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Last Modified: मंगलवार, 23 अगस्त 2022 (16:11 IST)

कॉलेज टाइम में लड़कियों से बात करने में डरते थे विजय देवरकोंडा

कॉलेज टाइम में लड़कियों से बात करने में डरते थे विजय देवरकोंडा | vijay deverakonda was afraid to talk to girls in college time
साउथ सुपरस्टार विजय देवरकोंडा जल्द ही फिल्म 'लाइगर' में नजर आने वाले हैं। इन दिनों वह अपनी फिल्म के प्रमोशन में बिजी है। हाल ही में फिल्म लाइगर के प्रमोशन इंटरव्यू के दौरान जब विजय देवराकोंडा मीडिया के सामने पहुंचे तो उनका स्वागत मीडिया तो कर ही रही थी साथ ही में खुद विजय भी खुली बांहों से मीडिया को स्वीकारना चाह रहे थे। 

 
विजय देवरकोंडा ने बताया कि सभी लोग मेरा स्वागत बहुत प्यार से कर रहे हैं और मुझे मजा आता है जब लोग मेरा नाम पुकारते हैं। हालांकि वैसा मेरे नाम का उच्चारण नहीं है। लेकिन आप जैसे भी प्यार से बुला ले मुझे वो ही उच्चारण मंजूर हो जाएगा।
 
जब इतनी प्यारी बातों के साथ इंटरव्यू की शुरुआत होने वाली हो तो आप समझ सकते हैं कि और कई सारी बातें विजय की जुबान से बाहर आएगी जिसके बाद आपकी फिल्म की पसंद का तो पता नहीं कम से कम विजय देवरकोंडा पसंद जरूर आ जाएंगे।
 
मीडिया से बात करते हुए विजय ने बताया कि जो रोल लाइगर में कर रहा हूं वह बिल्कुल मेरी तरह नहीं है मैं बहुत ही अलग किस्म का शख्स हूं असलियत में जैसा हूं और अगर वैसा ही रोल मैंने कभी फिल्मों में निभाया तो इतना बोरिंग हीरो आपको कभी देखे नहीं मिलेगा। आप सभी लोग फिल्म देखते-देखते सो जाएंगे। 
 
हंसी ठहाको के बीच फिर विजय ने अपनी बातों को जारी रखते हुए कहा कि मैं इस फिल्म के रिलीज को लेकर बहुत ज्यादा एक्साइटेड हूं क्योंकि पूरे देश वासियों के लिए फिल्म बनाना बहुत बड़े जिम्मेदारी का काम है। और मुझे बहुत अच्छा लग रहा है और साथ ही साथ थोड़ा सा सोचने में भी आता है कि अलग अलग तरीके के लोग होंगे, इतनी सारी जगह पर मेरी फिल्म जाएगी। 
 
मेरे लिए किसी दुआ से कम नहीं है कि मैं इतने बड़े देश के लिए एक फिल्म बना रहा हूं और जहां पर मेरी कला का प्रदर्शन करने का मुझे मौका भी मिल रहा है। मुझे तो बड़े-बड़े ऑडिटोरियम उसमें बहुत पसंद है और बहुत सारे लोग जब फिल्म देखने आते हैं तब भी मुझे बड़ा अच्छा लगता है। अब आप बताइए मेरे देश से बड़ा कभी कोई ऑडिटोरियम मिलेगा आपको? 
 
आपको अपने आप पर कितना गर्व महसूस होता है। यह सोच कर कि अभी तक बॉलीवुड में डेब्यू हुआ नहीं, लेकिन फिर भी आपके चाहने वाले बहुत हैं। लड़कियां बड़ी फिदा होती हैं।
मुझे तो समझ में नहीं आता। लोग मुझ पर इतना प्यार क्यों बरसाते हैं। मैंने तो कोई फिल्म भी यहां पर नहीं की है। मैं तो यहां पर कभी ज्यादा आता भी नहीं हूं ना मैं कभी पटना गया हूं। लेकिन वहां कई सारे लोग और लड़कियां मुझे बड़ा पसंद करती हैं तो चलिए आप ही बता दीजिए।
 
इस बात पर कुछ पत्रकारों ने बताया कि एक्टिंग पसंद आती है। किसी ने बताया कि उनकी मुस्कुराहट बड़ी पसंद है। तब विजय ने फिर बातों को शुरू किया और कहा, 'अच्छा तो आपको मेरी एक्टिंग पसंद है। क्या आपने यूट्यूब पर मेरी यह फिल्में देखी है या डब फिल्में देखी हैं?' वैसे अभी एक मॉल में अपने प्रमोशन के लिए मैं गया था। उस समय लोग खूब लाड़ मुझसे जता रहे थे। रात को जब मैं होटल के रूम में था, मेरी मां का फोन आया और वह रोने लगी कि विजय बेटा यह सब क्या हो रहा है। 
 
यह कितना बदल गया है। सब कुछ लोग कितना तुमसे प्यार कर रहे हैं? लेकिन आप लोगों को सच बताता हूं। मुझे अभी कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि मेरे आस-पास चल क्या रहा है? इतना प्यारा में लोगों को कैसे लगने लग गया। कैसे लोग मेरे इतने बड़े फैन हो गए हैं? हो सकता है आज से एक साल बाद जब मैं बैठ कर सोचो तो थोड़ा बहुत समझ में आएगी। मेरी जिंदगी में यह क्या तब्दीली आ गई है लेकिन अभी जब मैं प्रमोशन में व्यस्त हूं। तो मेरा तो दिमाग ही काम नहीं कर रहा।
 
अब बताइए कॉलेज के जमाने में लड़कियां कितना फिदा हुआ करती थी आप पर? 
मैं एक बात बहुत सच्चाई से बताता हूं। मैं कॉलेज में बिल्कुल ही दब्बू किस्म का लड़का था। लड़कियों को मुझसे बड़ी शिकायत रहा करती थी कि यह लड़का कभी बात नहीं करता है। हम फोन नंबर भी देते हैं तो वह कभी कॉल बात नहीं करता है। और इसके पीछे कारण एक ही था मैं जब 6 साल का था तब से मैं हॉस्टल में चला गया था और 15 साल तक हम सारे बॉयज हॉस्टल में ही पले बढ़े हैं। 
 
जहां पर अध्यात्म मुख्य रूप से पढ़ाया जाता था। जब मैं 16 साल का हुआ और हैदराबाद आया तब मैंने जाकर पहली बार लड़कियों से बात की है और मैं इतना डरा हुआ रहता था कि मैं कैसे बात करूं। क्या बात करूं। मैं तो लड़कियों की आंखों में देख कर भी बात नहीं कर पाता था। मैं हमेशा इधर उधर देख कर उनकी बातों का जवाब दिया करता था और इस बात से लड़कियों को बहुत चिढ़ हुआ करती थी। और जब फोन की बात आती थी तो मुझे लगता था। मैं फोन तो कर लूं लेकिन लड़कियों से बात क्या करूं और कैसे करूं? मेरे इस पूरे डर से निकलने में मुझे 2 साल से ज्यादा का समय लगा। 
 
आपको कब लगा कि महिलाएं आपके पीछे बहुत पागलपन की हद तक फिदा हो रही है? 
पता चल जाता है, आसपास के लोग बता देते हैं। कभी मैं किसी इवेंट पर जाऊं तो वहां देखता हूं कि बहुत सारी लड़कियां आई हुई है। तब लगाकर अच्छा शायद मैं लड़कियों को बहुत पसंद हूं। एक बार मैंने एक ज्योतिष को अपनी कुंडली दिखाई थी। तब उन्होंने कहा था कि मेरी मंगल और शुक्र की स्थिति कुछ ऐसी बनी है। जन्मकुंडली में कि मेरे जिंदगी में महिलाएं बहुत बड़ा रोल निभाने वाली हैं जैसे कि मेरी नानी जो बचपन से बहुत ही ज्यादा मुझे लाड़ देती रही है फिर मेरी मां, मेरी जिंदगी की शुरुआत इस फिल्म में भी दो महिलाओं ने प्रोड्यूस की थी। उसके बाद जिंदगी में जितने भी महिलाएं रही है, उन्होंने कुछ न कुछ मुझे सिखाया है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।
 
आपने कहा कि आप बड़े आध्यात्मिक रहे हैं क्या अभी भी कोई ऐसा नित्य कर्म करते हैं? 
मैं बहुत ज्यादा आध्यात्मिक रहा हूं। यह बात मैं मानता हूं। मैं बोर्डिंग स्कूल में नहीं था मैं हॉस्टल भी नहीं कह सकता यह आश्रम ही था। सुबह 5:30 बजे उठना पड़ता था। उसके बाद सुप्रभातम होता था। शाम को हम सभी को भजन गाने होते थे। जिंदगी का हिस्सा है यह सब मेरे लिए और मैं बहुत मानता हूं भगवान को भी। लेकिन मेरी मां मुझसे ज्यादा आध्यात्मिक है। बहुत पूजा पाठ करती हैं। 
 
अभी एक-दो हफ्ते पहले मैं बीमार पड़ा था तो मेरी मां ने मुझे काला धागा बांधा और कहा कि निकाला नहीं है। मैं सब कुछ मानता हूं लेकिन यह धागे पर इतना मैं नहीं मानता हूं तो मैंने पहना और थोड़े समय बाद निकाल दिया। अब प्रमोशन के दौरान मेरी मां ने एक-एक वीडियो में देखा कि मैंने वह धागा नहीं पहना है तो रात को ही फोन आ गया और कहा धागा कहां है। मुझे फिर उनके लिए वापस से यह धागा पहनकर प्रमोशन के लिए जाना पड़ा। और मेरे हर प्रमोशन के दौरान वह देखती हैं कि धागा जगह पर है या नहीं है। मैंने पहना है या नहीं पहना है?
 
इस फिल्म के लिए आपको अलग-अलग जगह पर प्रमोशन करना पड़ा। कुछ शेयर करें। 
प्रमोशन के लिए मैं अलग-अलग शहर में जाता रहा हूं। मेरी फिल्म डियर कॉमरेड, उसके लिए मैं हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई और कोचिंग में गया था। एक म्यूजिकल टूर किया था और लाइगर के लिए मैं पूरे देश में अलग-अलग हिस्सों में जा रहा हूं। मुझे बिहार में जाने में बड़ा मजा आया। वहां के लोग बड़े ही मजेदार है। बिल्कुल मेरे जैसा राउडी किस्म के हैं और बहुत मजा आया मुझे पूरे बिहार में घूमने में पटना में घूमने में। 
 
वहीं पर अगर गुजरात कि मैं बात करूं तो गुजरात की थाली को मैं पूरी खत्म नहीं कर पाया। बहुत कुछ उसमें रखा हुआ था, लेकिन हां इतना बताता हूं वहां के लोग बड़े ही मीठे हैं और उनका खाना भी उतना ही मीठा लगा। हर चीज में वहां मीठा डालते हैं और खाना अच्छा था। वहां के पत्रकार भी बहुत ही प्यारे-प्यारे तरीके से मुझसे बात कर रहे थे। 
 
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