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Last Modified: मंगलवार, 17 जुलाई 2018 (11:07 IST)

क्या होगा अगर हमें 100 साल तक काम करना पड़े?

क्या होगा अगर हमें 100 साल तक काम करना पड़े? | Old age
- जारिया गॉर्वेट (बीबीसी कैपिटल)
 
बुढ़ापा दिनोदिन महंगा हो रहा है। मुमकिन है कि आने वाली पीढ़ियां काम बंद करने के विचार को हमेशा के लिए छोड़ दे। क्या करेंगे हम और आप जब बूढ़े हो जाएंगे? क्या हम काम करने लायक बचेंगे? क्या कोई हमें काम देगा?
 
 
डॉक्टर बिल फ्रैंकलैंड 106 साल के हैं। शायद इस धरती पर काम कर रहे सबसे उम्रदराज डॉक्टर वही हैं। इस उम्र में भी वे लंदन के अपने ऑफ़िस में सूट और टाई लगाकर बैठे हैं। 100 साल की ज़िंदगी पूरी कर लेने के बाद वे चार रिसर्च पेपर छपवा चुके हैं और पांचवा पेपर लिख रहे हैं।
 
 
फ्रैंकलैंड 1930 के दशक में डॉक्टर बने थे। अपने लंबे करीयर में उन्होंने एलर्जी के इलाज में शोहरत कमायी। एंटी-बायोटिक्स की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले एलेक्जेंडर फ्लेमिंग के साथ भी उन्होंने काम किया। एक बार वे इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन के इलाज के लिए भी बुलाए गए थे।
 
 
नियमों के अनुसार डॉक्टर फ्रैंकलैंड को 65 साल में ही रिटायर हो जाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने काम करना बंद नहीं किया। वे तब से अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। डॉ। फ्रैंकलैंड कहते हैं, "मैं काम नहीं करता तो और क्या करता।"
 
 
काम के प्रति फ्रैंकलैंड का यह नज़रिया आम नहीं है। ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि बुढ़ापे के उनके दिन छुट्टी के दिन हैं। लेकिन शायद भविष्य में ऐसा न हो।
 
 
रिटायरमेंट के लिए ज़्यादातर लोग जितनी बचत कर पाते हैं और जितने की उनको ज़रूरत होती है, उसमें भारी अंतर आ रहा है। यह अंतर दिनोंदिन बढ़ रहा है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं- अमरीका, ब्रिटेन, जापान, नीदरलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, चीन और भारत में 2050 तक लोगों को जितनी बचत की ज़रूरत होगी, उसमें 428 हज़ार अरब डॉलर की कमी है।
 
 
पेंशन से काम नहीं चलने वाला
दुनिया की आबादी बूढ़ी होती जा रही है। 2015 में करीब 4 लाख 51 हज़ार लोग सौ साल के थे। अगले तीन दशकों में यह संख्या आठ गुनी हो जानी है। अमीर देशों में पैदा हो रहे ज़्यादातर बच्चे आज 100 साल की ज़िंदगी की उम्मीद लगा सकते हैं। समस्या यहीं से शुरू होती है।
 
 
अमरीका में 1960 के दशक में लोग औसत रूप से पांच साल तक बुढ़ापा पेंशन का फ़ायदा उठा पाते थे। तब लोग 65 साल की उम्र में रिटायर हो रहे थे और उनकी जीवन प्रत्याशा लगभग 70 साल की थी। अब जो लोग 100 साल तक जी रहे हैं, यानी रिटायरमेंट के बाद का जीवन 7 गुना लंबा है।
 
 
कंपनियां आख़िरी सैलरी के आधार पर पेंशन तय करने की व्यवस्था से किनारा कर रही हैं। ऐसे में जो लोग अमरीका के राष्ट्रीय औसत 44,564 डॉलर सालाना के बराबर आमदनी चाहते हैं, उन्हें इसके लिए करीब 10 लाख डॉलर की बचत की ज़रूरत है। इसलिए बुढ़ापे में भी उन्हें काम करना पड़ सकता है। लेकिन वे करेंगे क्या? क्या वे काम करने लायक रहेंगे? और क्या कोई उनको काम देगा?
 
 
भारत सहित पूरी दुनिया में 100 साल के लोग काम कर रहे हैं और वे मुश्किल काम कर रहे हैं। एंथनी मैंसिनेली 95 साल की उम्र में हजामत बनाते हैं। स्टैनिस्ला कोवाल्स्की जैसे एथलीट ने 104 साल की उम्र में 100 मीटर रेस का रिकॉर्ड तोड़ा है। 107 साल की उम्र में मस्तनम्मा यू-ट्यूब पर लोगों को मछली पकाना सिखा रही हैं।
 
 
बूढ़े लोग अक्सर काम करना चाहते हैं। ब्रिटेन के एक उद्यमी पीटर नाइट ने चार साल पहले 'फोर्टिज़ पीपुल्स' नामक एक रिक्रूटमेंट कंपनी खोली थी। वह अनुभवी बुजुर्ग लोगों को नौकरी दिलाते हैं। नाइट कहते हैं, "ज़्यादा उम्र की कोई सीमा नहीं है। मेरे एक क्लायंट की उम्र 82 साल थी और उन्होंने 94 साल के एक व्यक्ति को भी काम पर रखा था।"
 
 
90 साल के बाद भी कर रहे हैं काम
94 साल के यह व्यक्ति एक ही कंपनी से तीन बार रिटायर हो चुके थे। उनकी कंपनी रॉयल मरीन्स के रिकॉर्ड्स की देखरेख करती है। रिटायर होने के बाद वे अक्सर अपने सहकर्मियों से मिलने दफ़्तर चले आते थे और वहां उनका हाथ बंटाने लगते थे। इस तरह वे दुबारा काम शुरू कर देते थे। कंपनी ने काम के एवज में उनको कुछ पैसे देने का फैसला किया ताकि वे जब घर लौटें तो खुश होकर लौटें।
 
 
कुछ काम ऐसे होते हैं, जिनको छोड़ा ही नहीं जा सकता। 92 साल के ब्रिटिश टेलीविजन प्रस्तोता सर डेविड एटनबरो बीबीसी के लिए वन्य जीवों पर टीवी कार्यक्रम बनाते हैं। सर एटनबरो को पूरी उम्मीद है कि वे 100 साल तक यह काम करते रहेंगे।
 
 
जेन फाल्किंघम जराविज्ञानी हैं और साउथैम्पटन यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ पॉपुलेन चेंज के डायरेक्टर हैं। वे कहते हैं, "ब्रिटेन में अब अनिवार्य रूप से रिटायरमेंट की कोई उम्र नहीं है। शिक्षा क्षेत्र में 70 पार कर चुके लोग भी लेक्चर दे रहे हैं। मेरी फैकल्टी के सबसे बूढ़े प्रोफेसर करीब 75 साल के हैं।"
 
 
डॉक्टर फ्रैंकलैंड के लिए काम करते रहना एक व्यावहारिक फ़ैसला था। 106 साल की उम्र में वे ऐसे कई काम नहीं कर पाते, जो उनको पसंद थे जैसे कि बागवानी। इसलिए वे ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ते हैं। इस उम्र में उपन्यास वगैरह नहीं पढ़ा जा सकता, इसलिए वे वैज्ञानिक रिसर्च पढ़ते हैं।
 
 
'फोर्टिज़ पीपुल्स' में पीटर नाइट किस काम के लिए लोगों को नौकरी पर रखवाते हैं, इसका कोई निश्चित पैटर्न नहीं है। वे कहते हैं, "पिछले कुछ हफ्तों में तीन प्रेस कंपनियों ने हमसे संपर्क किया। उन्होंने रिसेप्शन और एचआर के लिए नौजवान लोगों को नौकरी पर रखा था, लेकिन वे भरोसेमंद नहीं थे, इसलिए उन्होंने अनुभवी लोगों को काम पर रखने का फ़ैसला किया ताकि वे अपने काम पर ज़्यादा ध्यान दे सकें।"
 
 
जिन लोगों के काम में शारीरिक श्रम की ज़्यादा ज़रूरत होती है, वहां लगातार काम करते रहना चुनौती भरा है। लेकिन फाल्किंघम कहते हैं, "तकनीक बदल रही है और वह हमारे काम को भी बदल रही है। ज़्यादा मेहनत वाले काम अब मशीनें करती हैं। यह बदलाव लोगों को लंबे समय तक काम करने में सहायक है।"
 
 
काम करने की क्षमता और सेहत
सौ साल पूरे कर चुके लोग हैरतअंगेज़ ढंग से सेहतमंद हैं। उनके चेहरों पर झुर्रियां भले ही ज़्यादा दिखें, लेकिन अपने से जवान पेंशनधारियों के मुकाबले वे अंदरूनी तौर पर ज़्यादा तंदुरुस्त हैं। एक नये शोध से पता चला है कि वे अपने से 20 साल छोटे लोगों के मुकाबले बहुत कम बीमारियों से ग्रसित हैं। मानसिक तौर पर भी वे सजग हैं। यह सही है कि उम्र के साथ कुछ क्षमता घटती है, लेकिन वर्षों के काम के दौरान हम जो कौशल और ज्ञान अर्जित करते हैं, वह निखरती जाती है।
 
 
2016 के अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में न्यूयॉर्क में वोट देने वाले 100 साल के लोगों पर वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया था। उन्होंने पाया कि उनमें बुढ़ापे के बहुत कम लक्षण हैं और उनका दिमाग बेहतर ढंग से काम कर रहा है।
 
 
कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि जल्दी रिटायर हो जाना सेहत के लिए अच्छा होता है, लेकिन कई बार काम छोड़ देने का उलटा असर भी पड़ता है। ऑस्ट्रिया में दफ़्तर में काम करने वाले लोगों पर हुए एक शोध से पता चला कि जिन लोगों ने साढ़े तीन साल पहले रिटायरमेंट ले लिया था, उनमें 67 साल की उम्र तक मर जाने की संभावना 13 फ़ीसदी अधिक पाई गई, खास तौर पर तब जबकि वे एकाकी जीवन बिता रहे थे और शारीरिक श्रम करना बंद कर दिया था।
 
 
जापान का ओकिनावा शतायु पा चुके लोगों की आबादी के लिए मशहूर है। एक अनुमान के मुताबिक यहां हर 2000 में से एक व्यक्ति 100 साल से ज़्यादा का है। ओकिनावा के लोगों की लंबी उम्र और उनकी जीवनशैली पर कई अध्ययन हुए हैं। उनसे पता चलता है कि यहां के लोग एक औसत अमरीकी के मुक़ाबले कम कैलोरी वाला खाना खाते हैं, ढेर सारी सब्जियां लेते हैं और ज़्यादा काम करते हैं।
 
 
ओकिनावा की स्थानीय बोली में 'रिटायरमेंट' के लिए कोई शब्द नहीं है। स्थानीय लोग खेती करते हुए और मछलियां मारते हुए बड़े होते हैं और वे जीवन के आखिरी दिनों तक काम करते हैं। बूढ़े लोग 'इकिगाई' का एक नियम मानते हैं, जो उन्हें हर सुबह उठकर काम करने की प्रेरणा देता है।
 
 
ओकिनावा संभवतः ऐसा इकलौता द्वीप है, जहां 100 साल से बड़े लोगों का अपना म्यूजिक बैंड है। केबीजी48 नाम का यह बैंड पूरे जापान का टूर करता है। इसका सदस्य बनने की पहली शर्त यह है कि व्यक्ति कम से कम 80 साल का हो।
 
 
तो बूढ़े लोग उतने लाचार नहीं है, जितना उनके बारे में सोचा जाता है। उनके पास करने को बहुत कुछ है। लेकिन सवाल है कि कोई उनको काम देना चाहेगा?
 
 
पीटर नाइट कहते हैं कि भविष्य में बूढ़े लोगों की संख्या बढ़ेगी। नई पीढ़ी के मुकाबले बूढ़े फायदेमंद स्थिति में हैं। वे काम को बेहतर तरीके से जानते हैं और उनकी संप्रेषण क्षमता भी ज्यादा होती है।
 
 
युवा टीम बनाने पर ज़ोर
इनके अलावा बूढ़े अपने क्षेत्र के माहिर माने जाते हैं। फ्रैंकलैंड जब 99 साल के थे, तब उनको कोर्ट ने एक केस के सिलसिले में जानकारी देने के लिए बुलाया था। वह केस एक सड़क हादसे का था, जिसमें ड्राइवर ने दावा किया था कि ग़लती उसकी नहीं थी, बल्कि एक ततैये के काटने से उसे एलर्जी हो गई थी जिससे हादसा हो गया। डॉक्टर फ्रैंकलैंड ने कोर्ट को बताया कि ऐसा नहीं हो सकता, जिस पर आरोपी ड्राइवर को सज़ा दी गई।
 
 
चुनौतियां भी कम नहीं हैं। नाइट बताते हैं कि उनके कई ग्राहकों ने उम्रदराज़ लोगों को नौकरी पर इसलिए नहीं रखा क्योंकि वे इतने अच्छे थे कि काम पर रखने वाले की ही छुट्टी कर सकते थे। उदाहरण के लिए, एक महिला ने अपने सीनियर के छुट्टी पर होने के दौरान आई मुसीबतों को सफलतापूर्वक निपटा दिया। लेकिन उसके काम से खुश होने की जगह उसे काम से हटा दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि वह महिला दफ्तर में अपने बॉस से ज़्यादा लोकप्रिय हो गई थी।
 
 
स्वाभाविक तौर पर बूढ़े हो जाना एक समस्या है। नाइट कहते हैं, "अगर आप किसी कंपनी वेबसाइट को देखें तो वे अपनी टीम को युवा दिखाना चाहते हैं। बूढ़ी टीम कोई नहीं दिखाना चाहता।"
 
 
जापान रास्ता दिखा रहा है। यहां जीवन प्रत्याशा सबसे ज्यादा है और जन्म दर कम से कम होती जा रही है। आबादी का करीब एक तिहाई हिस्सा 65 साल से बड़े लोगों का है। जापान सरकार ने उन कंपनियों को प्रोत्साहित करना शुरू किया है जो बूढ़े श्रमिकों को काम दे रहे हैं। सरकारी पेंशन की न्यूनतम योग्यता बढ़ाकर 70 साल करने पर भी विचार किया जा रहा है।
 
 
सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली कंपनी पोला के पास 1500 कर्मचारी हैं। इनमें से ज़्यादातर 70, 80 और 90 साल की महिलाएं हैं। उन्होंने लंबे समय में मजबूत कस्टमर बेस बनाया है और बूढ़े लोगों की टीम नौजवानों से बेहतर काम कर रही है।
 
 
फ्रैंकलैंड को 106 साल की उम्र में काम करना कैसा लगता है? वे बताते हैं, "बढ़ती उम्र की कुछ शारीरिक परेशानियां हैं। बहरापन उनमें से एक है। चीजों को संभालना मुश्किल है। जर्नल्स को खोजना भी बोरियत भरा है। शारीरिक रूप से मैं बहुत कम काम करता हूं। पहले मुझे हर चीज़ के लिए हां कहने की आदत थी, अब मैंने ना कहना भी शुरू कर दिया है।" डॉक्टर फ्रैंकलैंड की मानसिक क्षमता इससे बिल्कुल अलग है।
 
 
बिना कुछ किए-धरे बुढ़ापे के दिन काटते जाना सबको पसंद नहीं। बहुतों के लिए ख़राब सेहत का मतलब है कि 65 साल से आगे काम करना मुमकिन नहीं। लेकिन ऐसा किया जा सकता है। और अगर भविष्य में काम करने का यही स्वरूप होने वाला है तो दफ़्तर की सूरत बदलने वाली है।
 
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