गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. बॉलीवुड न्यूज़
  4. guru dutt filmy career death and other details
Last Updated : गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024 (15:26 IST)

गुरुदत्त ने अपनी बहुआयामी प्रतिभा से दर्शकों के बीच बनाई विशिष्ट पहचान

guru dutt filmy career death and other details - guru dutt filmy career death and other details
बॉलीवुड इंडस्ट्री में गुरुदत्त को एक ऐसे बहुआयामी कलाकार के तौर पर जाना जाता है जिन्होंने फिल्म निर्माण निर्देशन, नृत्य निर्देशन और अभिनय की प्रतिभा से दर्शको को अपना दीवाना बनाया। 9 जुलाई, 1925 को कर्नाटक के बेंगलूरु शहर में एक मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में जन्में गुरुदत्त (वसंत कुमार शिवशंकर राव पादुकोण) का रुझान बचपन के दिनों से ही नृत्य और संगीत की तरफ था। 
 
गुरुदत्त के पिता शिवशंकर पादुकोण एक स्कूल मे हेड मास्टर थे, जबकि उनकी मां भी स्कूल में ही शिक्षिका थीं। गुरुदत्त ने अपनी प्रांरभिक शिक्षा कोलकाता शहर में रहकर पूरी की। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से उन्हें मैट्रिक के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी।
 
संगीत के प्रति अपने शौक को पूरा करने के लिए गुरुदत्त ने अपने चाचा की मदद से पांच वर्ष के लिए छात्रवृत्ति हासिल की और अल्मोड़ा स्थित उदय शंकर इंडिया कल्चर सेंटर में दाखिला ले लिया, जहां वह उस्ताद उदय शंकर से नृत्य सीखा करते थे। इस बीच गुरु दत्त ने टेलीफोन ऑपरेटर के रूप में भी एक मिल में काम भी किया। 
 
उदय शंकर से पांच वर्ष तक नृत्य सीखने के बाद उन्होंने पुणे के प्रभात स्टूडियो में तीन वर्ष के अनुबंध पर बतौर नृत्य निर्देशक शामिल कर लिए गए। वर्ष 1946 में उन्होंने प्रभात स्टूडियो की निर्मित फिल्म 'हम एक हैं' से बतौर कोरियोग्राफर अपने सिने करियर की शुरुआत की। इस बीच, गुरुदत्त को प्रभात स्टूडियो की निर्मित कुछ फिल्मों में अभिनय करने का मौका भी मिला।
 
प्रभात स्टूडियो के साथ किए गए अनुबंध की समाप्ति के बाद वह अपने घर मांटूगा लौट आए। इस दौरान, वह छोटी छोटी कहानियां लिखने लगे जिसे वह छपने के लिए प्रकाशक के पास भेज दिया करते थे। इसी दौरान उन्होंने 'प्यासा' की कहानी भी लिखी, जिस पर उन्होंने बाद मे फिल्म भी बनाई। वर्ष 1951 में प्रदर्शित देवानंद की फिल्म 'बाजी' की सफलता के बाद गुरुदत्त बतौर निर्देशक अपनी पचान बनाने में कामयाब हो गए। 
 
इस फिल्म के निर्माण के दौरान उनका झुकाव गायिका गीता राय की ओर हो गया और वर्ष 1953 में गुरुदत्त ने उनसे शादी कर ली। वर्ष 1952 में अभिनेत्री गीताबाली की बड़ी बहन हरिदर्शन कौर के साथ मिलकर गुरुदत्त ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया, लेकिन वर्ष 1953 मे प्रदर्शित फिल्म 'बाज' की नाकामयाबी के बाद गुरुदत्त ने स्वयं को उनके बैनर से अलग कर लिया और इसके बाद उन्होंने अपनी खुद की फिल्म कंपनी और स्टूडियो बनाया जिसके बैनर तले वर्ष 1954 में उन्होंने फिल्म 'आर पार' का निर्माण किया। 
 
'आरपार' की कामयाबी के बाद गुरुदत्त ने 'सीआईडी', 'प्यासा', 'कागज के फूल', 'चौदहवीं का चांद' और 'साहब बीवी और गुलाम' जैसी कई फिल्मों का निर्माण किया। गुरुदत्त ने कई फिल्मों की पटकथा भी लिखी जिनमें 'बाजी', 'जाल' और 'बाज' शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने लाखारानी, मोहन, गल्र्स होस्टल और संग्राम जैसी कई फिल्मों का सहनिर्देशन भी किया।
 
वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म बाज के साथ गुरुदत्त ने अभिनय के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और इसके बाद सुहागन, आरपार, मिस्टर एंड मिसेज 55, प्यासा, 12ओ क्लॉक, कागज के फूल, चौदहवी का चांद, सौतेला भाई, साहिब बीवी और गुलाम, भरोसा, बहूरानी, सांझ और सवेरा तथा पिकनिक जैसी कई फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। वर्ष 1954 मे प्रदर्शित फिल्म 'आरपार' की कामयाबी के बाद गुरुदत्त की गिनती अच्छे निर्देशकों में होने लगी। 
 
वर्ष 1959 में अपनी निर्देशित फिल्म कागज के फूल की बॉक्स ऑफिस पर असफलता के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि भविष्य में वह किसी और फिल्म का निर्देशन नहीं करेंगें। ऐसा माना जाता है कि वर्ष 1962 में प्रदर्शित फिल्म साहिब बीबी और गुलाम हालांकि गुरुदत्त ने ही बनाई थी, लेकिन उन्होंने इसका श्रेय फिल्म के कथाकार अबरार अल्वी को दिया। गुरुदत्त ने कई फिल्मों की पटकथा भी लिखी जिनमें बाजी, जाल और बाज शामिल है।
 
वर्ष 1957 में गुरुदत्त और गीता दत्त की विवाहित जिंदगी मे दरार आ गई। इसके बाद गुरुदत्त और गीता दत्त ने अलग अलग रहने लगे। इसकी एक मुख्य वजह यह भी रही कि उस समय उनका नाम अभिनेत्री वहीदा रहमान के साथ भी जोड़ा जा रहा था। गीता राय से जुदाई के बाद गुरुदत्त टूट से गए और उन्होंने अपने आप को शराब के नशे में डूबो दिया। 10 अक्टूबर 1964 को अत्यधिक मात्रा में नींद की गोलियां लेने के कारण गुरुदत्त इस दुनिया को सदा के लिए छोड़ कर चले गए। उनकी मौत आज भी सिने प्रेमियो के लिए एक रहस्य ही बनी हुई है।