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सरकार 3 : फिल्म समीक्षा

सरकार 3 : फिल्म समीक्षा - Sarkar 3, Amitabh Bachchan, Ramgopal Varma, Samay Tamrakar
निर्देशक के रूप में रामगोपाल वर्मा की चमक को फीका हुए वर्षों बीत गए हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने कई फिल्में निर्देशित की हैं, लेकिन उन्हें अपना खोया 'टच' नहीं मिल रहा है। इस बार उन्होंने सरकार सीरिज के सहारे दर्शकों को रिझाने की कोशिश की है। 
 
सरकार 2005 में प्रदर्शित हुई थी और सरकार राज 2008 में। नौ वर्ष बाद उन्होंने तीसरा भाग बनाया है, लेकिन ढंग की कहानी भी नहीं चुन पाए। केवल सरकार सीरिज की लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश उन्होंने की है कि इसी बहाने कुछ दर्शक उनकी फिल्म को मिल जाए। 
 
सरकार सीरिज की पिछली दो फिल्मों में जो तनाव, तिकड़मबाजी, राजनीति और गुंडागर्दी दिखाई गई थी वो तीसरे भाग में नदारद है। पूरा ड्रामा अत्यंत ही उबाऊ है और परदे पर चल रहे घटनाक्रम में जरा भी रूचि पैदा नहीं होती। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह इस सीरिज की आखिरी फिल्म होगी। 
 
सुभाष नागरे (अमिताभ बच्चन) उर्फ सरकार की कहानी को आगे बढ़ाया गया है। सरकार के बढ़ते प्रभाव से उनके कई दुश्मन भी पैदा हो जाते हैं। वे अपने दम पर सरकार का बाल भी बांका नहीं कर पाते तो एकजुट हो जाते हैं। इनके साथ सरकार का पोता चीकू (अमित सध) भी मिल जाता है जो अपने पिता की मौत का दोषी सरकार को पाता है।
 
इस थकी-मांदी कहानी में कुछ भी नया नहीं है। लचर कहानी का स्क्रीनप्ले भी लचर है। किस तरह कहानी को आगे बढ़ाया जाए यह स्क्रिप्ट राइटर्स को सूझा ही नहीं। सरकार के विरोधी ज्यादातर समय सिर्फ प्लान बनाते रहते हैं और कुछ करते ही नहीं। उनकी बातें ऊब पैदा करती है। ऐसा लगता है कि यह सब क्यों हो रहा है? कहने को तो यह थ्रिलर फिल्म है, लेकिन इसमें जरा भी थ्रिल नहीं है। हो सकता है कि आप ऊंघने भी लगे।
 
रामगोपाल वर्मा निर्देशक के रूप में बुरी तरह निराश करते हैं। उनका प्रस्तुतिकरण बेहद सतही है। लगता ही नहीं कि किसी अनुभवी निर्देशक ने इस फिल्म को निर्देशित किया है। साधारण दृश्यों को बेहद ड्रामेटिक तरीके से पेश किया गया है मानो उस सीन में बहुत बड़ी बात हो गई हो। फिल्म की लंबाई बढ़ाने के लिए कुछ सीनों को च्युइंगम की तरह खींचा गया है। 
 
इस फिल्म को देख कर अमिताभ बच्चन से पूछा जा सकता है कि उन्होंने यह फिल्म क्यों की? उनके अभिनय में दोष नहीं है,  दोष फिल्म के चयन में है। उनकी सारी मेहनत व्यर्थ गई है। अमित सध को बड़ा अवसर मिला है। उनका अभिनय ठीक है,  लेकिन उनकी स्टार वैल्यू नहीं होने के कारण वे मिसफिट लगते हैं। यामी गौतम, रोहिणी हट्टंगडी और मनोज बाजपेयी से भी सवाल पूछा जा सकता है कि इतने महत्वहीन रोल करने के पीछे उनकी क्या मजबूरी थी? जैकी श्रॉफ ने बोर करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। दाढ़ी, गॉगल और दुपट्टे में वे चेहरा छिपाकर अपने अभिनय की कमजोरी को ढंकते रहते हैं।  
 
फिल्म की सिनेमाटोग्राफी कमजोर है। बेवजह अजीब से कोणों से फिल्म को शूट किया गया है। बैकग्राउंड म्युजिक बेहद लाउड है। 
 
सरकार 3 देखने की बजाय रामगोपाल वर्मा के ट्वीट्स पढ़ लीजिए। वो ज्यादा मजेदार होते हैं। 
 
बैनर : एलम्बरा एंटरटेनमेंट, इरोस एंटरटेनमेंट, वेव सिनेमा, एबी कॉर्प
निर्माता : सुनील ए. लुल्ला, राहुल मित्रा, आनंद पंडित, गोपाल शिवराम दलवी, कृष्ण चौधरी
निर्देशक : रामगोपाल वर्मा 
संगीत : रवि शंकर, निलाद्री कुमार 
कलाकार : अमिताभ बच्चन, मनोज बाजपेयी, यामी गौतम, जैकी श्रॉफ, अमित सध, रोनित रॉय, रोहिणी हट्टंगड़ी सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 12 मिनट 2 सेकंड 
रेटिंग : 1/5 
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