रविवार, 1 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Marriage at Antarctica
Written By
Last Modified: मंगलवार, 18 जुलाई 2017 (12:21 IST)

अंटार्कटिक में शादी रचाने वाले पहले दूल्हा-दुल्हन

अंटार्कटिक में शादी रचाने वाले पहले दूल्हा-दुल्हन - Marriage at Antarctica
ध्रुवों पर काम करने वाले दो गाइड्स ब्रिटिश आर्कटिक टेरिटरी (बीएटी) में शादी रचाने वाला पहला जोड़ा बन गए हैं। टॉम सिल्वेस्टर और जूली बॉम ने अंटार्कटिक प्रायद्वीप के पश्चिम में एडिलेड आइलैंड पर स्थित रॉदेरा रिसर्च स्टेशन पर शादी रचा ली है।
 
दुल्हान जूली बॉम का शादी का जोड़ा नारंगी रंग का था जो एक पुराने टेंट से बनाया गया था। शादी के समय समारोह स्थल पर तापमान शून्य से नौ डिग्री (15 फ़ॉरेनहाइट) नीचे था।
सिल्वेस्टर कहते हैं, "अंटार्कटिक बेहद ख़ूबसूरत जगह है और हमने यहां पर कई अच्छे दोस्त बनाए हैं। शादी के लिए इससे बेहतर कोई और जगह हो ही नहीं सकती थी।" सिल्वेस्टर बताते हैं, "हम हमेशा से चाहते थे कि हमारी शादी छोटे पैमाने पर हो, लेकिन हमने कभी कल्पना नहीं की थी कि हम दुनिया के सबसे निर्जन जगहों में से एक जगह पर शादी करेंगे।"
 
दुल्हन बॉम कहती हैं, "बीते दस सालों से मैं और टॉम साथ काम कर रहे हैं और दुनिया भर में घूम रहे हैं। अंटार्कटिक में शादी करना, ऐसा लग रहा है कि जैसे ये सबसे ख़ूबसूरत है।" शादी के लिए सिल्वेस्टर ने रिसर्च स्टेशन पर ही मशीन पर पीतल की अंगूठियां बनाईं। शादी का समारोह स्टेशन लीडर और बीएटी के मजिस्ट्रेट पॉल सैमवेज़ की अध्यक्षता में हुआ।
शादी में रिसर्च स्टेशन से 20 मेहमान शामिल हुए जो उस टीम का हिस्सा हैं जो अंटार्कटिक की सर्दियों में स्टेशन की देखभाल करते हैं।

जूली और टॉम पिछले 11 साल से साथ हैं। वे पहली बार वेल्स में मिले थे। तीन साल पहले उनकी सगाई हुई थी। दोनों अनुभवी पर्वतारोही हैं और साल 2016 में ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे में काम करने के लिए उनका चयन किया गया था। ये टीम गहराई में वैज्ञानिक अनुसंधान में मदद करती है।
 
सिल्वेस्टर शेफ़ील्ड के रहनेवाले हैं और बॉम का जन्म बर्मिंघम में हुआ था। वो फ़िलहाल स्टैफ़र्डशर के यॉक्साल में रहती हैं। ये शादी बीएटी सरकार में पंजीकृत हुई है और ब्रिटेन में भी इसकी वैधता है। हाल में बीएटी में शादी के क़ानून में बदलाव लाए गए थे, जिसके बाद ये इस इलाके में आयोजित पहली शादी है।
ये भी पढ़ें
प्राचीन मिस्र के लोग ख़तना को लेकर क्यों थे उत्साही?