अक्षय तृतीया का पर्व हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। ग्रामिण क्षेत्रों में इसे आखातीज या अक्खा तीज कहते हैं। इस वर्ष अक्षय तृतीया तिथि 26 अप्रैल, रविवार को पड़ रही है। इस साल की अक्षय तृतीया कई मयानों में विशेष रहने वाली है। अक्षय तृतीया पर इस साल 6 राजयोग बन रहे हैं।
अक्षय तृतीया के स्वर्ण खरीदना और विवाह करने का सबसे ज्यादा महत्व है। क्योंकि इस दिन जो भी कार्य किया जाता है उसका क्षय नहीं होता है। नाश नहीं होता है। अक्षय तृतीया (अखातीज) को अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक कहा जाता है। जो कभी क्षय नहीं होती उसे अक्षय कहते हैं।
इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। समस्त शुभ कार्यों के अलावा प्रमुख रूप से शादी, स्वर्ण खरीदने, नया सामान, गृह प्रवेश, पदभार ग्रहण, वाहन क्रय, भूमि पूजन तथा नया व्यापार प्रारंभ कर सकते हैं। इस दिन आप चाहे तो ऑनलान सोना खरीद सकते हैं। जो लोग 'स्वर्ण रश योजना' से जुड़े हैं वे तो खरीदते ही हैं।
यदि आप लॉकडाउन के चलते सोना नहीं खरीद पा रहे हैं तो करें निम्नलिखित कार्य:-
1. इस दिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें फिर भगवान विष्णु लक्ष्मी की चित्र या प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाएं। विष्णु और लक्ष्मी पर कमल के पुष्प, श्वेत गुलाब या चंपा चमेली के फूल चढ़ाएं। धूप अगरबत्ती और चंदन इत्यादि से पूजा अर्चना करें। इसके बाद नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहूं, सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि चढ़ाकर अंत में आरती करें।
2.इस दिन भगवान परशुराम, श्रीकृष्ण, भगवान नर-नारायण, हय ग्रीव, ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार, मां गंगा, वेद व्यास और भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है।
3. विधिवत पूजा के बाद योग्य व्यक्ति को भोजन कराएं।
4. इस दिन ध्यान, जप, हवन, या स्वाध्याय करें।
5. अक्षय तृतीया के दिन दान का बहुत महत्व है। इस दिन दान जरूर करें। अक्षय तृतीया के दिन पंखा, चावल, नमक, घी, चीनी, सब्जी, फल, इमली और वस्त्र वगैरह का दान अच्छा माना जाता है।
6. इस दिन पितृ तर्पण, पिंडदान या पितरों के निमित्त भोज का बहुत महत्व होता है।
7. अक्षय तृतीया के दिन श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ, श्री सूक्त का पाठ या श्री रामचरितमानस के अरण्य काण्ड का पाठ करना चाहिए। इससे जीवन में ऋषियों का आशीर्वाद, धन, यश, पद और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।