16 जनवरी 1950 को गोपालसिंह विशारद नामक व्यक्ति ने फैजाबाद के सिविल जज के सामने याचिका दाखिल कर पूजा की इजाजत मांगी, जो कि उन्हें मिल गई, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल की।