गुरुवार, 13 नवंबर 2025
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. फिल्म समीक्षा
  4. baaghi 4 movie review tiger shroff harnaaz sandhu sanjay dutt
Last Updated : शुक्रवार, 5 सितम्बर 2025 (20:17 IST)

बागी 4 मूवी रिव्यू: हरनाज संधू का डेब्यू और टाइगर का एक्शन, फिर भी निराश करती है फिल्म

BBaaghi 4 movie review in Hindi
बागी 4 देखते समय आपको रणबीर कपूर की एनिमल की जरूर याद आएगी क्योंकि निर्देशक ए. हर्षा ने इस फिल्म के हैंगओवर में बागी की चौथी किश्त बनाई है कहानी को पेश करने के तरीके में असर साफ दिखाई देता है। 
साजिद नाडियाडवाला की बागी फ्रेंचाइज़ी हमेशा से ही दर्शकों के बीच एक्शन और स्टंट के लिए चर्चित रही है। बागी 4 में टाइगर श्रॉफ फिर से रॉनी के किरदार में नज़र आते हैं, लेकिन इस बार कहानी एक अलग मोड़ लेती है। फिल्म की शुरुआत एक कार एक्सीडेंट से होती है जिसमें रॉनी तो बच जाता है, लेकिन उसकी गर्लफ्रेंड अलीशा (हरनाज़ संधू) की मौत हो जाती है। यहीं से कहानी रहस्य और सस्पेंस के घेरे में उलझती जाती है।
 
एक्सीडेंट के बाद रॉनी को हर तरफ से यह समझाने की कोशिश की जाती है कि अलीशा असल में कभी थी ही नहीं, बल्कि यह सब उसकी कल्पना का हिस्सा है। उसका भाई जीतू (श्रेयस तलपड़े), डॉक्टर (महेश ठाकुर), अलीशा की दोस्त कैथरीन (शीबा) सब उसे यही यकीन दिलाने की कोशिश करते हैं। यहां तक कि पुलिस भी यही मानती है कि रॉनी का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है।
 
लेकिन रॉनी इस सच्चाई को मानने को तैयार नहीं है। उसे यकीन है कि कोई बड़ी साजिश चल रही है। जब चाको (संजय दत्त) और उसके भाई पाउलो (सौरभ सचदेवा) की एंट्री होती है, तब कहानी और पेचीदा हो जाती है। पहला हाफ दर्शकों को लगातार यह सोचने पर मजबूर करता है कि अलीशा सचमुच थी या रॉनी के दिमाग की उपज। 

Baaghi 4 movie review
 
यह सस्पेंस फिल्म के शुरुआत में थोड़ी बहुत उत्सुकता बना कर रखता है, लेकिन बहुत जल्दी ही फिल्म पटरी से उतर जाती है और फिर बात हाथ से निकल जाती है। एक्शन के ड्राइविंग सीट पर आते ही फिल्म लड़खड़ाती चली जाती है। एक्शन इतना ज्यादा और खून-खराबे से भरा है कि कहानी पीछे छूट जाती है। चाको की शादी वाले सीक्वेंस में हिंसा अपने चरम पर पहुंच जाती है।
 
क्लाइमेक्स तक आते-आते फिल्म अपने ही वजन से दब जाती है। अलीशा की गुत्थी का खुलासा दर्शकों पर उतना असर नहीं डाल पाता जितनी उम्मीद थी।
 
टाइगर श्रॉफ अपने खास स्टाइल, डांस, बॉडी और एक्शन,  में पूरी तरह फिट बैठते हैं। उनकी स्क्रीन प्रेज़ेंस लुभाती है, लेकिन अभिनय में गहराई की कमी साफ झलकती है। हरनाज़ संधू का डेब्यू ग्लैमरस है, लेकिन उनकी परफॉर्मेंस कमजोर रही।
 
सोनम बाजवा के हिस्से में मजबूत रोल नहीं आया, उनका किरदार केवल कहानी को आगे बढ़ाने भर का साधन लगता है। संजय दत्त विलेन के तौर पर दमदार हैं, लेकिन उन्हें पूरी तरह एक्सप्लोर नहीं किया गया। बहुत लेट उनकी एंट्री होती है और स्क्रीन टाइम कम दिया गया है। 

 
श्रेयस तलपड़े और उपेंद्र लिमये जैसे कलाकार अपनी छाप छोड़ते हैं, पर फिल्म की पटकथा उन्हें ज्यादा अवसर नहीं देती।
 
निर्देशक ए. हर्षा ने फिल्म को भव्य लुक देने की कोशिश की है। कैमरा वर्क शानदार है और बैकग्राउंड स्कोर असरदार। गानों की बात करें तो कुछ गाने पॉपुलर हो सकते हैं, लेकिन वे कहानी की पकड़ मजबूत करने में असफल रहते हैं।
 
एक्शन डायरेक्शन बेहतरीन है, पर वही फिल्म की सबसे बड़ी समस्या भी बनता है। इतना अधिक और अनावश्यक एक्शन डाल दिया गया है कि भावनात्मक गहराई गायब हो जाती है।
 
बागी 4 एक ऐसी फिल्म है जो स्टाइल और पैकेजिंग में भले बड़ी लगे, लेकिन कंटेंट और इमोशन के स्तर पर कमजोर है। पहले हाफ में थोड़ी बहुत झेली जा सकती है, लेकिन दूसरे हाफ की हिंसा और लंबाई दर्शकों का धैर्य तोड़ देती है।
 
निर्देशक: ए हर्षा 
फिल्म: BAAGHI 4 (2025) 
गीत: जगदीप वारिंग, जोश बरार, मणि मोदगिल, बादशाह, दानिश सबरी, पैराडॉक्स, समीर अंजान, गोपी सिद्धू, स्टार बॉय, फरहान मेमन 
संगीत: आगाज़, जोश बरार, सलामत अली मतोई, मणि मोदगिल, बादशाह, पायल देव, आदित्य देव, तनिष्क बागची, सिद्धांत मिश्रा, सुयश-सिद्धार्थ, गौरव दासगुप्ता 
कलाकार: टाइगर श्रॉफ, हरनाज संधू, सोनम बाजवा, संजय दत्त, श्रेयस तलपदे, उपेन्द्र लिमये
सेंसर सर्टिफिकेट : ए (केवल वयस्कों के ‍लिए)
रेटिंग : 1.5/5
ये भी पढ़ें
दृश्यम और सूर्यवंशी जैसी फिल्मों में नजर आए एक्टर आशीष वारंग का निधन, 55 साल की उम्र में ली अंतिम सांस