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Last Updated : मंगलवार, 20 अक्टूबर 2020 (16:10 IST)

Bihar Assembly Elections: बिहार में नेताओं के रिश्तेदार भी हैं कुर्सी की दौड़ में

Bihar Assembly Elections: बिहार में नेताओं के रिश्तेदार भी हैं कुर्सी की दौड़ में - Relatives of leaders are also in the race for chair in Bihar
पटना। बिहार में 28 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा के प्रथम चरण के चुनाव में इस बार दिग्गज नेताओं के कई रिश्तेदार चुनावी समर के अभेद दुर्ग तोड़कर पहली बार सत्ता के सिंहासन पर विराजमान होना चाहते हैं।जमुई जिले की जमुई सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद पुतुल कुमारी की पुत्री तथा राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक विजेता अंतर्राष्ट्रीय शूटर श्रेयसी सिंह अपनी राजनीतिक पारी का आगाज कर रही हैं। इस सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश यादव के भाई और निवर्तमान विधायक विजय प्रकाश यादव फिर से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के टिकट पर सत्ता के संग्राम में अपना जौहर दिखाने जा रहे हैं।
 
वर्ष 2015 में राजद प्रत्याशी यादव ने पूर्व कृषिमंत्री नरेन्द्र सिंह के पुत्र और भाजपा के अजय प्रताप को 8240 मतों के अंतर से पराजित किया था। भाजपा से टिकट कटने से नाराज होकर अजय प्रताप इस बार राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के टिकट पर चुनावी रणभूमि में उतर आए हैं।
 
भागलपुर जिले की कहलगांव विधानसभा सीट से कांग्रेस ने इस बार पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सदानंद सिंह की बजाय उनके पुत्र शुभानंद मुकेश को उम्मीदवार बनाया है, जो पहली बार चुनावी रणभूमि में आगाज कर रहे हैं। मुकेश की टक्कर भाजपा के पवन कुमार यादव के साथ मानी जा रही है।
 
वर्ष 2015 के चुनाव मेंसदानंद सिंह ने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) उम्मीदवार नीरज कुमार मंडल को 21229 मतों के अंतर से पराजित किया था। बांका जिले के अमरपुर सीट से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने निवर्तमान विधायक जर्नादन मांझी की जगह उनके पुत्र जयंत राज को टिकट दिया गया है, जो पहली बार चुनावी दंगल में किस्मत आजमाएंगे, वहीं कांग्रेस के टिकट पर जीतेन्द्र सिंह उम्मीदवार बनाए गए हैं।
 
सिंह भी पहली बार चुनावी संग्राम में उतरे हैं। वर्ष 2015 में जनार्दन मांझी ने भाजपा के गुणेश्वर प्रसाद सिंह के पौत्र मृणाल शेखर को 11773 मतों के अंतर से पराजित किया था। जहानाबाद जिले के मखदुमपुर (सु) विधानसभा क्षेत्र से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के दामाद इंजीनियर देवेंद्र कुमार मांझी चुनावी रणभूमि में पहली बार ताल ठोंक रहे हैं। मांझी की टक्कर राजद प्रत्याशी सतीश दास से होगी। वर्ष 2015 के चुनाव में राजद के सूबेदार दास ने हम उम्मीदवार जीतन राम मांझी को 26777 मतों के अंतर से मात दी थी।
 
भोजपुर जिले की संदेश सीट से राजद ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में फरार निवर्तमान विधायक अरुण यादव की जगह इस बार उनकी पत्नी किरण देवी को उम्मीदवार बनाया है, जो पहली बार चुनावी समर में उतरी हैं। वहीं, जदयू ने पूर्व विधायक विजेन्द्र यादव को टिकट दिया है। दिलचस्प है किविजेंद्र यादव राजद विधायक अरुण यादव के बड़े भाई हैं यानी कि इस सीट पर मुकाबला घर के अंदर ही है। पिछले चुनाव मेंअरुण यादव ने भाजपा के संजय सिंह टाइगर को 25427 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। इस सीट से लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं भाजपा की बागी श्वेता सिंह मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगी है।
 
गया जिले के अतरी सीट पर वर्ष 2015 में राजद के टिकट निर्वाचित हुई कुंती देवी की जगह इस बार उनके पुत्र एवं नवोदित रंजीत कुमार यादव को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर जदयू की टिकट पर मनोरमा देवी चुनाव लड़ रही हैं। वर्ष 2015 में मती कुंती देवी ने लोजपा उम्मीदवार अरविंद कुमार सिंह को 13817 मतों के अंतर से परास्त किया था। इसी तरह जिले के वजीरगंज सीट से कांग्रेस के विधायक अवधेश सिंह के पुत्र नवोदित डॉ. शशि शेखर सिंह को पार्टी ने इस बार चुनावी रणभूमि में उतारा है, वहीं भाजपा के टिकट पर पूर्व विधायक वीरेन्द कुमार सिंह उन्हें चुनौती दे रहे हैं। पिछले चुनाव में अवधेश सिंह ने भाजपा के वीरेन्द्र सिंह को 12759 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी।
औरंगाबाद जिले की ओबरा सीट से राजद ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह के पुत्र ऋषि कुमार को प्रत्याशी घोषित किया है। उनकी टक्कर जदयू उम्मीदवार सुनील कुमार से मानी जा रही है। वर्ष 2015 में राजद के वीरेन्द्र कुमार सिन्हा ने बीएलएसपी उम्मीदवार वंद्रभूषण वर्मा को 11396 मतों के अंतर से मात दी थी।
 
नवादा जिले की नवादा सीट से राजद ने दुष्कर्म के एक मामले में सजायाफ्ता राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी को टिकट दिया है। वह पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। उनका मुकाबला जदयू प्रत्याशी और निवर्तमान विधायक कौशल यादव से होगा। इस सीट से वर्ष 2015 में निर्वाचित हुए राजद के राजबल्लभ यादव की विधानसभा सदस्यता समाप्त होने के बाद 2019 में हुए उपचुनाव में जदयू के कौशल यादव ने जीत हासिल की थी।
 
मुंगेर जिले की तारापुर सीट से राजद के टिकट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश नारायण यादव की पुत्री दिव्या प्रकाश पहली बार सत्ता के संग्राम में अपनी बाजी खेल रही है, जहां उनका मुकाबला जदयू प्रत्याशी और निवर्तमान विधायक डाॅ. मेवालाल चौधरी से होने की उम्मीद है। वर्ष 2015 के चुनाव में जदयू के डॉ. मेवालाल चौधरी ने हम उम्मीदवार शकुनी चौधरी को 11947 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। 
 
कैमूर जिले की रामगढ़ सीट से राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह पार्टी के उम्मीदवार बनाए गए हैं, वहीं भाजपा के टिकट पर निवर्तमान विधायक अशोक कुमार सिंह चुनावी समर में फिर से ताल ठोक रहे हैं।
 
वर्ष 2015 के चुनाव में भाजपा के अशोक कुमार सिंह ने राजद के अंबिका सिंह को 8011 मतों के अंतर से परास्त किया था। राजद से टिकट नहीं मिलने के बाद अंबिका सिंह बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर चुनावी अखाड़े में दम भर रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि दिग्गज नेताओं के रिश्तेदार चुनावी समर के अभेद दुर्ग को तोड़कर सत्ता के सिकंदर बन पाते हैं या नही। (चित्र साभार यूएनआई)
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