झुंझुनू। अयोध्या में सरयू नदी के तट पर बनने वाली भगवान राम की सबसे ऊंची प्रतिमा का निर्माण झुंझुनू जिले के पिलानी कस्बे के मूर्तिकार मातूराम वर्मा एवं उनके पुत्र नरेशकुमार वर्मा करेंगे।
इन दोनों पिता-पुत्रों ने मूर्तिकला में महारत हासिल कर पूरे विश्व में अपनी कला का प्रदर्शन किया है। इन्होंने कई बड़े महानगरों में सैकड़ों फुट ऊंची-ऊंची प्रतिमाएं बनाई हैं।
मातूराम वर्मा ने देश से बाहर विदेशों में भी सैकड़ों फुट ऊंची-ऊंची विशाल प्रतिमाओं का निर्माण करके विदेशी समाज को भी भारत की संस्कृति से जोड़ा है। मॉरिशस, नेपाल, भूटान में मातूराम के निर्देशन में विशाल मूर्तियां बनाई जा रही हैं। अमेरिका, कनाडा, जर्मनी आदि देशों में भी वर्मा द्वारा रचित चित्रकला संग्रहित की जा चुकी है।
मातुराम वर्मा का मानना है कि मूर्तिकला न तो शौक है, न ही व्यवसाय है। यह तो एक साधना और तपस्या है। आज दोनों पिता-पुत्र पूरे विश्व में मूर्ति कला में प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं।
पिलानी के युवा मूर्तिकार नरेश वर्मा को विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति बनाने का काम मिला है। वे अयोध्या में सरयू नदी के किनारे भगवान श्रीराम की 825 फुट ऊंची अष्ट धातु प्रतिमा का निर्माण करेंगे, जो विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति होगी।
इस मूर्ति में म्यूजियम, लिफ्ट, होटल आदि सब कुछ होंगे। इसको देखने के लिए एशिया ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लोग दूर-दूर से आएंगे। इस कार्य को करने के लिए मातूराम वर्मा व नरेश वर्मा तथा उनकी पूरी टीम ने तैयारी शुरू कर दी है।
मातूराम वर्मा ने मूर्तिकला में पिलानी के बाहर सर्वप्रथम दिल्ली के बिड़ला कानन में 108 फुट उंची शिव प्रतिमा का निर्माण करके पूरे विश्व में मूर्ति कला में अपने नाम का डंका बजाया था। इसके बाद मॉरिशस, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, अमेरिका, ब्राजील सहित अनेक देशों में मूर्तियों का निर्माण कर ख्याति अर्जित की।
अब उनके पुत्र नरेश वर्मा ने भी जिले का नाम रोशन करने में कोई कमी नहीं छोड़ा है। उन्होंने गुजरात में सरदार पटेल की अद्भुत प्रतिमा बनाने वाली टीम में अपना योगदान दिया था। नरेश वर्मा ने नाथद्वारा में 351 फुट शिव प्रतिमा, हिमाचल प्रदेश में 151 फुट की हनुमानजी की मूर्ति, टोरंटो में हनुमान मूर्ति का निर्माण किया है। (वार्ता)