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Last Modified: शुक्रवार, 13 जनवरी 2023 (12:24 IST)

विशाल भारद्वाज की फिल्म से डेब्यू करने वाली राधिका मदान ने बताया 'कुत्ते' में आसमान भारद्वाज संग काम करने का अनुभव

विशाल भारद्वाज की फिल्म से डेब्यू करने वाली राधिका मदान ने बताया 'कुत्ते' में आसमान भारद्वाज संग काम करने का अनुभव | Radhika Madan talks about working with Aasman Bhardwaj in film Kuttey
राधिका मदान जो फिल्म 'कुत्ते' में एक महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आ रही हैं, उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत विशाल भारद्वाज के फिल्म 'पटाखा' से की थी। अब वह उनके बेटे आसमान के साथ अगली फिल्म कर रही हैं। ऐसे में मीडिया से फिल्म के प्रमोशन इंटरव्यू के दौरान बातचीत करते हुए राधिका ने कहा कि दोनों बहुत अलग भी है। 

 
राधिका मदान ने कहा, विशाल भारद्वाज की बात करो तो उनके साथ काम करना मतलब ऐसा लगता है घर में वापसी हो गई है। लेकिन फिर भी विशाल जी अपनी फिल्मों को लेकर बहुत सोचते हैं। बहुत सुलझे है, उनका अनुभव इस तरीके से रहा है कि वह जानते हैं कि इस सीन में इतने ही इमोशंस बाहर लाने चाहिए और लाए जाएंगे। जबकि आसमान की बात अलग है वह जिस तरीके से पढ़ाई करके आए है नूर रिस्क लेना चाहते हैं। उनके लिए बहुत नहीं है। 
 
उन्होंने कहा, सब चीज है इसलिए वह चाहते हैं कि नया कुछ करके दिखाओ और लोगों के सामने कुछ नई चीज पेश करके रखो। यह दोनों अलग तो है, पिता-पुत्र तो है लेकिन एक जैसे भी है वह इस तरीके से कि दोनों जमीन से जुड़े लोग हैं। ये दोनों बहुत सच्चाई सफल बनाते हैं और मुझे उनकी यह फिल्म करने में बड़ा मजा आया। 
 
विशाल भारद्वाज की फिल्मों में इरफान खान का होना बहुत महत्व रखता था और आपने भी इरफान के साथ काम किया है क्या सीखा उनसे?
इरफान जी से बहुत कुछ सीखने को मिलता था। एक दिन मुझे बड़े अच्छे से याद आता है कि हम लोग शूट करने वाले थे। एक बहुत ही महत्वपूर्ण सीन लगाया हुआ था और उसकी एक रात पहले मैं अपने कमरे के बाहर टहल रही थी और स्क्रिप्ट के सारी डायलॉग्स याद कर रही थी। पास ही में मैंने देखा एक साया खड़ा था और कुछ बातचीत चल रही थी। मेरे पास में जाकर देखा तो वह इरफान जी थे। वह अपने डायलॉग्स को रिहर्सल कर रहे थे। उन्हें तो यह तक कह दिया कि देखो कल का सीन बड़ा मुश्किल है तो चलो, मैं इसकी प्रैक्टिस कर लेता हूं। 
 
मुझे उस दिन समझ में आया कि इरफान जी ने एक बात गांठ बांध कर रखी है कि वह कभी अभिनय के छात्र बनना नहीं छोड़ेंगे। हर रोज के साथ उतने ही सच्चाई से सीखने की कोशिश करेंगे। उसे रिहर्स करने की कोशिश करेंगे। उस दिन मैंने भी सोच लिया। अपने दिमाग में छाप कर रख ली ये बात कि चाहे में अभिनय की दुनिया में कितनी भी आगे बढ़ जाऊं लेकिन मैं हमेशा अभिनय की छात्रा ही रहूंगी। मुझे वही बने रहना है। में सोच रही थी कि यह शख्स! ऐसा क्यों कर रहा है यह तो खड़ा भी हो जाए तब भी सीन पूरा का पूरा निकल कर आ जाएगा। लेकिन नहीं वो अभिनय के सच्चे छात्र रहे।
 
इस फिल्म में भी बड़े-बड़े कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला। उनसे क्या सीखा? 
मुझे तो लगता है आसमान ने इतने सारे कलाकारों को एक साथ इकट्ठा कैसे कर लिया। मैं मेरी बात तो छोड़ ही दीजिए। मैं तो बहुत ही नहीं हूं। इन लोगों में लेकिन सोचिए ना कोको मैम है तब्बू मैम हैं। कुमुद जी हैं, नसीर जी हैं और सब के सब एक साथ काम कर रहे हो तो फिल्म कितनी सुंदर निकल कर आई। जहां तक क्या सीखा इन बड़े लोगों से तो यह सीखा।
 
इन सबकी अपनी अपनी खूबियां हैं। सबके अपने अपने काम करने के तरीके हैं, लेकिन एक चीज सभी की कॉइनसिक्योर्ड कलाकार नहीं है। मेरे लिए इन सभी के साथ काम करना एक अच्छा अनुभव रहा है। मुझे अपने फिल्म का क्लाइमैक्स सीन ऐसा लगा है जिसमें बार-बार जी सकूं क्योंकि क्लाइमेक्स में ही मैं इन सारे कलाकारों से एक साथ मिली हूं। सभी को काम करते हुए देखा है। क्लाइमैक्स भी अलग तरीके से ही फिल्माया गया था। मतलब पानी और इतना सारा कीचड़ हो रहा था। मिट्टी थी, गोलियां थी। 
 
जैसे ही सीन के बीच में हमें समय मिलता था जैसे सेटअप हो रहा होता था या लाइटिंग हो रही होती थी तो हम में से कोई भी वैनिटी वैन में नहीं जाता था। एक बड़ा सा घेरा बनाकर बैठ जाया करते थे और आपस में बातें किया करते थे। कोई शिकायत नहीं करता था कि पानी है  या भीग गए या गर्मी लग रही है। सब आपस में बैठे कुछ खा रहे हैं, बातचीत कर रहे हैं। एकदम घर जैसा माहौल हो गया था और यह याद में कभी नहीं भूल सकती। 
 
अपने कई सारे किरदार निभाए हैं। कभी ऐसा हुआ है कि कभी-कभी आप अपने किसी किरदार की तरह। रिएक्ट करने लगीं। 
हां, मैंने कई सारे किरदार निभाए हैं और ऐसा होता है कि आप जो भी किरदार निभा उसका कोई ना कोई भाग आपकी पर्सनालिटी में रह जाता है। पूरी तरीके से नई पर्सनैलिटी बनाकर नहीं ला सकते हैं। जैसे कहते हैं ना आप जिस किरदार को निभा रहे हैं, ऐसा लगता है कि आप रिलेशनशिप में हैं। आप अपने अंदर की एक भावना अगर उस किरदार में डाल रहे और किरदार को ज़िंदा कर रहे हैं तो वह किरदार भी तो अपने कैरेक्टर है जो वो आपको दे रहा है। 
 
जैसे कि आपका कोई रिलेशनशिप चल रहा हो। कई बार ऐसा होता है जब तक आप एक पुराने किरदार से निकलकर नए किरदार में जाते हैं तब फिर एक नया रिश्ता कायम हो जाता है, लेकिन यहां पर आपको बैठ कर सोचना होता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं इतने सारे रोल निभाते निभाते अपने आप को भूल गई हूं। अपने आप पर काम करना होता है। और मुझे लगता है मैं उसमें कई बार कामयाब भी हो जाती हूं। 
 
2022 कैसा रहा आपका
मैंने पिछले साल में 6 प्रोजेक्ट की और अगले महीने से सातवां प्रोजेक्ट शुरू करने वाली हूं तो समय तो अच्छा चल रहा है। मैं नाम भी बता सकती हूं। मेरी एक फिल्म सना है जो टैलेंट फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर हुई। एक है कच्चा लिंबू जो कि टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जा रही है। इसके अलावा एक वेब फिल्म है। सास बहू और फ्लेमिंगो जो कि होमी अदाजानिया के साथ में है। एक और है हैप्पी टीचर्स डे जो निमृत के साथ है। एक और प्रोजेक्ट अगले महीने से शुरू हो रहा है।
 
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