सावन की बदली, तुम्हारी यादें ...!
फाल्गुनी यादें,सावन की वह बदली,जो खुद नहीं जानतीकब बरस पड़ेगी,बरसेगी भी, या हकीकत की आँधी से उड़कर चली जाएगी न मालूम कहाँ, उड़ेगी भीया भावावेश में बरस ही जाएगीयहाँ या वहाँ..? सावन की बदली, तुम्हारी यादें ...!------------
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सावन की फुहार से धुला हुआकोई पत्ता कितना खुश हैनहीं जानतामासूम और भोलाकि धूप बस निकलने ही वाली हैऔर उसकी खुशीकितनी खोखली-बेमानी है।