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Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 31 दिसंबर 2017 (13:50 IST)

नई शिक्षा नीति का प्रारूप पेश नहीं कर सकी सरकार

नई शिक्षा नीति का प्रारूप पेश नहीं कर सकी सरकार - How was year 2017 : education
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए इस साल कई नए विधेयक पारित कराए और कुछ नई उपलब्धियां भी हासिल की, लेकिन साल के अंत तक भी नई शिक्षा नीति का प्रारूप देश के सामने नहीं आ सका।
 
शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से स्कूलों के लिए 'लर्निंग आउटकम' शुरू किया गया और दसवीं की बोर्ड परीक्षा फिर से शुरू की गई। बीस भारतीय प्रबंधन संस्थानों और 15 भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थाओं को राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान घोषित कर उन्हें अधिक स्वायतता प्रदान की। इसके साथ ही कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के लिए नया वेतनमान भी लागू किया गया, लेकिन शिक्षक समुदाय इससे संतुष्ट नहीं दिखाई दिया। शिक्षकों ने सातवें वेतन आयोग में भेदभाव किए जाने के विरोध में इस साल देश भर में धरना-प्रदर्शन किए और जेल भरो आन्दोलन भी चलाया।
 
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में इस वर्ष भी छात्रों और प्रशासन के बीच टकराव की घटनाएँ हुईं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नए अध्यक्ष डी.पी. सिंह की नियुक्ति की गई जबकि कुछ कुलपतियों के खिलाफ कार्रवाई हुई।
 
मोदी सरकार ने मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून में संशोधन कर 'लर्निंग आउटकम' की व्यवस्था की और गैर-प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए 2019 तक प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया। ऑनलाइन माध्यम से दिए जाने इस प्रशिक्षण के लिए तेरह लाख 58 हज़ार शिक्षक आवेदन कर चुके हैं।
 
इस साल उच्च शिक्षा वित्तीय एजेंसी तथा उच्च शिक्षण संस्थानों की सभी प्रवेश परीक्षाओं के संचालन के लिए  राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी का गठन किया गया। दूसरी बार राष्ट्रीय रैंकिंग फ्रेमवर्क के तहन चयनित शिक्षण संस्थाओं की रैंकिग जारी हुई और सरकार ने कहा कि उच्च गुणवत्ता के आधार पर संस्थानों को स्वायत्तता दी जाएगी। 
केन्द्रीय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ एवं अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं कॉलेज संघ ने इस पर आपत्ति जाहिर की और कहा कि सरकार स्वयत्तता के नाम पर धन आवंटन में कटौती कर रही है तथा निजीकरण का मार्ग प्रशस्त कर रही है।
 
सरकार ने नई शिक्षा नीति के मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए मशहूर अंतरिक्ष वैज्ञानिक कस्तूरी रंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। साल के अंत तक नई नीति का प्रारूप जारी हो जाने की बात कही गई थी, लेकिन अभी तक यह मसौदा नहीं आया है।
 
स्कूलों में स्वछता को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार योजना भी शुरू की गई। इसके लिए दो लाख 68 हज़ार स्कूलों ने आवेदन किया जिनमें 172 स्कूलों का चयन किया गया। देश के 25 करोड़ स्कूली छात्रों को आधार से जोड़ने की मुहिम भी शुरू हुई। एनसीईआरटी ने छात्रों को किताबें समय पर उपलब्ध कराने के लिए ऑनलाइन खरीद की व्यवस्था शुरू की।
 
डीटीएच के माध्यम से छात्रों के लिए शैक्षिण कार्यक्रम उपलब्ध कराने के लिए 'स्वयंप्रभा' परियोजना शुरू की गई। उच्च शिक्षा की सभी डिग्रियां, डिप्लोमा, मार्कशीट आदि का एक ऑनलाइन स्टोर नेशनल अकेडमिक डिपॉजिटरी के नाम से बनाया गया है जहां छात्रों के प्रमाणपत्र एवं अंकपत्र उपलब्ध होंगे। इस साल राष्ट्रीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण तथा राष्ट्रीय वास्तविक शिक्षा सर्वेक्षण भी कराए गए।
 
मुम्बई विश्वविद्यालय के कुलपति संजय देशमुख और हेमवती नंदन बहुगणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति जवाहर लाल कौल को अनियमितता के आरोपों में हटाया गया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति आर.एल. हुन्ग्लू के खिलाफ जांच शुरू हुई जबकि हुन्ग्लू ने सरकार पर विश्वविद्यालय के कामकाज में हस्तक्षेप का आरोप लगाया। विश्वविद्यालय की ऑडिट रिपोर्ट में खस्ता वित्तीय हालत, मुकदमेबाजी और कुलपति के खिलाफ गुटबाजी की बात सामने आई है। (वार्ता) 
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