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Last Updated : सोमवार, 13 जुलाई 2020 (13:07 IST)

ब्रीद इनटू द शैडोज़ रिव्यू : ऑक्सीजन की कमी से जूझती

ब्रीद इनटू द शैडोज़ रिव्यू : ऑक्सीजन की कमी से जूझती - Breathe Into the Shadows, Review in Hindi, Abhishek Bachchan, Samay Tamrakar, Mayank Sharma
अच्छा आइडिया तब अपना असर खो देता है जब वह विश्वसनीय नहीं होता है। इसी बात का शिकार अमेज़न प्राइम की नई सीरिज ब्रीद : इनटू द शैडोज़ है। 
 
डा. अविनाश सबरवाल (अभिषेक बच्चन) की 6 साल की बेटी सिया का अपहरण हो जाता है। 9 महीने तक अपहरणकर्ता किसी तरह से कोई कांटेक्ट नहीं करता। अविनाश तथा उसकी पत्नी आभा (नित्या मेनन) उम्मीद छोड़ देते हैं। 
 
9 महीने बाद अपहरणकर्ता अविनाश को बताता है कि उसकी बेटी जिंदा है और उसे छोड़ने के बदले में उसे कुछ खून करना होंगे। अविनाश यह बात पुलिस से छिपाता है। 
 
इधर दिल्ली क्राइम ब्रांच से कबीर सावंत (अमित सध) जुड़ता है जिसे उन हत्याओं का पता लगाना है जो हाल ही के दिनों में दिल्ली में हुई है। अविनेश भी बतौर मनोचिकित्सक उसके साथ इस केस में जुड़ता है। 
 
किन लोगों ने सिया का अपहरण किया है? वे हत्याएं क्यों करवाना चाहते हैं? क्या अविनाश हत्या करेगा? इन सभी प्रश्नों के उत्तर एपिसोड दर एपिसोड खुलते जाते हैं। 
 
मयंक शर्मा और विक्रम तूली द्वारा लिखी गई कहानी का मूल आइडिया तो अच्छा है कि आप अपने परिजनों को बचाने के लिए कितना आगे तक जाएंगे, लेकिन इस पर लिखी कहानी और स्क्रीनप्ले में इतने छेद हैं कि यकीन करना मुश्किल हो जाता है। 
 
वेबसीरिज देखते समय कई प्रश्न दिमाग में कौंधते हैं कि ये आखिर कैसे संभव हो रहा है? धीरे-धीरे आप प्रश्न करना भी बंद कर देते हैं। कुछ ऐसे घटनाक्रम दिखाए गए हैं जिन पर यकीन करना मुश्किल होता है कि एक आम आदमी के लिए यह करना कैसे संभव है? 
 
शुरुआती कुछ एपिसोड जरूर अच्‍छे लगते हैं, लेकिन धीरे-धीरे रूचि खत्म होने लगती है। पांचवे एपिसोड में सिया के अपहरणकर्ता का राज खोल दिया जाता है और उसके बाद बचा-खुचा मजा भी जाता रहता है। 
 
सिया के अपहरणकर्ता को पकड़ने का कारण और उस तक पहुंचने की प्रक्रिया बेहद उबाऊ है। 
 
फिल्मों में जहां बात को तेजी से खत्म करने की कोशिश की जाती है वहीं वेबसीरिज़ में बात को फैला कर दिखाया जाता है। ब्रीथ इनटू द शैडोज़ में इतना मसाला ही नहीं है कि लगभग 50 मिनट के 12 एपिसोड्स बनाए जाए। 
 
ज्यादा से ज्यादा 6 एपिसोड्स में बात समेट लेनी थी, लेकिन दोगुना वक्त ले लिया गया। पूरे एपिसोड्स देखना बेहद थकाऊ है क्योंकि बात को खूब खींचा गया है। 
 
रावण के दस सिरों से कहानी को जोड़ने की कोशिश की गई है। यह बात इतनी बार दोहराई गई है कि कोफ्त होने लगती है। लगता है कि लेखक ही अपनी इस बात को समझ नहीं पाए, इसलिए बार-बार उन्होंने यह दर्शकों के गले उतारने की कोशिश की है, लेकिन यह बात फिट ही नहीं होती इसलिए बेमतलब की लगती है। 
 
बात को लंबा खींचने के लिए कुछ उपकहानियां भी जोड़ी गई हैं, जैसे कबीर और मेघना की रिलेशनशिप, जे और शर्ली का रिश्ता, जो मुख्य कहानी पर खास असर नहीं डालती। 
 
वेबसीरिज़ के पुलिस ऑफिसर के किरदार अब टाइप्ड हो गए हैं। यहां पर भी कबीर का अतीत उसे परेशान करता है, उसके ऑफिस के ही कुछ लोग उसकी राह में रूकावट डालते हैं। सेक्रेड गेम्स, हंड्रेड, फैमिली मैन में हम यह देख चुके हैं। 
 
बतौर निर्देशक मयंक शर्मा का काम औसत है। वे अपने काम के जरिये थ्रिल पैदा नहीं कर पाए और दर्शकों को कनेक्ट नहीं कर पाए। इस वजह से यह सीरिज रूखी लगती है। 
 
बहुत कम कलाकारों को दोबारा मौका मिलता है और वे इसे बेहतर बनाने में चूकते नहीं हैं। हाल ही में 'आर्या' नामक वेबसीरिज से सुष्मिता सेन को दूसरा मौका मिला और उन्होंने दर्शा दिया कि वे कितनी काबिल अभिनेत्री हैं। 
 
अभिषेक बच्चन को 'ब्रीथ इन टू शैडोज़' सीरिज़ में बेहतरीन रोल मिला। इस रोल में उन्हें कई रंग भरने को मिले, लेकिन वे इस मौके का फायदा नहीं उठा पाए। 
 
उनके चेहरे पर भाव ही नहीं आ पाए और इस वजह से भी दर्शक उनके किरदार से जुड़ नहीं पाते। उनकी एक्टिंग बंधी-बंधी सी लगती है वे खुल नहीं पाते इससे दर्शकों और उनके बीच एक गैप रह जाती है। 
 
सीरिज के अंति‍म एपिसोड्स में जरूर उनके अभिनय में थोड़ा सुधार नजर आता है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। 
 
अमित सध का अभिनय भी खास नहीं रहा। उन्हें संवादों से ज्यादा एक्सप्रेशन्स से काम चलाना था और इसमें वे कमाल नहीं कर पाए। 
नित्या मेनन का अभिनय बेहतर है। सैयामी खेर के रोल से उम्मीद थी कि यह आगे चलकर सीरिज का अहम हिस्सा होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। उन्हें करने को ज्यादा कुछ नहीं मिला। 
 
सिया के रूप में इवाना कौर अपनी क्यूटनेस से दिल जीतती हैं। सपोर्टिंग कास्ट का काम उम्दा है। 
 
ब्रीथ इनटू शैडोज़ में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं है। 
 
निर्देशक : मयंक शर्मा
कलाकार : अभिषेक बच्चन, अमित सध, नित्या मेनन, इवाना कौर, सैयामी खेर
*अमेज़न प्राइम पर उपलब्ध * 12 एपिसोड्स * 16 वर्ष से ऊपर वालों के लिए 
रेटिंग : 2/5 
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