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Written By समय ताम्रकर

बोर करती है ‘स्ट्रेट’

स्ट्रेट
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निर्माता : आई ड्रीम प्रोडक्शन
निर्देशक : पार्वती बालगोपालन
संगीत : सागर देसाई
कलाकार : विनय पाठक, गुल पनाग, सिद्धान्त मक्कड़, अनुज चौधरी, अचला सचदेव, केतकी दवे, रसिक दवे

होमोसेक्सुएलिटी बॉलीवुड के लिए अब नया विषय नहीं रहा। लगातार इस विषय पर फिल्में बन रही हैं। हाल ही में प्रदर्शित ‘दोस्ताना’ और ‘फैशन’ में इस रिश्ते को दिखाया गया था।

ताजा फिल्म ‘स्ट्रेट’ भी इसी विषय पर आधारित है। ‘दोस्ताना’ और ‘फैशन’ के बाद उम्मीद थी कि ‘स्ट्रेट’ एक कदम आगे होगी, परंतु ऐसा नहीं है। जिस तरह फिल्म का प्रमुख किरदार इस बात को लेकर कन्फ्यूज़्ड रहता है कि वह गे है या नहीं, कुछ इसी तरह की फिल्म भी है।

‘स्ट्रेट’ की कहानी में इस बात की संभावनाएँ थीं, जिस पर बेहतरीन फिल्म बनाई जा सकती थी, लेकिन इन संभावनाओं का दोहन नहीं हुआ। स्क्रीनप्ले में से रोचकता गायब है और बेमतलब की बातें लगातार दिखाई गई हैं।

मध्यांतर के पूर्व सारे किरदार लगातार बातें करते रहते हैं। ऐसी बातें जिनका फिल्म से कोई लेना-देना नहीं है। मध्यांतर के बाद कुछ दृश्य जरूर अच्छे बन पड़े हैं, लेकिन ये फिल्म को बेहतर बनाने के लिए काफी नहीं है।

निर्देशक पार्वती बालगोपालन कहानी के साथ न्याय नहीं कर पाई। छोटी-सी कहानी को उन्होंने बेहद बोरिंग अंदाज में जरूरत से ज्यादा लंबा खीचा है।

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विनय पाठक का अभिनय अच्छा है, लेकिन उन्होंने जरूरत से ज्यादा बार कमीज उतारी है। अब वे सलमान तो है नहीं, इसलिए भद्दे लगते हैं। गुल पनाग और अनुज चौधरी ठीक-ठाक रहे हैं।

कुल मिलाकर ‘स्ट्रेट’ एक ऐसा घुमावदार चक्कर है, जो हमें कही नहीं पहुँचाता है।