महिला अपराध से बड़े शहरों का मुँह काला
बड़े शहरों के बारे में यह आम धारणा रहती है कि वहाँ सब कुछ दूसरे शहरों और गाँवों से बेहतर होगा, लेकिन इस बात की भूल महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में नहीं करनी चाहिए। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्योरों के पिछले साल के आँकड़ों पर नजर डालें तो अपराध की दर में पिछले दस साल में गिरावट आई है, लेकिन ये आँकड़े केवल दर्ज रिपोर्ट के आधार पर हैं। 2006
में शरीर से संबंधित अपराध 22.9 प्रतिशत थे। वेश्यावृत्ति और इससे संबंधित मामलों के अंतर्गत दर्ज अपराध 0.1 फीसदी थे। यहाँ ‘फीसदी’ का दशमलव भी अपने आप में बड़ी कहानी कहता है। देश के शेष शहरों और बड़े शहरों में महिला अपराध भी ‘बड़े’ रहे। मात्र सात सालों में मेट्रोज में अपराध 10 फीसदी बढ़े।बड़े शहर बनाम छोटे शहर-2006
में परिवार और पति के अत्याचार के दर्ज मामलों में छोटे शहरों से 84.8 फीसदी मामले आए तो वहीं मेट्रो शहरों से अकेले 15.2 फीसदी मामले सामने आए। दूसरी ओर शारीरिक उत्पीड़न के मामले में भी हालात कमोबेश ऐसे ही थे। इस मामले में जहाँ कुल 82.2 फीसदी मामले में अन्य शहरों से आए तो 17.8 फीसदी मामले मेट्रो के थे।छेड़खानी में तो ऐसा लगता है कि कोई तमगा मिलेगा। शहरों में 91.4 फीसदी मामलों के बदले में मेट्रोज ने 8.6 फीसदी मामले दर्ज कराए। वहीं दहेज हत्या के मामलों में कोई गिरावट के संकेत नहीं दिख रहे हैं। दहेज हत्या के कुल मामलों में से 91.6 फीसदी मामले शहरी इलाकों में और 8.4 फीसदी मामले मेट्रो में हुए। अपहरण में भी मेट्रो ने 15.8 फीसदी का आँकडा़ तय किया। बलात्कार के कुल मामलों में शहरों में 91.2 फीसदी बलात्कार के मामले सामने आए, वहीं 8.8 फीसदी मामले मेट्रोज से थे। यहाँ यह बात गौर करने वाली है कि सभी मामले सामने नहीं आते और जो सामने आते भी हैं, उनमें से दर्ज भी कम ही होते हैं। यहाँ एक बात और भी नोटिस करने वाली है कि भारत की आबादी 1 अरब 12 करोड़ है और इनमें से मेट्रो सिटी की आबादी दस करोड़ की है। अकेले 2006 में कुल हुए अपराधों की संख्या 1878293 थी, जिसमें से 326363 अपराध मेट्रोज में हुए। वैसे इससे यह नहीं कहा जा सकता कि बाकी शहरों में अपराध में गिरावट आई है। दरअसल मेट्रो शहरों में अपराध दर्ज हो जाते हैं, वहीं बाकी शहरों (खासकर छोटे और दूरदराज के) में अपराध दर्ज होने की संख्या कम है। महिलाओं के प्रति अपराध में कोई गिरावट नहीं आई है। पिछले दस सालों में इसमें 45 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वहीं महिलाओं के प्रति अपराध की दर में भी 20 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। 1996 के लिहाज से इसमें 42.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं इसकी दर 18.5 फीसदी बढ़ गई है। अपराध का सबसे घिनौना पहलू है कि बच्चों के प्रति अपराध में मध्यप्रदेश 2006 में सबसे आगे था।