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Written By BBC Hindi
Last Updated : शनिवार, 7 अक्टूबर 2023 (10:21 IST)

'न्यूज़क्लिक' मामले में अमेरिकी अख़बार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने बीबीसी हिन्दी को क्या बताया?

'न्यूज़क्लिक' मामले में अमेरिकी अख़बार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने बीबीसी हिन्दी को क्या बताया? - What did the American newspaper 'New York Times' tell BBC Hindi in the 'Newsclick' case?
-राघवेंद्र राव (बीबीसी संवाददाता)
 
Newsclick case: अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने कहा है कि यह स्वीकार्य नहीं है कि कोई सरकार पत्रकारों की आवाज़ दबाने के लिए स्वतंत्र पत्रकारिता का इस्तेमाल करे। दिल्ली में 'न्यूज़क्लिक' से जुड़े पत्रकारों पर हुई पुलिस की कार्रवाई के बाद बीबीसी हिन्दी ने 'न्यूयॉर्क टाइम्स' से 'न्यूज़क्लिक' से जुड़ी रिपोर्ट को लेकर कुछ सवाल पूछे थे। इन सवालों पर 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने यह प्रतिक्रिया दी है।
 
'न्यूयॉर्क टाइम्स' अख़बार ने इस साल 5 अगस्त को न्यूज़ पोर्टल 'न्यूज़क्लिक' को लेकर एक ख़बर छापी थी। इसमें अख़बार ने दावा किया था कि चीन का प्रॉपेगैंडा फैलाने के लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के क़रीबी एक अमेरिकी करोड़पति ने 'न्यूज़क्लिक' की फंडिंग की है।
 
क्या कहना है 'न्यूयॉर्क टाइम्स' का?
 
बीबीसी हिन्दी के सवालों पर 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने कहा है कि स्वतंत्र पत्रकारिता करते हुए तथ्य आपका रास्ता तय करते हैं। हमारी जांच अंदरुनी दस्तावेज़ों, कॉर्पोरेट एवं नॉन प्रॉफिट टैक्स फाइलिंग से जुड़े काग़ज़ात और श्री सिंघम से जुड़े समूहों के 2 दर्जन से अधिक पूर्व कर्मचारियों के साक्षात्कारों पर आधारित थी।
 
इस जांच में ये सामने आया कि वे (सिंघम) चीनी सरकार की मीडिया हितों के साथ निकटता से काम करते हैं और दुनियाभर में चीन के हित में प्रॉपेगैंडा फैलाने के लिए आर्थिक मदद देते हैं।
 
इस अमेरिकी अख़बार का कहना है कि हालांकि हमारी जांच इस समूह के चीनी हितों से जुड़े कुछ असहज करने वाले सच सामने ला सकती है लेकिन ये भी स्वीकार्य नहीं है कि कोई सरकार पत्रकारों की आवाज़ दबाने के लिए स्वतंत्र पत्रकारिता का इस्तेमाल करे। हमें अपनी रिपोर्ट की सटीकता पर विश्वास है और हम अपनी रिपोर्ट पर अडिग हैं।
 
दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को न्यूज़ पोर्टल 'न्यूज़क्लिक' से जुड़े पत्रकारों के घरों पर छापेमारी की थी। पुलिस ने मंगलवार तड़के 30 से अधिक लोगों को उनके घर से ले जाकर पूछताछ की थी। इसके बाद 2 लोगों को ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था।
 
पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, वे हैं 'न्यूज़क्लिक' के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और मानव संसाधन विभाग (एचआर) के प्रमुख अमित चक्रवर्ती।
 
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के आरोप
 
दरअसल बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने 7 अगस्त को लोकसभा में 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की ख़बर का हवाला देते हुए दावा किया था कि कांग्रेस नेताओं और 'न्यूज़क्लिक' को भारत विरोधी माहौल बनाने के लिए चीन से धन मिला था। बीजेपी सांसद ने संसद में कहा था कि राहुल गांधी की 'नफरत की दुकान' में चीनी 'सामान' है। दुबे ने 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की ख़बर का हवाला देते हुए दावा किया था कि 'न्यूज़क्लिक' को 38 करोड़ रुपए मिले हैं।
 
'न्यूज़क्लिक' ने आरोपों को बताया ग़लत
 
लोकसभा में दुबे के इस बयान के बाद 'न्यूज़क्लिक' के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ ने एक बयान में कहा था कि 'न्यूज़क्लिक' पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को लेकर लगाए गए आरोप ग़लत हैं। 'न्यूज़क्लिक' ने दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के बाद भी इन आरोपों को ग़लत बताया है। वेबसाइट का कहना है कि 'न्यूज़क्लिक' पर अब तक प्रकाशित सभी पत्रकारिता सामग्री इंटरनेट पर उपलब्ध है। उसे कोई भी देख सकता है।
 
संस्थान का कहना है कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक भी लेख या वीडियो का ज़िक्र नहीं किया है जिसे वे चीनी प्रचार मानते हैं। वेबसाइट का कहना है कि वो चीन के किसी प्रॉपेगैंडा का प्रचार नहीं करता है। 'न्यूज़क्लिक' ने खुद को एक स्वतंत्र समाचार वेबसाइट बताया है। उसका दावा है कि उसकी पत्रकारिता सामग्री पेशे के उच्चतम मानकों पर आधारित है। संस्थान ने कहा है कि हमें न्यायालयों और न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है। हम भारत के संविधान के अनुसार अपनी पत्रकारिता की स्वतंत्रता और अपने जीवन के लिए लड़ेंगे।
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