आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह के 'नो शेम मूवमेंट' को मिला रकुल प्रीत सिंह का साथ
एक्टर और आईएएस अभिषेक सिंह और रकुल प्रीत सिंह जैसी फेमस हस्तियों की वॉर्म एंट्री देखकर 1500 से ज्यादा लड़कियों की भीड़ ने उत्साह के साथ दौलत राम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम को जोश से भर दिया। टॉक शो के विषय ने और भी ज्यादा ध्यान खींचा क्योंकि इस तकनीकी और लगातार सामाजिककरण की दुनिया में यौन शोषण के मामले शर्मनाक रूप से बढ़ रहे हैं।
ऐसा ही एक सेशन मंडी हाउस के मॉडर्न स्कूल में भी आयोजित किया गया। यह बात महिला विकास सेल, दौलत राम कॉलेज द्वारा आयोजित #NoShameMovement का एक हिस्सा थी। यह मूवमेंट 'गैर-सहमति वाली छवि साझाकरण' की वजह से युवा लड़कियों को सामना करने वाली कमजोरियों को दूर करने की दिशा में एक कदम है, जिसे 'रिवेंज पोर्न' के रूप में भी जाना जाता है।
यह देखा गया है कि आमतौर पर पीड़िता को दोष देने और शर्मसार करने के डर से लड़कियां पुलिस के पास नहीं जाती हैं। उनकी कम उम्र उन्हें और भी कमजोर बना देती है। इस तरह की हेल्पलेस सिचुएशन में वे शोषण के लिए ज्यादा जिम्मेदार हो जाती हैं, यहां तक कि उन्हें अपराध करने के लिए भी मजबूर किया जाता है। इसलिए, यह बहुत जरूरी हो जाता है कि इन युवा पीड़ितों को उचित कानूनी मार्गदर्शन, राज्य के अधिकारियों से संस्थागत सहायता और साइकोलॉजिकल काउंसलिंग मिले।
इस पर बात करते हुए एक्टर और आईएएस अभिषेक सिंह ने कहा, 'नो शेम मूवमेंट' महिलाओं की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए हमारी ओर से एक अनूठा और अभिन्न कदम है। इस अभियान को सरकार, सार्वजनिक हस्तियों, मनोवैज्ञानिकों, माता-पिता, वकीलों, मीडिया द्वारा पूरे दिल से सपोर्ट किया जाएगा। हमारे एनजीओ ने हेल्प लाइन भी बनाई है जहां छात्र सपोर्ट के लिए हमसे संपर्क कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, हम एक चैट ग्रुप भी शुरू करेंगे जहां वे सभी जो या तो संबंधित प्रकृति की किसी गड़बड़ी से पीड़ित हैं या जो इस पहल का समर्थन करना चाहते हैं, एक साथ आ सकते हैं और चर्चा कर सकते हैं। मैं रकुल प्रीत को भी धन्यवाद देना चाहता हूं जो इस पहल का समर्थन करने के लिए आगे आई हैं और इसे व्यापक दर्शकों तक पहुंचने में मदद करेंगी।
इस पर रकुल प्रीत सिंह ने अपने विचार साझा किए और कहा, मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि जो हो रहा है उससे आपको शर्म नहीं आती। पहली बात जो दिमाग में चलती है वो ये है कि समाज क्या सोचेगा, मेरे माता-पिता क्या सोचेंगे, वो सोचेंगे कि मैं गलत हूं। इस विचार को मन से पूरी तरह से मिटाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, हम सभी को यह समझने की जरूरत है कि गिल्ट को इसके साथ न जोड़ें। कोई सामाजिक कलंक नहीं है, कोई शर्म नहीं है, इसलिए एक बार जब आप उस शर्म को अपने दिमाग से निकाल देंगे तो आप सही फैसला लेने में सक्षम होंगे। मुझे पता है कि यह मुश्किल है लेकिन यही सही है। Edited By : Ankit Piplodiya