बॉलीवुड में इन दिनों एक नई समस्या देखने को मिल रही है, क्रिएटिविटी का अभाव। फिल्म निर्माता या तो रीमेक का सहारा लेते हैं या पुरानी हिट फिल्मों की झलकियां जोड़कर एक नया पैकेज तैयार कर देते हैं। परम सुंदरी इसका ताजा उदाहरण है। यह फिल्म देखते समय आपको दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, चेन्नई एक्सप्रेस और टू स्टेट्स जैसी कई फिल्मों की याद ताजा हो जाएगी। अफसोस इस बात का है कि इन हिट फिल्मों से प्रेरणा लेने के बावजूद, मेकर्स एक ढंग की फिल्म बनाने में नाकाम रहे।
परम सुंदरी की सबसे बड़ी समस्या इसका कमजोर लेखन है। कहानी में इमोशन, रोमांस, ड्रामा और कॉमेडी की भरपूर गुंजाइश थी, लेकिन स्क्रिप्ट में ऐसे सीन लिखे ही नहीं गए जो हंसी ला सकें, दिल को छूने वाला रोमांस जगा सकें या इमोशनल सीन में आंखें नम कर दें। नतीजा यह हुआ कि फिल्म एक सपाट सफर साबित होती है, जिसमें दर्शकों को बांधने की ताकत नहीं है।
फिल्म की शुरुआत होती है परम (सिद्धार्थ मल्होत्रा) से, जो दिल्ली का रहने वाला एक टेक-सेवी युवक है। वह एक ऐसे डेटिंग एप में इन्वेस्ट करने की सोच रहा है जो यह बताता है कि आपकी परफेक्ट सोलमेट कौन है। एप को आजमाने के लिए परम खुद का प्रोफाइल डालता है और एप उसे बताता है कि उसकी सोलमेट केरल के एक छोटे से गांव में रहने वाली सुंदरी (जाह्नवी कपूर) है।
इसके बाद परम सीधे सुंदरी से मिलने निकल पड़ता है, जो टूरिस्ट को अपना घर होमस्टे के रूप में किराए पर देती है। दोनों का स्वभाव बिल्कुल अलग है, लेकिन समय के साथ परम को सुंदरी से लगाव हो जाता है। ट्विस्ट तब आता है जब परम को पता चलता है कि सुंदरी की शादी वेणु से तय हो चुकी है। आगे की कहानी यह दिखाती है कि क्या परम सुंदरी का दिल जीत पाता है या नहीं, हालांकि यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है।
परम को एक ऐसा शख्स दिखाया गया है जो भावनाओं से ज्यादा टेक्नोलॉजी पर भरोसा करता है। उसका सुंदरी से मिलने का मकसद समझ में आता है, लेकिन यह यकीन करने के लिए कि सुंदरी ही उसकी सोलमेट है, फिल्म पर्याप्त सबूत नहीं देती। दर्शकों को बस इस पर भरोसा करना पड़ता है कि परम को सुंदरी पसंद आई। दूसरी ओर, सुंदरी का परम की तरफ झुकाव भी बिना वजह के लगता है। ऐसे सीन ही नहीं हैं जो दर्शकों और सुंदरी दोनों को यह यकीन दिला सकें कि परम ही उसका सच्चा साथी है, जिसके लिए वह वेणु को छोड़ दे। यही वजह है कि फिल्म का रोमांस मजबूरन और बनावटी लगता है।
फिल्म का पहला हाफ हल्के-फुल्के अंदाज में रखा गया है, लेकिन इसमें भी मनोरंजन के लिए दमदार सीन नहीं हैं। इंटरवल से ठीक पहले यह खुलासा होता है कि सुंदरी की शादी तय हो गई है, जो एक अच्छा ट्विस्ट हो सकता था, लेकिन सेकंड हाफ पूरी तरह से फीका पड़ जाता है। ड्रामा और इमोशन से भरपूर होने के बजाय, यह हिस्सा बिल्कुल खाली और बोरिंग लगता है। पूरी फिल्म देखने के बाद भी यह समझ में नहीं आता कि आखिर सुंदरी को परम क्यों पसंद आ गया।
स्क्रीनप्ले बेहद कमजोर है। कई सीन बिना वजह लंबे किए गए हैं। उदाहरण के लिए, चर्च वाला सीन जिसमें परम और सुंदरी लंबी बातचीत करते हैं, यह न केवल उबाऊ है बल्कि कहानी को आगे बढ़ाने में भी मदद नहीं करता। डेटिंग एप से जुड़ा धोखे वाला सब-प्लॉट भी फिल्म में कोई खास योगदान नहीं दे पाता। लेखन टीम (गौरव मिश्रा, अर्श अरोरा और तुषार जलोटा) ने उम्मीद से बहुत नीचे का काम किया है।
निर्देशक तुषार जलोटा ने फिल्म को फील-गुड टच देने की पूरी कोशिश की। उनके पास एक अच्छी दिखने वाली जोड़ी थी, खूबसूरत केरल की लोकेशन थी और मधुर संगीत का साथ था। इसके बावजूद, कमजोर स्क्रिप्ट ने इन खूबियों को फीका कर दिया। परिणामस्वरूप, फिल्म मनोरंजन के आसमान में उड़ान नहीं भर पाती।
सिद्धार्थ मल्होत्रा आकर्षक दिखे और उनकी एक्टिंग ठीक-ठाक रही। जाह्नवी कपूर ने अपने रोल में सुधार दिखाया और एक मलयाली लड़की के रूप में वह फिट लगीं। दोनों की केमिस्ट्री स्क्रीन पर अच्छी लगी, लेकिन कहानी की मजबूती के अभाव में इसका असर बेकार चला गया।
संगीत की बात करें तो सचिन-जिगर ने बेहतरीन धुनें दी हैं, जिन पर अमिताभ भट्टाचार्य ने उम्दा बोल लिखे हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक भी प्रभावशाली है और फिल्म की कुछ झलकियों को थोड़ा जानदार बनाता है।
संथना कृष्णन रविचंद्रन की सिनेमाटोग्राफी लाजवाब है और आंखों को सुकून देती है। एडिटिंग शार्प है और मनीष प्रधान ने फिल्म की लंबाई को कंट्रोल में रखा है।
परम सुंदरी उन फिल्मों की श्रेणी में आती है जो बड़ी संभावनाओं के बावजूद औसत रह जाती हैं। कहानी, लेखन और चरित्रों की गहराई पर ध्यान दिया जाता तो यह फिल्म एक बेहतरीन लव स्टोरी बन सकती थी। खूबसूरत लोकेशन, मधुर संगीत और आकर्षक स्टारकास्ट होने के बावजूद यह फिल्म दर्शकों को बांधने में नाकाम रहती है। अंत में यही कहना होगा कि परम सुंदरी देखने का अनुभव वैसा ही है जैसा एक खूबसूरत पैकेज खोलने के बाद उसमें कुछ खास न मिलने पर होता है।
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निर्देशक: तुषार जलोटा
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फिल्म: PARAM SUNDARI (2025)
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गीत: अमिताभ भट्टाचार्य
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संगीत: सचिन-जिगर
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कलाकार: सिद्धार्थ मल्होत्रा, जाह्नवी कपूर, संजय कपूर, रेंजी पेनिकर, मनजोत सिंह
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सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 16 मिनट
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रेटिंग : 1.5/5