जब रुपांकन के श्री अशोक दुबे से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर चर्चा की तो उन्होंने कहा कि स्त्री की सुंदरता में विलक्षण शक्ति होती है। विश्व नियंता को यदि हम एक कुशल चित्रकार मान लें तो स्त्री उसका सर्वश्रेष्ठ रंगीन चित्र है। अन्य सबों में रंग भरने के बाद अंत में कला की पराकाष्ठा के रूप में अपनी सर्वाधिक प्रभावशाली तुलिका से चित्रकार द्वारा बनाई गई एक रंगीन पूर्णाकृति। ऐसी पूर्णाकृति और नारी शक्ति को नमन करते हुए उन्होंने कहा- 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।'
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