- पीटर रुबिन्स्टीन, ब्रायन लुफ़किन
नई भाषा सीखना एक डरावना विचार लगता है। हज़ारों अपरिचित शब्द, पूरी तरह अलग व्याकरणिक संरचना और शर्मिंदगी झेलने का डर, ये सब हममें से कई लोगों को डराने के लिए पर्याप्त हैं।
व्यस्त कामकाजी जीवन में एक नई भाषा सीखने के लिए समय निकालना भी अपने आप में एक चुनौती है। लेकिन विशेषज्ञों को लगता है कि दिन में केवल घंटेभर का समय देकर नई भाषा सीखी जा सकती है। इतना ही नहीं, किसी नई भाषा का अभ्यास करने से मिला कौशल दफ़्तर में और उससे आगे भी सुपरपावर होने का अहसास दिला सकता है।
द्विभाषी होने, बुद्धिमानी, याददाश्त और उच्च शैक्षणिक उपलब्धियों के बीच सीधा संबंध है। मस्तिष्क जब अधिक कुशलता से सूचनाओं को संसाधित करता है तो यह उम्र के साथ आने वाली गिरावट को रोकने में भी सक्षम है। आप अपनी मूल भाषा और नई भाषा के आधार पर अल्पकालिक और आजीवन संज्ञानात्मक लाभ के लिए कई टूलकिट विकसित कर सकते हैं।
बेशक, दूर की भाषा के साथ चुनौती ज़्यादा होती है (जैसे डच या वियतनामी), लेकिन एक विशिष्ट योजना बनाकर अभ्यास करने से सीखने की अवधि को कम किया जा सकता है। चाहे नई नौकरी के लिए हो या साहित्यिक संवर्धन के लिए या फिर अनौपचारिक बातचीत के लिए, आप अपने भाषा कौशल को निखार सकते हैं। इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आपकी उम्र क्या है या आपका पिछला कार्यक्षेत्र क्या रहा है।
सबसे कठिन भाषाएं
अमेरिकी विदेश सेवा संस्थान (FSI) ने अंग्रेज़ी भाषियों के सीखने के लिए दूसरी भाषाओं को कठिनाई के चार स्तरों में विभाजित किया है।
पहले समूह में सबसे आसान भाषाएं हैं, जिनमें शामिल हैं फ्रेंच, जर्मन, इंडोनेशियाई, इतावली, पुर्तगाली, रोमानियाई, स्पेनिश और स्वाहिली। एफ़एसआई रिसर्च के मुताबिक़ इस समूह की सभी भाषाओं में सहज होने के लिए लगभग 480 घंटे का अभ्यास चाहिए।
भाषाओं के दूसरे, तीसरे और चौथे समूहों की तरफ बढ़ने पर कठिनाइयां बढ़ती हैं। दूसरे समूह की भाषाओं में बुल्गारियाई, बर्मी, ग्रीक, हिंदी, फ़ारसी और उर्दू शामिल हैं। इनमें बुनियादी सहजता पाने के लिए 720 घंटे लगते हैं।
अम्हारिक, कंबोडियाई, चेक, फिनिश और हिब्रू ज़्यादा मुश्किल भाषाएं हैं, जिनको तीसरे समूह में रखा गया है। भाषाओं का चौथा समूह अंग्रेज़ी भाषियों के लिए सबसे ज़्यादा चुनौतीपूर्ण है। इनमें शामिल हैं- अरबी, चीनी, जापानी और कोरियाई।
दिमाग़ का फ़ायदा
समय लगने के बावजूद विशेषज्ञों का कहना है कि दिमाग़ी फ़ायदे के लिए भी दूसरी भाषा सीखनी चाहिए। इससे दिमाग़ की कार्यकारी क्षमता का विकास होता है।
पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंस की प्रोफ़ेसर जूली फीज़ का कहना है कि दूसरी भाषा सीखकर हम सूचनाओं का उपयोग, मस्तिष्क में सूचनाओं का संग्रह और अप्रासंगिक सूचनाओं को छांटने की उच्च-स्तरीय क्षमता हासिल करते हैं। इसे मस्तिष्क का प्रबंधन कार्य कहा जाता है। यह किसी सीईओ की तरह काम करने जैसा है- बहुत सारे लोगों का प्रबंधन, ढेरों सूचनाएं रखना, एक साथ कई तरह के काम करना और प्राथमिकताएं तय करना।
नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के अध्ययन के मुताबिक द्विभाषी मस्तिष्क दो भाषाओं के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए प्रबंधन कार्यों पर निर्भर करता है। दोनों भाषा प्रणालियां लगातार सक्रिय रहती हैं और प्रतिस्पर्धा में रहती हैं। इससे मस्तिष्क की नियंत्रण प्रणाली लगातार मज़बूत होती रहती है।
इटली के ट्रेविसो की डेटा विश्लेषक लीसा मेनेगेटी छह भाषाएं जानती हैं। वो अंग्रेज़ी, फ्रेंच, स्वीडिश, स्पेनिश, रूसी और इतालवी में धाराप्रवाह हैं। मेनेगेटी का कहना है कि वह जब किसी नई भाषा को सीखने के लिए चुनती हैं, ख़ासकर जिसे सीखना आसान हो, तब शब्दों के मिश्रण से बचना सबसे बड़ी चुनौती है।
"दिमाग़ के लिए शॉर्टकट बदलना और उनका इस्तेमाल करना सामान्य है। एक ही परिवार की भाषाओं के साथ यह जल्दी-जल्दी और आसानी से होता है।" इससे बचने का सबसे अच्छा तरीक़ा यह है कि एक समय में एक ही भाषा सीखी जाए और भाषायी परिवारों में अंतर निकाला जाए।
एक घंटे का फ़र्क़
किसी भाषा की बुनियादी बातों को सीखना आसान काम है। डुओलिंगो या रोसेटा स्टोन जैसे प्रोग्राम अभिवादन और कुछ सरल वाक्यांशों को तुरंत सिखा देते हैं। बहुभाषाविद् तिमोथी डोनर अधिक व्यक्तिगत अनुभव के लिए उन सामग्रियों को पढ़ने और देखने की सलाह देते हैं जिनमें आपकी पहले से रुचि हो।
डोनर कहते हैं, "अगर आपको खाना बनाना अच्छा लगता है तो विदेशी भाषा में पाक कला की एक किताब खरीद लीजिए। यदि फुटबॉल पसंद करते हैं तो उसे (उस भाषा की कमेंट्री के साथ) देखने की कोशिश करें।"
"यदि आप गिनती के कुछ शब्द ही समझ रहे हैं और दूसरे शब्द समझ में नहीं आ रहे तो भी बाद में उनको याद रखना आसान होगा।" बहुत आगे निकलने से पहले यह विचार करना महत्वपूर्ण है कि भविष्य में आप उस भाषा का क्या इस्तेमाल करना चाहते हैं।
ओटावा यूनिवर्सिटी की असोसिएट प्रोफ़ेसर और भाषा मूल्यांकन की निदेशक बेवर्ली बेकर का कहना है कि आप जो भाषा सीखते हैं वो आपकी निजी प्रेरणाओं पर निर्भर करता है। "संभव है कि कोई व्यस्त पेशेवर मंडारिन सीखने को अहमियत दे क्योंकि उसके पास (चीन के) व्यापारिक संपर्क हों।"
"हो सकता है कि आपका परिवार पहले कोई भाषा बोलता रहा हो और आप उसे भूल गए हों या आप किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार करते हों जो वह भाषा बोलता हो।" बेकर कहती हैं, "शायद आप अपने रिश्तेदारों से कुछ बातें कहने में रुचि रखते हों।"
बातचीत करें
एक बार जब नई भाषा के लिए आपके इरादे स्पष्ट हो जाते हैं तो आप उसके लिए रोजाना एक घंटे अभ्यास की योजना बना सकते हैं और इसमें सीखने के कई तरीक़ों को शामिल कर सकते हैं। इस एक घंटे के सबसे बेहतर उपयोग की सलाह इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस भाषाविद् से बात कर रहे हैं।
सभी भाषाविद् एक सलाह ज़रूर देते हैं- कम से कम आधा समय किताबों और वीडियो को छोड़कर किसी ऐसे व्यक्ति से बातचीत में बिताएं जो उस भाषा को बोलता हो। किसी ऐसे व्यक्ति को चुनें जो बचपन से ही वह भाषा बोलता हो या फिर उस भाषा में धाराप्रवाह बोल सकता हो।
बेकर कहती हैं, "सवाल-जवाब करें, उस भाषा में बातचीत करें और संस्कृति पर चर्चा करें।" "मैं उस हिस्से को नहीं छोड़ूंगी क्योंकि लोगों और संस्कृति के बारे में जानने से आगे सीखने की प्रेरणा मिलती है।"
फीज़ कहती हैं, "कुछ वयस्क भाषा सीखने के लिए कुछ शब्दों को याद करने और उसके उच्चारण का अभ्यास करते हैं, वह भी चुपचाप और ख़ुद ही। वे वास्तव में आगे बढ़कर उस भाषा में लोगों से बातचीत नहीं करते।"
"ऐसे में आप दूसरी भाषा नहीं सीख रहे हैं, आप बस चिह्नों और ध्वनियों का संयोजन सीख रहे हैं।" कसरत या वाद्ययंत्रों पर अभ्यास की तरह विशेषज्ञ लंबे समय तक छिटपुट अभ्यास करने की जगह कम समय के लिए नियमित अभ्यास करने की सलाह देते हैं।
बेकर का कहना है कि नियमित शेड्यूल के बिना मस्तिष्क पिछले ज्ञान और नए ज्ञान के बीच संबंध बनाने जैसी किसी गहरी संज्ञानात्मक प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाता। इसलिए सप्ताह के पाँच दिन एक-एक घंटे का अभ्यास किसी एक दिन पाँच घंटे के अभ्यास की तुलना में ज़्यादा फ़ायदेमंद है।
एफ़एसआई इंडेक्स के मुताबिक पहले समूह की भाषाओं में बुनियादी सहजता पाने के लिए इस तरह 96 हफ़्ते या क़रीब 2 साल का वक़्त लगता है। विशेषज्ञों की सलाह का पालन करने से और सामान्य सहजता की जगह विशिष्ट पाठों का अभ्यास करने से इस समय को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
आईक्यू और ईक्यू
मेनेगेटी कहती हैं, "दूसरी भाषा सीखना आपकी तत्काल ज़रूरत को पूरा कर सकता है। यह आपको नए तरीक़े से सोचने और महसूस करने की क्षमता देकर आपको पहले से अधिक समझदार भी बनाता है।"
"यह संयुक्त रूप से आईक्यू और ईक्यू के बारे में है।" भाषा अवरोधों के बीच संचार और समान अनुभूति होना एक उच्च मांग वाले कौशल को जन्म दे सकती है, जिसे "अंतर-सांस्कृतिक दक्षता" कहा जाता है।
बेकर के मुताबिक अंतर-सांस्कृतिक दक्षता अन्य संस्कृतियों के विभिन्न लोगों के साथ सफल संबंध बनाने की क्षमता है। नई भाषा सीखने के लिए दिन का एक घंटा समर्पित करना लोगों के बीच की खाई को पाटने के अभ्यास के रूप में समझा जा सकता है।
इससे आप एक लचीला संचार कौशल सीखते हैं जो ऑफिस में, घर में या विदेश में आपको लोगों के करीब लाता है। बेकर कहती हैं, "किसी अलग संस्कृति के व्यक्ति से मिलने पर आपको एक दूसरी विश्वदृष्टि मिलती है। आप निर्णय लेने की हड़बड़ी में नहीं रहते और दुनिया में आने वाले झगड़ों को सुलझाने में अधिक प्रभावी होते हैं।"
"कोई भी एक भाषा, किसी भी संस्कृति की एक भाषा सीखने से आपको दूसरी संस्कृतियों को समझने और उसके प्रति लचीलापन विकसित करने में मदद मिलती है।"