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Last Updated : बुधवार, 29 दिसंबर 2021 (16:51 IST)

मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक रोगों एवं इनके उपचार के प्रति कलंक के भावों को बढ़ावा देती है फिल्म 'अतरंगी रे'

मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक रोगों एवं इनके उपचार के प्रति कलंक के भावों को बढ़ावा देती है फिल्म 'अतरंगी रे' - The film Atrangi Re promotes feelings of stigma towards mental health, mental diseases and their treatment
जिस देश में सिनेमा दिल की धड़कन हो। आपके विचार ,भाषा शैली, आपके रहन-सहन का तरीका प्रभावित करती हो, उस देश में उसकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। फिल्म अतरंगी रे में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को बेहद गैर पेशेवर और हल्के तरीके से दिखाया जाना विडंबना का विषय है। 
 
अधिकांश भारतीय फिल्मों में मानसिक रोगों को पागलपन के पर्याय रूप में दिखाया जाता है या हंसी मज़ाक का पात्र बनाया जाता है। इस फिल्म में नायिका गंभीर मानसिक समस्याओं से जूझ रही होती है, लेकिन उपचार में उपयोग की जाने वाली दवाओं को भी अप्रभावी दिखाने के लिए संवाद गढ़े गए हैं जो कि चुभते हैं। 
 
मनोरोगों के वैज्ञानिक आधार हैं और इनके उपचार में दवाओं, परिवार के सदस्यों और काउन्सलिंग सभी की भूमिका होती है। कोई भी घटक एक दूसरे का विकल्प नहीं हो सकता। पूरा विश्व गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है। कोविड के समानांतर मानसिक रोगों का पैंड़मिक भी चल रहा है। 
 
हमारे देश में मानसिक रोगों के प्रति कलंक का भाव है जिस कारण से बहुत से लोग इनका उपचार लेने से कतराते हैं। फिल्म में जहां नायिका को मनोचिकित्सक की निगरानी में उपचार की आवश्यकता होती है वहाँ जागरूकता के अभाव में वो नानी से चप्पलें खाकर दर्शकों का मनोरंजन कर रही होती है।
 
एक मनोचिकित्सक के रूप में सिनेमा जगत से मेरी विनम्र अपील है कि मानसिक स्वास्थ्य पर कहानी गढ़ते हुए हमेशा पेशेवर रवैया अपनाएं और विशेषज्ञों से राय लें। मानसिक रोगों के प्रति जागरूकता लाने और कलंक का भाव मिटाने में आप सबकी महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
 
 
 
कुछ विशेष बातें, जिन पर आप सबका ध्यानाकर्षण करवाना चाहूँगा: 
* बाल मन पर माता-पिता से जुड़ी बातों/घटनाओं का बेहद गहरा प्रभाव पड़ता है,  चाहे बात मनोरोगों की उत्पत्ति का हो या व्यक्तित्व का निर्माण। अंग्रेजी में एक कहावत है कि child is the father of man
 
* सभी मनोरोगों का प्रभावी इलाज संभव है। चिकित्सक की निगरानी में दवा लें। दवाओं से आपके जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है। इन रोगों का इलाज लेने में कलंकित महसूस न करें, मनोचिकित्सक से मिलने में संकोच न करें। 
 
* मनोरोगों के वैज्ञानिक आधार हैं, इनका चमत्कार से ठीक हो जाना या तो संयोग हो सकता है या क्षणिक दिखने वाला लाभ। हमेशा पेशेवर सलाह लें।