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Written By BBC Hindi
Last Updated : बुधवार, 10 जून 2020 (08:52 IST)

कोरोना: रेलवे की आइसोलेशन बोगियों का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रही हैं राज्य सरकारें?

कोरोना: रेलवे की आइसोलेशन बोगियों का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रही हैं राज्य सरकारें? - fight against CoronaVirus : railway compartment
रवि प्रकाश, रांची से, बीबीसी हिन्दी के लिए
झारखंड के हटिया यार्ड में खड़ी कुछ विशेष ट्रेनों की 60 बोगियां आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर दी गई हैं। इसके लिए उनमें रेग्युलर बेडों को हटाकर ख़ास परिवर्तन किए गए हैं। अब इन बोगियों में कुल 480 बेड्स हैं।
 
यहां कोविड-19 से संक्रमित या संक्रमण की आशंका वाले लोगों को आइसोलेट (अलग) किया जा सकता है। हर कोच में आठ आइसोलेशन बेड हैं। डॉक्टरों और नर्सों के रहने का इंतज़ाम है। पंखे लगे हैं। शौचालयों में से कुछ में बदलाव कर बाथरुम बनाए गए हैं। ताकि, यहां रहने वाले लोग नहा सकें।
 
इनमें उन सभी ज़रुरी सुविधाओं (मेडिकल फैसिलिटीज को छोड़कर) की उपलब्धता का दावा किया जा रहा है, जो किसी आइसोलेशन वार्ड के लिए अनिवार्य होती हैं। इसके बावजूद इनमें से एक भी बेड का इस्तेमाल नहीं किया गया है। ये बेकार पड़े हैं। इनका रख-रखाव भी कठिन हो रहा है।
 
यह सिर्फ़ झारखंड की कहानी नहीं है। अधिकतर राज्यों में इनका इस्तेमाल नहीं किया गया है।
 
भारत में कोरोना का संक्रमण आने के तुरंत बाद रेलवे ने 900 करोड़ रुपये से भी अधिक ख़र्च कर पूरे देश की रेलवे बोगियों में 3.2 लाख आइसोलेशन वार्ड बनाए थे। इसके लिए 5000 से भी अधिक कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदला गया था। तब स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने इस संबंधित जानकारियां मीडिया से साझा की थी।
 
रेलवे ने यह निर्णय राज्य सरकारों के परामर्श के बाद लिया था, या अपने आप, यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।
 
हालांकि बीबीसी पर आइसोलेशन बोगियों की स्टोरी पब्लिश होने के बाद रेलवे की ओर से एक ट्वीट किया गया। जिसमें बताया गया है कि रेलवे के पास 5231 कोविड कोच उपलब्ध हैं। ये कोच 215 अलग-अलग लोकेशन्स पर हैं।
 
इससे पूर्व जब बीबीसी ने संबंधित अधिकारियों से इस बारे में जानना चाहा तो कोई जवाब नहीं मिल सका था।
 
श्रमिक ट्रेनों के बतौर इस्तेमाल का विकल्प
रांची रेल मंडल के मुख्य जंनसंपर्क अधिकारी नीरज कुमार ने बीबीसी को बताया कि रेलवे इनमें से 60 प्रतिशत बोगियों का इस्तेमाल श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए करने पर विचार कर रहा है। बशर्ते, इसकी ज़रुरत महसूस हो। हालांकि, अभी तक हमें इसकी ज़रुरत नहीं पड़ी है।
 
नीरज कुमार ने बीबीसी से कहा, "अगर श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए कोच कम पड़ेंगे, तब हम अपनी आइसोलेशन बोगियों में से कुछ का उपयोग कर लेंगे। रांची रेल मंडल में हमने ऐसे 60 कोच बनाए थे। तो, हम अधिकतम 36 कोच का इस्तेमाल श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में कर सकते हैं। इनमें सिर्फ़ यह सावधानी बरती जाएगी कि उन्हें फिर से आइसोलेशन कोच के बतौर इस्तेमाल लायक़ रखा जाए।"
 
उन्होंने यह भी कहा, "हम लोगों ने रेलवे बोर्ड के निर्णयों के आलोक में आइसोलेशन बोगियां बनायी। इसके लिए झारखंड सरकार ने रांची रेल मंडल को कोई रिक्यूजिशन (मांग पत्र) नहीं दिया था। अगर वैसा कोई कम्यूनिकेशन हुआ भी, तो वह बोर्ड के स्तर से हुआ होगा। हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है।"
 
कैसे हैं ये आइसोलेशन वार्ड
रेलवे ने ऐसे हर कोच में आठ बेड की व्यवस्था की है, जो ज़रुरत पड़ने पर 16 बेडों में बदले जा सकते हैं।
 
ये दरअसल द्वितीय श्रेणी के कोच हैं, जिनमें सेंट्रली काम करने वाले एयर कंडिशन (एसी) नहीं लगे होते हैं। इनकी खिड़कियां खोली जा सकती हैं।
 
परदे लगाकर बेडों को क्यूबिकल बनाया गया है, ताकि किसी मरीज़ के कारण दूसरे को और दूसरों के कारण उस मरीज़ में संक्रमण न फैले।
 
क्यों नहीं इस्तेमाल किए गए कोच?
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने आरोप लगाया है कि यह दरअसल एक घोटाला है।
 
वो कहते हैं कि रेलवे चाहती तो इन पैसों का इस्तेमाल बाहर फँसे श्रमिकों की घर वापसी में कर सकती थी। अगर ऐसा हुआ होता तो स्थिति इतनी विस्फोटक नहीं होती। यह बात पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कही है।
 
जेएमएम ने कहा है, "केंद्र सरकार ने अगर यही करोड़ों रुपये अस्पताल बनाने और उनके आधुनिकीकीरण में ख़र्च किए होते, तो आज कुछ और नज़ारा होता। केंद्र सरकार कोई भी निर्णय राज्य सरकारों की सलाह के बग़ैर लेकर अपनी पीठ थपथपा लेती है। ग़लती पकड़े जाने पर विपक्ष पर दोष मढ़कर मौन हो जाती है। कोरोना संक्रमित मरीज़ों के लिए 24 घंटे मॉनिटरिंग व गहन चिकित्सा व्यवस्था की ज़रुरत पड़ती है। इनमें आईसीयू और वेंटिलेटर की ज़रुरत पड़ती है। ऐसा इलाज ट्रेन के डिब्बों में संभव नहीं है। लिहाज़ा, इनका इस्तेमाल नहीं किया गया।"
 
रेलवे के जवाब का इंतज़ार
झारखंड सरकार के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) डॉक्टर नितीन कुलकर्णी ने बीबीसी को बताया कि हमने नोडल अधिकारियों की ज़रुरी सूची रेलवे को भेज दी थी। उसके बाद का अपडेट रेलवे को करना था, लेकिन उनके अधिकारियों ने इसके आगे कोई कम्यूनिकेशन नहीं किया।
 
कहां हुआ इन कोच का इस्तेमाल
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंड की तो छोड़िए, भाजपा शासित राज्यों में भी इन कोच का इस्तेमाल नहीं किया गया। इनका इस्तेमाल प्रैक्टिकल नहीं है।
 
इस बीच रेलमंत्री पीयूष गोयल ने 3 जून को ट्वीट कर बताया कि रेलवे ने 10 आइसोलेशन कोच वाली एक विशेष ट्रेन दिल्ली सरकार को उपलब्ध करायी है। यह वैसी पहली ट्रेन है, जिसका इस्तेमाल आइसोलेशन वार्ड के लिए किया जाएगा। दिल्ली सरकार के अनुरोध पर यह विशेष ट्रेन शकूरबस्ती स्टेशन पर लगायी गई है।
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