लव-मंत्र : आखिर रोमांस है क्या
रोमांस : अहसास या रोमांच
वेबदुनिया डेस्क रोमांस शब्द के मायने पुराने समय से आज तक काफी बदले हैं मगर सच है कि आज भी यह शब्द एक खूबसूरत एहसास से भर देता है। रूह में एक खुशबू सी उतरती चली जाती है और सहेजकर रखे पुराने खतों को फिर से पढ़ने को जी करने लगता है। एक बहुअर्थी शब्द है रोमांस, जिसका शाब्दिक अर्थ हो सकता है कल्पना। एक प्यारी सी कोई बात, मीठी छेड़छाड़ जो तन-मन में स्पंदन जगाकर रोम-रोम पुलकित कर दे, मन में जोश और उत्साह भरकर जीने की इच्छा बढ़ा दे। यह सिर्फ एक अहसास है, जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। इसे सिर्फ दिल की गहराइयों से ही महसूस किया जा सकता है। रोमांस जन्मा कैसे रोमांस की उत्पत्ति कब और कहां हुई, यह कहना थोड़ा मुश्किल है। पहले-पहल इसका आम जीवन से कोई ताल्लुक नहीं था, राजा-रानियों की प्रेम कथाओं में इसका हल्का-फुल्का जिक्र होता था। फिर लिखित साहित्य आया। उसके बाद फिल्मों में रोमांस के हर पहलू का खूब खुलकर फिल्मांकन किया गया। पहले रोमांचक कहानियां या उपन्यास पढ़ना, फिल्में देखना अच्छा नहीं समझा जाता था, रोमांस की तो बात ही दूर थी। यह सचमुच कल्पना ही था। इसलिए आम आदमी हमेशा हिचक के घेरे में रहा। वह रोमांस के रोमांच से अभिभूत तो रहा, मगर न तो उसे खुलकर स्वीकार सका और न महसूस कर सका।