Last Modified: नई दिल्ली ,
शनिवार, 21 अगस्त 2010 (19:19 IST)
प्रोत्साहन पैकेजों की वापसी से नुकसान नहीं
चालू वित्त वर्ष में 8.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के विश्वास के साथ सरकार ने कहा है कि प्रोत्साहन पैकेजों को सोच-समझकर वापस लेने से आर्थिक सुधार की गति प्रभावित नहीं होगी।
वित्त मंत्रालय द्वारा तिमाही समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रोत्साहन उपायों की वापसी इस तरह से सोच-समझकर की जा रही है कि आर्थिक सुधार की गति प्रभावित न हो और वर्ष 2010-11 में 8.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने में मदद मिल सके।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूद अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रोत्साहन उपायों की वापसी की रणनीति इस तरह से बनाई गई है कि सुधार की गति के लिए किसी तरह का जोखिम न पैदा हो।
वर्ष 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट के बाद सरकार ने तीन प्रोत्साहन पैकेज उपलब्ध कराए जिसमें कर की दरों में कटौती और सार्वजनिक खर्च में बढ़ोतरी जैसे उपाय शामिल हैं।
अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिलने के साथ सरकार ने उद्योग को दी गई रियायतें धीरे-धीरे वापस लेनी शुरू की। वैश्विक आर्थिक संकट के प्रभावों से निपटने के लिए उद्योग जगत को ये प्रोत्साहन पैकेज दिए गए थे।
उल्लेखनीय है कि वैश्विक आर्थिक संकट के प्रभाव के चलते वर्ष 2008-09 में देश की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 6.7 प्रतिशत पर आ गई जो इससे पिछले तीन वित्त वर्ष के दौरान नौ प्रतिशत से उपर थी। (भाषा)