ब्रिटेन में पोर्न वेबसाइट एक्सेस करने से पहले लोगों को यह साबित करना होगा कि उनकी उम्र 18 साल है। सरकार यह आदेश अगले साल से लागू करेगी। नियम के मुताबिक़, पोर्न वेबसाइट विजिट करने वाले लोगों को अप्रैल 2018 से अपनी उम्र का सबूत देना होगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि बच्चों के लिए इंटरनेट को सुरक्षित बनाया जा सके। इसके लिए गैंबलिंग वेबसाइट्स की तर्ज़ पर यूजर्स से क्रेडिट कार्ड डीटेल मांगा जा सकता है।
भारत में क्या ये संभव है?
साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में ऐसी वेबसाट्स पर वेरिफिकेशन सिस्टम शुरू करना आसान नहीं है। साइबर लॉ विशेषज्ञ पवन दुग्गल कहते हैं, ''भारत में यह संभव नहीं है क्योंकि इसके पीछे कई बुनियादी चुनौतियां हैं। यहां कोई कॉमन नेशनल सिक्योरिटी सिस्टम नहीं है, जिसकी मदद ली जा सके।''
उन्होंने कहा, ''भारत में हर आदमी के पास क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड नहीं है। ऐसे में जो लोग 18 साल से ऊपर हैं और इन वेबसाइट का इस्तेमाल करना चाहते हैं वो नहीं कर पाएंगे।''
ख़तरे
विकल्पों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि आधार को वेरिफिकेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन इसके ख़तरे अलग हैं।
उन्होंने कहा, ''आधार की परिकल्पना ही ऐसी नहीं है। उसमें काफी सेंसिटिव जानकारी है। बायोमिट्रिक डेटा है, जो लीक हो सकता है। देश के अंदर ही आधार डेटा लीक के इतने मामले हो रहे हैं, विदेश में जाने से ख़तरा और बढ़ जाएगा।''
क़ानून के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ज़्यादातर पोर्न वेबसाइट विदेशी डोमेन पर हैं। भारतीय क़ानून उन पर कैसे लागू होगा यह भी एक चुनौती है। पवन दुग्गल बताते हैं कि भारत में साइबर सिक्योरिटी सबसे बड़ी चुनौती है। साइबर सुरक्षा में सेंध लगाने के लिए आधार सबसे बड़ा ज़रिया भी है।
यूके की नेशनल सोसायटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टू चिल्ड्रेन (NSPCC) की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक़, ऑनलाइन पोर्नोग्राफी बच्चे के विकास में बाधा बन सकती है और उसकी निर्णय लेने की क्षमता पर भी असर डालती है।
सिस्टम
रिपोर्ट के मुताबिक़, 15-16 साल की उम्र के 65 फीसदी और 11-16 साल की उम्र की 48 फीसदी बच्चे ऑनलाइन पोर्न की वजह से प्रभावित हैं। अध्ययन में पता चला कि 28 फीसदी बच्चों को इंटरनेट पर ब्राउजिंग के वक्त पोर्न साइट्स के लिंक मिले जबकि 19 फीसदी बच्चों ने सीधे सर्च करके पोर्न देखा।
चाइल्ड सिक्योरिटी के मामले पर पवन दुग्गल ने कहा, ''भारत में लोग झूठ बोलने के आदी हैं। 10-12 साल के बच्चे भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। उम्र वेरिफिकेशन का कोई सिस्टम तय नहीं है।''
गाइडलाइन के मुताबिक़, फ़ेसबुक इस्तेमाल करने के लिए कम से कम 13 साल का होना ज़रूरी है। ऐसे में चिंता का विषय यह है कि सरकार उम्र वेरिफिकेशन के लिए कोई कॉमन सिस्टम लाए।