दीर्घ प्राणायाम से बनें दीर्घायु
दीर्घ का अर्थ होता है लंबा। यह प्राणायाम मनुष्य की आयु बढ़ाने वाला है अर्थात दीर्घायु करने वाला। इस प्राणायाम से छाती, फेफड़े और माँसपेशियाँ मजबूत तथा स्वस्थ होती है। शरीर तनाव मुक्त रहकर फुर्तीदायक बनता है। तीन चरण में किए जाने वाले इस प्राणायाम को करने की चार स्टेप मानी जा सकती हैं- पहला साँस को नियंत्रित करना, दूसरा श्वास-प्रश्वास को नियंत्रित कर दीर्घ करना, तीसरा आंतरिक और चौथा बाहरी कुंभक का अभ्यास करना। इस दौरान पेट, छाती और माँसपेशियों पर ध्यान देना। यह उसी तरह है जबकी हम बहुत ही गहरी नींद में श्वास लेते हैं।प्राणायाम विधि : सर्वप्रथम आराम की मुद्रा में जमीन पर पीठ के बल लेट जाएँ। फिर हथेलियों को पेट पर हल्के से रखें। दोनों हाथों की मध्यमा अँगुली नाभि पर एक दूसरे को स्पर्श करता रहे। फिर धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए पेट को भी ढीला छोड़ दें। अब श्वास खींचते हुए पेट को फुलाइए। इस क्रिया को 5 मिनट तक बार-बार दोहराएँ। प्राणायाम क्रिया करते वक्त श्वास को पहले छाती में, फिर पसलियों में और फिर पेट में महसूस करना चाहिए। इस प्राणायाम क्रिया को बहुत ही आराम से करें।इस प्राणायाम को करते समय पेट की गति अर्थात संकुचन, छाती और माँपेशियों पर ध्यान रखना चाहिए। जब आप श्वास लेते हैं तो आपके दोनों कंघे ऊपर आते हैं और श्वास छोड़ते हुए नीचे की ओर जाते हैं तो कंधों में भी श्वसन की लय को महसूस करें।सावधानी : जिन लोगों को श्वसन संबंधी कोई रोग या परेशानी है अथवा फेफड़ों में कुछ शिकायत है उन्हें इस प्राणायाम को करने से पहले चिकित्सक और योग शिक्षक से सलाह लेनी चाहिए।प्राणायाम क्रिया के दौरान शरीर को सामान्य और सहज मुद्रा में रखे। श्वसन क्रिया में विशेष बल नहीं लगाना चाहिए और आराम से श्वास लंबी लेना और छोड़ना चाहिए। इस योग में पहले छाती फिर पसलियाँ इसके पश्चात पेट श्वसन क्रिया में भाग लेता है अत: इसे तीन चरण श्वसन भी कहा जाता है।इसके लाभ : यह प्राणायाम मानसिक शांति एवं चेतना के लिए भी लाभप्रद होता है। यह शरीर में ऑक्सिजन के लेवल को बढ़ाता है तथा दूषित पथार्थ को बाहर निकालता है। यह प्राणायाम मनुष्य की आयु बढ़ाने वाला है अर्थात दीर्घायु करने वाला। इस प्राणायाम से छाती, फेफड़े और माँसपेशियाँ मजबूत तथा स्वस्थ होती है। शरीर तनाव मुक्त रहकर फुर्तीदायक बनता है। खासकर यह प्राणायाम मस्तिष्क विकास और भरपूर नींद में सहायक है।