इमरजेंसी भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय है, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में 21 महीनों के लिए लागू किया था। इस घटना को कुछ फिल्मकारों ने अपने-अपने तरीके से फिल्मों के जरिये दिखाया है। मधुर भंडारकर ने इंदु सरकार (2017) में इसी विषय के इर्दगिर्द बुनी थी और अब भाजपा सांसद कंगना रनौट इमरजेंसी फिल्म लेकर आई हैं। कंगना रनौट ने इसमें इंदिरा गांधी की भूमिका निभाने के साथ-साथ लेखन और निर्देशन की जिम्मेदारी भी निभाई है।
फिल्म का टाइटल बताता है कि यह इंदिरा गांधी और इमरजेंसी के दौर पर ध्यान रख कर बनाई होगी, लेकिन मूवी में इंदिरा के जन्म से लेकर तो मृत्यु तक दिखाया गया है। यह तो एक बायोपिक की तरह है। इस बात से दर्शक थोड़ा ठगा महसूस करता है।
बहरहाल इंदिरा गांधी के जीवन में इतने किस्से हैं कि उन्हें एक फिल्म में पिरोना बहुत कठिन है। इसके लिए ऊंचे दर्जे का निर्देशक चाहिए, ऊंचे दर्जे का स्क्रिप्ट राइटर चाहिए। ये कमी इमरजेंसी देखते समय महसूस होती है।
बहुत सारी घटनाओं को समेटने के चक्कर फिल्म में जल्दबाजी या हड़बड़ी नजर आती है। दृश्यों का जुड़ाव नहीं है जिससे फिल्म में फ्लो नजर नहीं आता। एक के बाद एक किस्से आते रहते है और उनमें भी उतनी गहराई नहीं है, ठहराव नहीं है जिससे वे कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाते।
इंदिरा के गांधी के पिता का उन पर प्रभाव, पति से रिश्ते, राजनीति में उतरने का फैसला करना, प्रधानमंत्री बनना, आपातकाल की घोषणा करना, संजय गांधी की दखलअंदाजी, ऑपरेशन ब्लू स्टार, युद्ध आदि घटनाओं को फिल्म में जगह दी गई है।
निर्देशक के रूप में कंगना ने इन घटनाओं को बेतरतीब तरीके से प्रस्तुत किया है जिससे दर्शक फिल्म से कहीं से भी कनेक्ट नहीं हो पाते। घटनाएं कम दिखाई जाती, लेकिन रिसर्च कर के दर्शाई जाती तो बात अलग होती। फिल्म के नाम पर जो क्रिएटिव लिबर्टी ली गई है वो दर्शकों में संदेह पैदा करती है कि अंदाजा लगाना मुश्किल है कि बात में कितनी सच्चाई है।
कंगना ने फिल्म को मुख्यत: दो भागों में बांटा है, एक में इंदिरा गांधी की सत्ता के प्रति लालसा और दूसरे में 1977 में जेल जाने के बाद वापसी को दिखाया है।
फिल्म का एक मात्र सकारात्मक पहलू कंगना रनौट की एक्टिंग है। इंदिरा गांधी के रूप में उनके अभिनय दमदार है और उनका लुक इंदिरा गांधी से मिलता-जुलता है। दृश्यों के अनुरूप कंगना ने जो एक्सप्रेशन्स दिए हैं वो देखने लायक हैं। कई दृश्यों में वे अपने अभिनय से छाप छोड़ती हैं।
श्रेयस तलपदे, अनुपम खेर, मिलिंद सोमण, सतीश कौशिक, विशाक नायर जैसे कलाकार अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
फिल्म के संवाद ज्यादा असर नहीं छोड़ते। तकनीकी रूप से भी फिल्म कमजोर दिखाई देती है। ऐसी फिल्मों में गानों की कोई जरूरत नहीं है बावजूद इसके गाने रखे गए हैं।
कुल मिला कर इमरजेंसी जैसी घटना पर फिल्म बनाने का साहस उन्हें ही करना चाहिए जो फिल्म निर्देशक के रूप में अपनी काबिलियत सिद्ध कर चुके हों।
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निर्देशक: कंगना रनौट
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फिल्म : Emergency (2025)
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गीतकार : मनोज मुंतशिर
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संगीतकार : सचिन बलहारा और अंकित बलहारा
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कलाकार : कंगना रनौट, अनुपम खेर, श्रेयस तलपदे, मिलिंद सोमण, सतीश कौशिक, विशाख नायर
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रेटिंग : 1.5/5