रविवार, 28 अप्रैल 2024
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Written By WD Feature Desk

भगवान श्री राम ने भी उड़ाई थी पतंग, रामचरित मानस के बालकांड में है उल्लेख

रामचरित मानस के आधार पर श्री राम ने अपने भाइयों के साथ उड़ाई थी पतंग

Ayodhya Shri Ram
Ayodhya Shri Ram
  • श्रीराम भाइयों और मित्र मंडली के साथ वे पतंग उड़ाने लगे।
  • वह पतंग उड़ते हुए देवलोक तक जा पहुंची। 
  • पवनपुत्र हनुमान आकाश में उड़ते हुए इंद्रलोक पहुंच गए।
मकर संक्रांति (makar sankranti 2024) का पर्व पतंग के बिना अधूरा है। पतंग उड़ाने के लिए सिर्फ बच्चे ही नहीं बल्कि बड़े भी बहुत उत्सुक होते हैं। मकर संक्रांति के दिन आसमान में रंग-विरंगी पतंगों का मेला होता है। साथ ही इस पर्व पर पतंग उड़ाना काफी पौराणिक मान्यता है। आपको जानकार हैरानी होगी कि भगवान श्री राम ने भी अपने बच्चपन में पतंग उड़ाई थी। जी हां, प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ 'रामचरित मानस' के आधार पर श्रीराम ने अपने भाइयों के साथ पतंग उड़ाई थी। इस संदर्भ में 'बालकांड' में उल्लेख मिलता है (balkand ram charit manas)। आइए जानते हैं... 
 
राम इक दिन चंग उड़ाई।
इंद्रलोक में पहुंची जाई।।
 
बड़ा ही रोचक प्रसंग है। पंपापुर से हनुमान जी को बुलवाया गया था, तब हनुमान जी बाल रूप में थे। जब वे आए, तब 'मकर संक्रांति' का पर्व था। श्रीराम भाइयों और मित्र मंडली के साथ वे पतंग उड़ाने लगे। कहा गया है कि वह पतंग उड़ते हुए देवलोक तक जा पहुंची। उस पतंग को देखकर इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी बहुत आकर्षित हो गई। वह उस पतंग और पतंग उड़ाने वाले के प्रति सोचने लगी-
 
जासु चंग अस सुन्दरताई।
सो पुरुष जग में अधिकाई।।
 
इस भाव के मन में आते ही उसने पतंग को हस्तगत कर लिया और सोचने लगी कि पतंग उड़ाने वाला अपनी पतंग लेने के लिए अवश्य आएगा। वह प्रतीक्षा करने लगी। उधर पतंग पकड़ लिए जाने के कारण पतंग दिखाई नहीं दी, तब बालक श्रीराम ने बाल हनुमान को उसका पता लगाने के लिए रवाना किया।
 
पवन पुत्र हनुमान आकाश में उड़ते हुए इंद्रलोक पहुंच गए। वहां जाकर उन्होंने देखा कि एक स्त्री उस पतंग को अपने हाथ में पकड़े हुए हैं। उन्होंने उस पतंग की उससे मांग की। 
 
उस स्त्री ने पूछा कि यह पतंग किसकी है?
 
हनुमानजी ने रामचंद्रजी का नाम बताया। इस पर उसने उनके दर्शन करने की अभिलाषा प्रकट की। 
 
हनुमानजी यह सुनकर लौट आए और सारा वृत्तांत श्रीराम को कह सुनाया। श्रीराम ने यह सुनकर हनुमानजी को वापस भेजा कि वे उन्हें चित्रकूट में अवश्य ही दर्शन देंगे। हनुमानजी ने यह उत्तर जयंत की पत्नी को कह सुनाया जिसे सुनकर जयंत की पत्नी ने पतंग छोड़ दी।
 
कथन है कि-
 
तिन तब सुनत तुरंत ही, दीन्ही छोड़ पतंग।