईएएस, आईपीएस अथवा आईएफएम में करियर बना सकते हैं। मास्टर इन बिजनेस लॉ, एमबीए और सीएस कर कार्पोरेट क्षेत्र में शानदार करियर बना सकते हैं। स्रोत : नईदुनिया अवसर