लुफ्थांसा की फ्लाइट से लंदन पहुंचीं अभिनेत्री श्रीलीला जैसे ही शहर के बदलते मौसम में उतरीं, पूरा माहौल उनके चार्म से भर गया। बारिश की फुहारों और शूट के बीच वह पूरी सहजता से मुस्कुरा रही थीं, आत्मविश्वास से भरी, बेफिक्र और अपने सफर को लेकर बेहद सुकून में। उन्होंने कहा, “मेरी जिंदगी एक ऐसी यात्रा है जिसमें मैंने सीखा भी, भूला भी और फिर से सीखा भी।”
घर वहीं है, जहां मां हैं
जब उनसे पूछा गया कि उनके लिए घर का मतलब क्या है, तो श्रीलीला ने दिल छू लेने वाला जवाब दिया। उन्होंने कहा, “मेरा घर भले ही हैदराबाद में हो, लेकिन मैं बहुत घूमती हूं। मेरे लिए घर वही है जहां मेरी मां मेरे साथ होती हैं। उनकी मौजूदगी से हर जगह घर जैसी लगती है।”
यात्रा ने सिखाई नई सोच और संस्कृतियां
श्रीलीला ने बताया कि यात्राओं ने उन्हें नई संस्कृतियों और भाषाओं से जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, “हर जगह की अपनी भाषा और भावना होती है। मुझे नई भाषाएं सीखना अच्छा लगता है। मुंबई में रहकर मैंने थोड़ी मराठी भी सीख ली।” उन्होंने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा कि कन्नड़ सिनेमा से उन्हें यह समझ आया कि हर भाषा की अपनी रफ्तार और संवेदना होती है, जो कहानियों को खास बनाती है।
मैंने मना करना भी सीखा, और वही मेरी ताकत बनी
अपने करियर के रास्ते और फैसलों पर बात करते हुए श्रीलीला बोलीं, “आज मैं जहां हूं, वो मेरे रास्ते में आए डिटोर्स की वजह से हूं। मैंने कुछ ऑफर्स ठुकराए, जो बाद में मेरे लिए अच्छे साबित हुए। कभी-कभी ना कहना भी बहुत हिम्मत मांगता है, और मैं उन फैसलों पर गर्व करती हूं।”
सिनेमा और सफर का अद्भुत मेल
श्रीलीला ने कहा कि सिनेमा और यात्रा दोनों उनके जीवन का अहम हिस्सा हैं। “सिनेमा लोगों को उन जगहों तक ले जाता है जहां वे खुद नहीं जा सकते। वहीं यात्राएं मुझे नए विचारों, संस्कृतियों और लोगों से जोड़ती हैं। इसने मुझे न सिर्फ एक बेहतर एक्टर, बल्कि एक बेहतर इंसान भी बनाया है।”
बचपन की झिझक से आज़ादी तक
उन्होंने बताया कि बचपन में वे बहुत गार्डेड चाइल्ड थीं और परिवार के बिना यात्रा नहीं करती थीं। “जब मां ने मुझे अकेले सफर करने की आज़ादी दी, तभी मुझे असली दुनिया समझ में आने लगी। मैं हर जगह लोगों से बातें करती हूं, बच्चों से लेकर बड़ों तक, उनकी कहानियां सुनना मुझे बहुत पसंद है।”
बिना एक्टिंग स्कूल, लेकिन जिंदगी से सीखा सबक
श्रीलीला ने बताया कि उन्होंने कभी किसी एक्टिंग स्कूल में ट्रेनिंग नहीं ली। “मेरे असली टीचर मेरे को-एक्टर्स और डायरेक्टर्स रहे हैं। मैं हर सीन से कुछ नया सीखती हूं। अगर कोई कहे कि खुद को कमरे में बंद करके किरदार समझो, तो मैं शायद वो भी कर लूं,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।
आने वाले प्रोजेक्ट्स को लेकर उत्साह
अंत में उन्होंने बताया कि वह इन दिनों चेन्नई और मुंबई के बीच लगातार यात्रा कर रही हैं। “मेरी तमिल और हिंदी दोनों फिल्मों की डेब्यू रिलीज़ आने वाली है, और मैं इन्हें लेकर बहुत उत्साहित हूं। ये दोनों प्रोजेक्ट्स मेरे दिल के बेहद करीब हैं,” उन्होंने कहा।