आप सबके बीच खड़े हों और आपको कोई देख न पाए। आप कहेंगे या तो ये फिल्मी बात है या फिर किसी जादूगर का दावा। अमर होने से ज्यादा लोगों में गायब होने की तमन्ना है। जिसने भी 'मिस्टर इंडिया' फिल्म देखी होगी वह जानता है कि इसके ऐसे भी फायदे हो सकते हैं। गायब या अदृश्य होना मनुष्य की प्राचीन अभिलाषा रही है जिसके लिए समय-समय पर तरह-तरह के प्रयोग होते रहे हैं। इसके लिए कई सिद्धांत गढ़े गए हैं।
हालांकि अभी अदृश्य होने का कोई पुख्ता फॉर्मूला विकसित नहीं हुआ है लेकिन अमेरिका सहित दुनियाभर के वैज्ञानिक इस पर रिसर्च में लगे हुए हैं ताकि हजारों अदृश्य मानवों से जासूसी करवाई जा सके और दूसरों देशों में अशांति फैलाई जा सके। हो सकता है कि आने वाले समय में नैनो टेक्नोलॉजी से यह संभव हो।
वेद, महाभारत और पुराणों में ऐसी कई कथाएं हैं जिसमें कहा गया है कि देवता अचानक प्रकट हुए और फिर अंतर्ध्यान हो गए अर्थात गायब हो गए। हनुमानजी के बाद भगवान कृष्ण के पास यह विद्या थी। लेकिन वर्तमान में ऐसा कोई नुस्खा है जिसके माध्यम से हम गायब हो सकते हैं? भले ही थोड़े समय के लिये लेकिन गायब होने मजा तो आएगा।
हालांकि हम जो बताने जा रहे हैं उसमें कितनी सचाई है यह तो हम नहीं जानते लेकिन संभवत: ऐसा होता हो। आजमाया तो हमने नहीं लेकिन जानते जरूर है कि एक ऐसी बूटी होती है जिसे मुंह में रखने के बाद व्यक्ति गायब हो जाता है। जब तक वह बूटी जुबान में रखी रहती है या गल नहीं जाती तब तक व्यक्ति गायब रहता है।..तो आइए जानते हैं कौन सी है वह बूटी...पाठक अपने विवेक से काम लें...
अदृश्य बूटी : कहा जाता है कि आयुर्वेद में भी गायब होने की जड़ियों के संबंध में लिखा है। एक ऐसी बूटी बनाई जाती है जिसको खाने से जब तक उसका असर रहता है, तब तक व्यक्ति गायब रहता है। भारत के हिमालयीन राज्यों में ऐसी धारणा है कि जड़ी-बूटियों के माध्यम से एक ऐसी गोली बनती है कि जिसको मुंह में रखने से व्यक्ति तब तक के लिए अदृश्य हो जाता है है, जब तक कि उस गोली का असर रहता है।
सफेद पलाश से बनती है बूटी : पलाश अक्सर पीला और सिंदूरी होता है, लेकिन सफेद पलाश बहुत ही दुर्लभ माना गया है। लोगों का मानना है कि यह फूल चमत्कारी होता है। लोग इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ घर लाकर पूजन कक्ष में स्थापित करते हैं। तंत्र शास्त्र में इस वृक्ष के फूल से यंत्र बनाने का प्रयोग बताया गया है, जो धन लक्ष्मी के लिए कारगर बताया गया है।
जिस किसी के भी घर में सफेद पलाश और लक्ष्मणा का पौधा होता है वहां धनवर्षा होना शुरू हो जाती है। जिंदगीभर किसी भी प्रकार से धन, दौलत आदि की कमी नहीं रहती है। दोनों ही पौधों के आयुर्वेद और तंत्रशास्त्र में कई और भी चमत्कारिक प्रयोग बताए गए हैं।
पलाश के फूल को टेसू का फूल कहा जाता है। इसे ढाक भी कहा जाता है। यह बसंत ऋतु में खिलता है। पलाश 3 प्रकार का होता है- एक वह जिसमें सफेद फूल उगते हैं और दूसरा वह जिसमें पीले फूल लगते हैं और तीसरा वह जिसमें लाल-नारंगी फूल लगते हैं। माना जाता है कि सफेद पलाश के फूल की एक गुटिका बनती है जिसे मुंह में रखने के बाद आदमी तब तक गायब रहता है जब तक की गुटिका पूर्णत: गल नहीं जाए।
तीनों ही तरह के पलाश के कई चमत्कारिक गुण हैं। माना जाता है कि सफेद पलाश के पत्तों से पुत्र की प्राप्ति की जा सकती है, जबकि इसके पौधे के घर में रहने से धन और समृद्धि बढ़ती है। पलाश के पत्ते, डंठल, फल्ली तथा जड़ तक का बहुत ज्यादा महत्व है। पलाश के पत्तों का उपयोग ग्रामीण दोने-पत्तल बनाने के लिए करते हैं जबकि इसके फूलों से होली के रंग बनाए जाते हैं। हालांकि इसके फूलों को पीसकर चेहरे में लगाने से चमक बढ़ती है। पलाश की फलियां कृमिनाशक का काम करती हैं। इसके उपयोग से बुढ़ापा भी दूर रहता है। इसके फूल के उपयोग से लू को भगाया जा सकता है, साथ ही त्वचा संबधी रोग में भी यह लाभदायक सिद्ध हुआ है।
इसके पांचों अंगों- तना, जड़, फल, फूल और बीज से दवाएं बनाने की विधियां दी गई हैं। इस पेड़ से गोंद भी मिलता है जिसे 'कमरकस' कहा जाता है। इससे वीर्यवान बना जा सकता है। पलाश पुष्प पीसकर दूध में मिलाकर गर्भवती माताओं को पिलाने से बलवान संतान का जन्म होता है। सफेद पलाश के फूल, चांदी की गणेश प्रतिमा व चांदी में मड़े हुए एकाक्षी नारियल को अभिमंत्रित कर तिजोरी में रखें। इससे धन-संपत्ति बढ़ती है। माना जाता है कि पलाश के पीले फूल से सोना बनाया जा सकता है। प्राचीन साहित्य में इसका उल्लेख मिलता है।
आखिर वह कौन-सी विधि है जिसके माध्यम से गायब हुआ जा सकता है...
अंतर्ध्यान शक्ति : इसे आप गायब होने की शक्ति भी कह सकते हैं। विज्ञान अभी इस तरह की शक्ति पर काम कर रहा है। अष्टांग योग के महर्षि पतंजलि ने गायब होने की सिद्धि का उल्लेख अपने ग्रंथ में किया है, जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि व्यक्ति ध्यान कर गायब होने की तकनीकी शक्ति प्राप्त कर सकता है।
योग अनुसार कायागत रूप पर संयम करने से योगी अंतर्ध्यान हो जाता है। फिर कोई उक्त योगी के शब्द, स्पर्श, गंध, रूप, रस को जान नहीं सकता। संयम करने का अर्थ होता है कि काबू में करना हर उस शक्ति को जो अपन मन से उपजती है।
यदि यह कल्पना लगातार की जाए कि मैं लोगों को दिखाई नहीं दे रहा हूं तो यह संभव होने लगेगा। कल्पना यह भी की जा सकती है कि मेरा शरीर पारदर्शी कांच के समान बन गया है या उसे सूक्ष्म शरीर ने ढांक लिया है। यह धारणा की शक्ति का खेल है। भगवान शंकर कहते हैं कि कल्पना से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। कल्पना की शक्ति को पहचाने।
दरअसल, कल्पना शक्ति के माध्यम से आप गायब हो सकते हैं। जब आप किसी वस्तु की मन में कल्पना करते हैं, तब उसकी मस्तिष्क में एक तस्वीर उभरती है। उसके सामने नहीं होने पर भी उसके होने की अनुभूति होती है। उसके रंग-रूप और आकार-प्रकार का अनुभव किया जा सकता है। इसी तरह आप गायब होने की कल्पना भी कर सकते हैं।