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Last Modified: सोमवार, 24 फ़रवरी 2025 (11:01 IST)

संजय लीला भंसाली पिता की बजाय क्यों जोड़ते हैं अपने नाम के साथ मां का नाम?

संजय लीला भंसाली पिता की बजाय क्यों जोड़ते हैं अपने नाम के साथ मां का नाम? - Why Sanjay Leela Bhansali adds his mother name with his name
अधिकांश लोग अपने नाम के साथ पिता का नाम लिखते हैं और संजय लीला भंसाली जैसे लोग बिरले ही हैं जो अपनी मां का नाम जोड़ते हैं। इससे यह बात तो साफ समझ में आती है कि वे अपनी मां को कितना प्यार करते हैं। आखिर मां का नाम अपने नाम के साथ जोड़ने की क्या वजह है? संजय की मां लीला भंसाली ने अपनी जिंदगी में बेहद संघर्ष किया है। गरीबी में भी हिम्मत नहीं हारी। टूटी नहीं। संघर्ष कर डटी रहीं।
 
संजय लीला भंसाली की मां ने अपने बच्चों को प्यार से पाला। शिक्षा दिलाई। संजय ने अपनी मां की जिंदगी को बेहद करीब से देखा। बड़े होने पर उन्हें मां की परेशानियां और संघर्ष समझ में आया और उन्होंने अपनी मां का नाम साथ में जोड़ लिया। 
 
संजय के पिता भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे। वे असफल रहे और इस असफलता को बर्दाश्त नहीं कर पाए। वे हिम्मत हार गए और खुद को शराब में डूबो दिया। हर समय नशे में रहने लगे। ऐसे में घर की हालत खराब हो गई। बच्चे छोटे थे। पिता जिम्मेदारी नहीं निभा रहे थे। संजय की मां लीला भंसाली ने सारा जिम्मा खुद उठाने का फैसला किया। 
 
वे भी गायिका और डांसर थीं। उन्हें इक्का-दुक्का फिल्मों में छोटे रोल मिले, लेकिन इससे गुजारा होना मुश्किल था। उन्होंने साड़ी में फॉल लगाने का काम शुरू किया। छोटे-मोटे काम शुरू किए। इससे जो भी आमदनी होती थी उससे वे घर खर्चा चलाती थी। साथ में अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में भी उन्होंने प्रवेश दिलाया ताकि शिक्षा में कोई कमी नहीं रहे। 
 
इधर संजय के पिता को परिवार के आर्थिक संकट से कोई मतलब नहीं था। वे तो शराब में डूबे रहते थे। अपनी चिड़चिड़ाहट को वे घर में तोड़फोड़ कर निकाला करते थे। संजय को यह देख गुस्सा आता था, लेकिन वे कुछ नहीं कर पाते थे। संजय ने स्कूल की पढ़ाई पूरी की। बाद में पुणे स्थित एफटीआईआई में दाखिला लिया। वहां से निकलने के बाद वे मुंबई आए। 
 
उस समय विधु विनोद 'परिंदा' नामक फिल्म बना रहे थे। भंसाली की प्रतिभा से विधु प्रभावित हुए। उन्होंने अपना सहायक बना लिया। जब फिल्म पूरी हुई और स्क्रीन पर जाने वाले नामों की लिस्ट मांगी गई तो भंसाली ने अपना नाम संजय लीला भंसाली लिखवाया। वे अपनी मां को आदरांजलि देना चाहते थे।
 
जो मां ने किया था उसका ऋण तो कभी नहीं चुकाया जा सकता है, लेकिन भंसाली ने अपने नाम में मां का नाम जोड़ कर एक अनोखी परंपरा शुरू की। उन्होंने दर्शाया कि वे अपनी मां से कितना प्यार करते हैं। आखिर मां के संघर्ष ने ही तो उन्होंने यहां तक पहुंचाया।  
 
भंसाली इसके बाद सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। उन्होंने खामोशी : द म्युजिकल, देवदास, हम दिल दे चुके सनम, ब्लैक, बाजीराव मस्तानी पद्मावत और गंगूबाई काठियावाड़ी जैसी शानदार और सफल फिल्में बनाईं। भव्यता, भावना-प्रधान और खूबसूरती उनकी फिल्मों के स्थाई भाव रहते हैं। 24 फरवरी 1963 को जन्मे संजय लीला भंसाली से और भी उम्दा फिल्मों की उम्मीदें हैं।