जिम की कड़ी कसरत या एरोबिक्स की पसीनाबहाऊ मेहनत को छोड़कर योग के माध्यम से आप शरीर को अत्यधिक कष्ट दिए बगैर लचीला और दुबला बनाकर फिट रख सकते हैं। यहाँ बता रहे हैं कुछ बुनियादी योग सूत्र।
यह ना खाएँ : सर्वप्रथम जितना भोजन लेने की क्षमता है, उससे कुछ कम ही अर्थात सीमा के अंदर ही भोजन लें। मसालेदार भोजन बंद कर दें। कड़वा, खट्टा, तीखा, नमकीन, गरम, खट्टी भाजी, तेल, तिल, सरसों, मद्य, अंडा, मछली या अन्य माँसाहार का सेवन बंद कर दें। लहसुन और प्याज का सेवन कम ही करें।
यह खाएँ : एक वक्त दिन में भूख लगने पर ही भोजन करें और रात में स्वल्पाहार लें। भोजन में सलाद, सूप, छाछ, दही का सेवन करें। सब्जी अधपकी, रोटी पूरी पकी हो। हरी पत्तेदार सब्जी, मौसमी फल तथा फलों के रस का सेवन उपयोगी रहता है। भोजन करने के पश्चात पपीता, अमरूद और फलों का रस लिया जाए तो पाचन शक्ति बढ़ेगी।
पानी का सेवन : सुबह उठते ही दो गिलास गर्म जल छना हुआ लें और पेट की मसल्स को ऊपर-नीचे हिलाएँ। चाहें तो ताड़ासन, द्विभुज कटि चक्रासन करें। पानी अधिक पीएँ, लेकिन चाहे जहाँ का पानी न पीएँ। बोरिंग के पानी में भारीपन होता है, अत: उसे अच्छे से फिल्टर करने के बाद ही इस्तेमाल करें। भोजन करने के दौरान पानी न पीएँ तो बेहतर है। भोजन पश्चात एक घंटे बाद ही पानी पीएँ।
कड़ा अनुशासन : सर्वप्रथम दो दिन तक अनाहार रहें। फिर ज्यूस से स्वल्पाहार और स्वल्पाहार से उतने भोजन पर टिक जाएँ जितने से शरीर में स्वस्थता, हलकापन तथा फिटनेस अनुभव करें। फिर कुंजल, सूत्रनेति, कपालभाँति और सूर्य नमस्कार को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें। तब देखें कमाल। लेकिन ध्यान रहे, यह सब योग चिकित्सक की सलाह अनुसार करें, क्योंकि हमें नहीं मालूम कि इस वक्त आपके शरीर की पोजीशन क्या है।
योग पैकेज : आसनों में अंगसंचालन करते हुए सूर्य नमस्कार, चक्रासन, पादहस्तासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, भुजंगासन विपरीत नौकासन, नौकासन और धनुरासन करें। प्राणायाम में अनुलोम-विलोम और कपालभाँति करें। ध्यान में ध्यान की आधुनिक पद्धतियों में ओशो का डायनामिक और सक्रिय ध्यान लाभकारी सिद्ध होगा।