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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 11 सितम्बर 2024 (17:06 IST)

Shradh paksha 2024: श्राद्ध पक्ष आ रहा है, जानिए कुंडली में पितृदोष की पहचान करके कैसे करें इसका उपाय

Shradh paksha 2024: श्राद्ध पक्ष आ रहा है, जानिए कुंडली में पितृदोष की पहचान करके कैसे करें इसका उपाय - Pitra dosh ke lakshan aur  16 shradh 2024 me pitra dosh ke upay
16 shradh 2024 me pitra dosh ke upay: 17 सितंबर 2024 से श्राद्ध पक्ष प्रारंभ होने वाले हैं। पितृदोष से मुक्ति के यह 16 दिन के श्राद्ध सबसे अच्छे दिन माने जाते हैं। कुंडली में पितृदोष की पहचान करके आप पितृदोष के उपाय करें और इससे हमेशा के लिए छुटकारा पाकर जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का योग बनाएं। आओ जानते हैं कि आपकी कुंडली में पितृदोष है या नहीं। है तो क्या करें उपाय।
 
पितृदोष के लक्षण:- 
- पूर्वजों के कारण वंशजों को किसी प्रकार का कष्ट ही पितृदोष माना गया है।
 
- कोई आकस्मिक दुख या धन का अभाव बना रहता है, तो फिर पितृ बाधा पर विचार करना चाहिए।
 
- पितृदोष के कारण हमारे सांसारिक जीवन में और आध्यात्मिक साधना में बाधाएं उत्पन्न होती हैं।
 
- आपको ऐसा लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति आपको परेशान करती है तो पितृ बाधा पर विचार करना चाहिए।
 
- ऐसा माना जाता है कि यदि किसी को पितृदोष है तो उसकी तरक्की रुकी रहती है। समय पर विवाह नहीं होता है। कई कार्यों में रोड़े आते रहते हैं। गृह कलह बढ़ जाती है। 
 
- जीवन एक उत्सव की जगह संघर्ष हो जाता है। रुपया पैसा होते हुए भी शांति और सुकून नहीं मिलता है। शिक्षा में बाधा आती है, क्रोध आता रहता है, परिवार में बीमारी लगी रहती है, संतान नहीं होती है, आत्मबल में कमी रहती है आदि कई कारण या लक्षण बताए जाते हैं।
 
कुंडली में पितृदोष:-
1- कुंडली में पितृदोष का सृजन दो ग्रहों सूर्य व मंगल के पीड़ित होने से भी होता है क्योंकि सूर्य का संबंध पिता से व मंगल का संबंध रक्त से होता है। सूर्य के लिए पाप ग्रह शनि, राहु व केतु माने गए हैं। अतः जब सूर्य का इन ग्रहों के साथ दृष्टि या युति संबंध हो तो सूर्यकृत पितृदोष का निर्माण होता है। इसी प्रकार मंगल यदि राहु या केतु के साथ हो या इनसे दृष्ट हो तो मंगलकृत पितृ दोष का निर्माण होता है। सूर्यकृत पितृदोष होने से जातक के अपने परिवार या कुटुंब में अपने से बड़े व्यक्तियों से विचार नहीं मिलते। वहीं मंगलकृत पितृदोष होने से जातक के अपने परिवार या कुटुंब में अपने छोटे व्यक्तियों से विचार नहीं मिलते। 
 
2- कुंडली का नौवां घर यह बताता है कि व्यक्ति पिछले जन्म के कौन से पुण्य साथ लेकर आया है। यदि कुंडली के नौवें में राहु, बुध या शुक्र है तो यह कुंडली पितृदोष की है।
3- लाल किताब में कुंडली के दशम भाव में गुरु के होने को शापित माना जाता है।
4- सातवें घर में गुरु होने पर आंशिक पितृदोष हैं।
5- लग्न में राहु है तो सूर्य ग्रहण और पितृदोष, चंद्र के साथ केतु और सूर्य के साथ राहु होने पर भी पितृदोष होता है।
6- पंचम में राहु होने पर भी कुछ ज्योतिष पितृदोष मानते हैं।
7- जन्म पत्री में यदि सूर्य पर शनि राहु-केतु की दृष्टि या युति द्वारा प्रभाव हो तो जातक की कुंडली में पितृ ऋण की स्थिति मानी जाती है।
8-  विद्वानों ने पितर दोष का संबंध बृहस्पति (गुरु) से बताया है। अगर गुरु ग्रह पर दो बुरे ग्रहों का असर हो तथा गुरु 4-8-12वें भाव में हो या नीच राशि में हो तथा अंशों द्वारा निर्धन हो तो यह दोष पूर्ण रूप से घटता है और यह पितर दोष पिछले पूर्वज (बाप दादा परदादा) से चला आता है, जो सात पीढ़ियों तक चलता रहता है।
9- जन्म पत्री में यदि सूर्य पर शनि राहु-केतु की दृष्टि या युति द्वारा प्रभाव हो तो जातक की कुंडली में पितृ ऋण की स्थिति मानी जाती है।
पितृदोष का निवारण:-
पंचबलि कर्म : श्राद्ध में पंचबलि कर्म किया जाता है। अर्थात पांच जीवों को भोजन दिया जाता है। बलि का अर्थ बलि देने नहीं बल्कि भोजन कराना भी होता है। श्राद्ध में गोबलि, श्वान बलि, काकबलि, देवादिबलि और पिपलिकादि कर्म किया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान कोओं को प्रतिदिन खाना डालना चाहिए। मान्यता है कि हमारे पूर्वज कौवों के रूप में धरती पर आते हैं। इसके बाद ही ब्राह्मण भोज कराएं।
 
1. पहला उपाय : परिवार के सभी सदस्यों से बराबर मात्रा में सिक्के इकट्ठे करके उन्हें मंदिर में दान करें। मतलब यह कि यदि आप अपनी जेब से 10 का सिक्का ले रहे हैं तो घर के अन्य सभी सदस्यों से भी 10-10 के सिक्के एकत्रित करने उसे मंदिर में दान कर दें। यदि आपके दादाजी हैं तो उनके साथ जाकर दान करें। यह दान गुरुवार को करें।
 
2. दूसरा उपाय : 16 दिनों तक लगातार कौए, चिढ़िया, कुत्ते और गाय को रोटी खिलाते रहना चाहिए। उक्त चारों में से जो भी समय पर मिल जाए उसे रोटी खिलाते रहें।
 
3. तीसरा उपाय : 16 दिनों तक लगातार सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जलाएं और गुड़ में घी मिलाकर उसकी धूप दें।
 
4. चौथा उपाय : पीपल या बरगद के वृक्ष में जल चढ़ाते रहना चाहिए। केसर का तिलक लगाते रहना चाहिए। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्‍भागवत गीता का पाठ करने से पितृदोष चला जाता है। एकादशी के व्रत रखना चाहिए कठोरता के साथ।
 
5. पांचवां उपाय : पितृ पक्ष में प्रतिदिन नियमित रूप से पवित्र नदी में स्नान करके पितरों के नाम पर तर्पण करना चाहिए। इसके लिए पितरों को जौ, काला तिल और एक लाल फूल डालकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जल अर्पित करना चाहिए। पितरों के लिए किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध तथा तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं।
 
पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान भी किया जाता है। पितृ पक्ष में पिंडदान का भी महत्व है। सामान्य विधि के अनुसार पिंडदान में चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं और उन्हें पितरों को अर्पित किया जाता है। यह पिंडदान भी कुछ प्रकार का होता है। धार्मिक मान्यता है कि चावल से बने पिंड से पितर लंबे समय तक संतुष्ट रहते हैं।