यूक्रेन के साथ युद्ध के एक साल पूरे होने से पहले रूस की आवाम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि अमेरिका के साथ न्यू स्ट्रैटजिक आर्म रिडक्शन ट्रीटी से रूस अपनी भागीदारी निलंबित कर रहा है। इसे 'न्यू स्टार्ट परमाणु संधि' के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि पुतिन के इस बयान के बाद रूस के विदेश मंत्रालय ने साफ़ किया है कि संधि के मुताबिक़ युद्ध के लिए तैयार परमाणु मिसाइलों और हथियारों की संख्या पर जो पाबंदी है उसे रूस आगे भी मानता रहेगा।
रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ये फ़ैसला इसलिए किया गया है ताकि "हमारी न्यूक्लियर साइटों के बारे में पता लगाने की क्षमता और इसकी स्थिरता को एक हद तक बचाया जा सके।"
इस संधि से रूस की भागीदारी निलंबित करने की दुनिया भर में चर्चा है। कहा जा रहा है कि दो परमाणु महाशक्तियों के बीच ये आखिरी परमाणु समझौता है और अगर ये ख़त्म हो गया तो दोनों देशों का एक दूसरे पर 'आर्म कंट्रोल ख़त्म' हो जाएगा। पुतिन के फ़ैसले के असर पर गौर करने से पहले आपको ये बताते हैं कि न्यू स्टार्ट आखिर है क्या।
न्यू स्टार्ट आखिर है क्या?
साल 2010 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
न्यू स्टार्ट संधि के तहत अमेरिका और रूस में कितनी मिसाइल बिल्कुल तैयार स्थिति में होंगी उनकी संख्या तय की गई है। रूस और अमेरिका के पास पूरी दुनिया के 90 फ़ीसदी परमाणु हथियार हैं।
इस समझौते के अनुसार रूस और अमेरिका अधिकतम 1550 परमाणु मिसाइल, 700 लंबी रेंज की मिसाइल और बमर्स बिल्कुल तैयार स्थिति में रख सकते हैं।
दोनों ही देश एक दूसरे की न्यूक्लियर साइट पर एक साल में 18 दौरे कर सकते हैं ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं कोई देश समझौते का उल्लंघन तो नहीं कर रहा है।
साल 2011 में ये संधि शुरू हुई और साल 2021 में इसे पांच साल के लिए और बढ़ा दिया गया। यानी मौजूदा संधि 2026 तक के लिए वैध है।
मार्च 2020 में कोविड माहामारी के कारण दोनों देशों के बीच न्यूक्लियर साइट के दौरे रोक दिए गए। बीते साल नवंबर में इन साइट के दौरे को दोबारा शुरू करने के लिए अमेरिका और रूस के बीच मिस्र में मुलाकात होनी थी, लेकिन रूस ने इस मुलाकात को टाल दिया। अब दोनों देशों की ओर से इस मुलाकात के लिए नई तारीख तय नहीं हुई है।
इस समझौते से रूस के अलग होने के मायने
हालांकि रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह ट्रीटी के उस नियम का पालन करेगा जिसमें दोनों देशों के बिल्कुल तैयार हालत में मिसाइलों की संख्या निर्धारित की गई है। लेकिन रूस के इस ट्रीटी को निलंबित कर देने से संभवतः ये होगा कि अमेरिका के लिए ये पता लगाना मुश्किल हो जाएगा कि रूस इस समझौते का पालन कर रहा है या नहीं।
रूस पहले ही दोनों देशों के बीच तय न्यूक्लियर साइट के दौरे रद्द कर चुका है। जानकार मानते हैं कि ये बड़ा ख़तरा होगा अगर पुतिन आगे बढ़ कर दोनों देशों के बीच तैयार मिसाइल हथियारों के डेटा की जानकारियो का लेन-देन भी रोक दें।
सेंटर फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड नॉन-प्रोलिफेरेशन के वरिष्ठ नीति निदेशक जॉन एरॉथ ने वाशिंगटन पोस्ट को दिए इंटरव्यू में कहा कि यह कदम "पूरी तरह प्रतीकात्मक" है।
उनका मानना है कि पुतिन का ये एलान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पर दबाव बनाने का तरीका है, जो रूस के खिलाफ़ यूक्रेन के साथ खड़े हैं। "बाइडन युद्ध के ख़ात्मे की बात कर रहे हैं और रूस उन्हें दिखाना चाह रहा है कि आखिर क्या-क्या हो सकता है।"
ब्रितानी अख़बार गार्डियन से बात करते हुए संयुक्त राष्ट्र में इंस्टीट्यूट फॉर डिसार्मनेंट रिसर्च के सेंटर ऑफ़ आर्म्स कंट्रोल एंड स्ट्रैटजिक विपन कार्यक्रम के वरिष्ठ शोधकर्ता एंड्री बाक्लिट्सकी कहते हैं, "संधि का निलंबन एक बड़ी बात थी, समझौते का निलंबन खुद को इससे बाहर कर लेने जैसा नहीं है। लेकिन वास्तव में, आने वाले वक़्त में ये हो भी सकता है।"
"हो सकता है कि रूस इस संधि में 2026 तक बना रहे लेकिन ये तय है कि वह अमेरिका को लेकर कठोर रवैया अख़्तियार करेगा। इस संधि के नियमों के तहत तय की गई ज़िम्मेदारी भी बदल सकता है। "
कॉपी-कीर्ति दुबे