Karwa chauth 2025 shubh muhurat: करवा चौथ का व्रत हर सुहागिन स्त्री के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। इस बार करवा चौथ पर सिद्धि योग और शिववास योग जैसे अत्यंत शुभ संयोग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन विशेष मुहूर्तों में की गई पूजा व्रती को अखंड सौभाग्य का वरदान देती है और जीवन में आ रही सभी बाधाओं को दूर करती है।
करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त : वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष करवा चौथ का पर्व शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। चतुर्थी तिथि का आरंभ 9 अक्टूबर 2025, रात 10: 54 बजे से होगा और समपान 10 अक्टूबर 2025, शाम 07: 38 बजे होगा। व्रत का समय सुबह 06:21 से रात्रि 08:34 तक रहेगा चंद्रोदय का समय रात्रि 08:34 होगा।
सिद्धि योग: कार्य में सफलता और बाधा मुक्ति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, करवा चौथ की तिथि पर सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। 'सिद्धि' का अर्थ है सफलता। माना जाता है कि सिद्धि योग में किए गए सभी कार्य बिना किसी रुकावट के पूरे होते हैं। इस योग में व्रत रखने और पूजा करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। यह योग सुहागिनों के जीवन में आ रही किसी भी तरह की बाधा या दुर्भाग्य को दूर करने में सहायक होता है, जिससे वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। करवा चौथ पर यह शुभ योग सूर्योदय से लेकर शाम 05: 41 मिनट तक रहेगा।
शिववास योग: करवा चौथ पर शिववास योग का बनना अत्यंत ही दुर्लभ और शुभ संयोग माना गया है। शिववास का अर्थ है भगवान शिव का निवास। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। जब भगवान शिव का वास कैलाश पर या माता गौरी के बगल में होता है, तो वह काल पूजा-पाठ, रुद्राभिषेक और व्रत के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस योग में की गई कोई भी पूजा शीघ्र फलदायी होती है। सुहागिनों के लिए यह संयोग विशेष रूप से सौभाग्यशाली है, क्योंकि शिव और माता पार्वती की संयुक्त कृपा से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सुख-शांति और पति की दीर्घायु का वरदान मिलता है। करवा चौथ पर यह शुभ योग सूर्योदय से लेकर शाम शाम 07:38 बजे तक रहेगा।
पूजा की विधि: इन शुभ योगों में पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाने से सुहागिन महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होगी:
1. सरगी और संकल्प: सूर्योदय से पहले सरगी (सास द्वारा दिया गया भोजन) लेकर निर्जला व्रत का संकल्प लें।
2. पूजन: शुभ मुहूर्त (05: 57 बजे से 07: 11 बजे तक) में माता पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी और करवा माता की विधि-विधान से पूजा करें। करवा माता को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
3. कथा श्रवण: करवा चौथ की कथा का पाठ या श्रवण करें। सिद्धि योग में कथा सुनने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
4. चंद्र अर्घ्य: चंद्रोदय (08: 13 बजे) होने पर चंद्रमा को चलनी में देखकर अर्घ्य दें, फिर पति के दर्शन कर उनके हाथ से जल पीकर व्रत का पारण करें।
सिद्धि और शिववास योग में की गई यह पूजा सुहागिनों के जीवन में खुशहाली और अखंड सौभाग्य का स्थायी वरदान लेकर आती है।
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